टेस्ट

डायलिसिस क्या है, प्रकार, उपचार प्रक्रिया, कीमत, फायदे और आहार योजना – Dialysis Types, Treatment Process, Recovery And Diet Plain In Hindi

डायलिसिस क्या है, प्रकार,उपचार प्रक्रिया, कीमत, फायदे और आहार योजना - Dialysis Types, Treatment Process, Recovery And Diet Plain In Hindi

Dialysis in Hindi डायलिसिस (Dialysis) किडनी की तरह के कार्यों को करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली उपचार प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया गुर्दे की विफलता वाले मरीज में रक्त को साफ और शुद्ध करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। डायलिसिस (Dialysis) घर और अस्पताल दोनों जगह में से कही भी उपयोग में लाई जा सकती हैं, परन्तु इसका प्रयोग अस्पताल में डॉक्टर की देख-रेख में किया जाना सुरक्षित होता है। यह प्रक्रिया किडनी की विफलता वाले मरीज को जीवित रखने, उसके स्वास्थ्य में सुधर करने और विषाक्त तरल पदार्थ को शरीर से बाहर निकलने के लिए आवश्यक होती है। अतः इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि डायलिसिस (Dialysis) क्या है, इसके प्रकार, उपचार प्रक्रिया, जोखिम कारक, सावधानियां और आहार योजना के बारे में।

विषय सूची

1. डायलिसिस क्या है – what is Dialysis
2. डायलिसिस के प्रकार – Types Of Dialysis In Hindi
3. डायलिसिस प्रक्रिया – Dialysis Process In Hindi
4. डायलिसिस कब किया जाता है – When is the need for dialysis in Hindi
5. डायलिसिस के नुकसान और जोखिम – Dialysis side effects and risks factor in Hindi
6. डायलिसिस के फायदे – Benefits of Dialysis in hindi
7. डायलिसिस के लिए तैयारी और सावधानी – Prepare For Dialysis In Hindi
8. डायलिसिस खर्च – Dialysis Cost In Hindi
9. डायलिसिस आहार – Dialysis diet in Hindi

डायलिसिस क्या है – Dialysis Kya Hota Hai In Hindi

डायलिसिस क्या है - what is Dialysis

डायलिसिस (Dialysis) एक ऐसी उपचार प्रक्रिया है, जिसमें किसी विशेष मशीन या उपकरण का उपयोग कर रक्त को फ़िल्टर और शुद्ध किया जाता है। यह प्रक्रिया तब उपयोग में लाई जाती है, जब किसी व्यक्ति की किडनी (kidneys) कार्य करना बंद कर देती हैं या सही तरह से काम नहीं करती है। यह प्रक्रिया किडनी की विफलता (Kidney failure) के समय तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलन में रखने में मदद करती है।

मनुष्य की किडनी, शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाकर, रक्त को फ़िल्टर करने का कार्य करती हैं। और इस अपशिष्ट तरल पदार्थ को मूत्राशय के माध्यम से पेशाब के रूप में शरीर से बाहर कर दिया जाता है।

अतः यदि किडनी असफल होती हैं, तो मनुष्य की मृत्यु होने से रोकने के लिए डायलिसिस (Dialysis) को किडनी के कार्यों को करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

(और पढ़े – किडनी फ़ैल, कारण, लक्षण, निदान और उपचार…)

डायलिसिस के प्रकार – Types Of Dialysis In Hindi

डायलिसिस के दो मुख्य प्रकार हैं।

हेमोडायलिसिस (Hemodialysis) – यह डायलिसिस का सबसे आम प्रकार है। यह प्रक्रिया रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाने के लिए कृत्रिम किडनी (hemodialyzer) का उपयोग करती है। हेमोडायलिसिस (Hemodialysis) प्रक्रिया के तहत रक्त को शरीर से बाहर निकालकर, कृत्रिम किडनी के माध्यम से फ़िल्टर किया जाता है। और फिर फ़िल्टर किए गए रक्त को डायलिसिस मशीन (dialysis machine) की मदद से शरीर में वापस कर दिया जाता है। हेमोडायलिसिस (Hemodialysis) उपचार तीन से पांच घंटे तक किया जाता है और एक सप्ताह में तीन बार दुहराया जाता है।

पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis) – पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis) प्रक्रिया में रक्त को शरीर के अंदर ही साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त से अपशिष्ट पदार्थ को अवशोषित करने के लिए पेट में एक विशेष प्रकार का द्रव डाला जाता है, जो पेट की गुहा में छोटी वाहिकाओं के माध्यम से गति करता है। यह तरल पदार्थ, रक्त से अपशिष्ट को अवशोषित कर सूख जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया को आम तौर पर घर पर अपनाया जा सकता है।

(और पढ़े – किडनी फंक्शन टेस्ट क्या है, कीमत और कैसे होता है…)

डायलिसिस प्रक्रिया – Dialysis Process In Hindi

डायलिसिस (dialysis) कृत्रिम रूप से रक्त को साफ और शुद्ध करने की उपचार प्रक्रिया है। डायलिसिस उपचार दो तरीके से किया जा सकता है:

हेमोडायलिसिस प्रक्रिया (hemodialysis procedure)

किडनी विफलता की स्थिति में रक्त को शुद्ध करने के लिए हेमोडायलिसिस प्रक्रिया (hemodialysis procedure) को अपनाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में कृत्रिम किडनी, जो रक्त को साफ करने का कार्य करती है, में रक्त प्रवाह करने के लिए डॉक्टर सर्जरी का प्रयोग कर संवहनी ट्यूब (vascular tube) को रक्त वाहिकाओं से जोड़ा जाता है। ये संवहनी नलिकाएं (vascular tube) रक्त को शरीर से बाहर निकलने और वापिस शरीर में भेजने का कार्य करती हैं। संवहनी नलिकाएं और रक्त वाहिकाओं को आपस में जोड़ने के लिए शरीर के विशेष भाग में सर्जरी के द्वारा प्रवेश बिंदु (entrance point) बनाये जाते हैं। यह प्रवेश बिंदु निम्न तीन प्रकार के होते हैं:

धमनीशिरा (एवी) – नालव्रण (Arteriovenous (AV) fistula)

इस प्रकार के प्रवेश बिंदु में संवहनी ट्यूब (vascular tube) का संबंध एक धमनी और एक शिरा से किया जाता है। इसका प्रयोग लम्बे समय (6 weeks) तक चलने वाली डायलिसिस प्रक्रिया के लिए किया जाता है।

एवी ग्राफ्ट (AV graft)

यह एवी नालव्रण के समान ही है परन्तु इसमें धमनी और शिरा को आपस में जोड़ने के लिए एक प्लास्टिक ट्यूब का उपयोग किया जाता है। इसे हेमोडायलिसिस प्रक्रिया को तेजी से संपन्न करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

(और पढ़े – मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) के कारण, लक्षण और उपचार…)

संवहनी पहुंच कैथेटर (Vascular access catheter)

इस विकल्प का प्रयोग केवल थोड़े समय के लिए की जाने वाली हेमोडायलिसिस प्रक्रिया के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसमें एक लचीली ट्यूब (कैथीटर) गर्दन में, कॉलरबोन (collarbone) के नीचे या ग्रोइन (groin) के बगल में एक नस में डाल दी जाती है।

धमनीशिरा-नालव्रण (AV fistula) और एवी ग्राफ्ट (AV graft) दोनों को लम्बे समय तक डायलिसिस उपचार के लिए डिज़ाइन किया गया है। जबकि संवहनी पहुंच कैथेटर (Vascular access catheter) को अल्पकालिक या अस्थायी डायलिसिस के लिए डिज़ाइन किया गया है।

हेमोडायलिसिस (hemodialysis) के दौरान रक्त, रोगी के शरीर से जीवाणुरहित संवहनी टयूबिंग (vascular tube) के माध्यम से डायलिसिस मशीन तक आता है और मशीन में फ़िल्टर करने के पश्चात शुद्ध रक्त को वापस रोगी के शरीर में लौटा दिया जाता है। डायलिसिस मशीन में अपशिष्ट उत्पादों को अलग पात्र में प्राप्त कर लिया जाता है।

हेमोडायलिसिस (hemodialysis) उपचार में लगभग तीन से पांच घंटे तक का समय लगता है। यह उपचार डॉक्टर की निगरानी में अस्पताल में किया जाता हैं।

(और पढ़े – किडनी खराब कर देती हैं ये पाँच आदते जरूर ख्याल रखें…)

पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया (peritoneal dialysis procedure)

पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis) में एक प्लास्टिक ट्यूब (पेरिटोनियल डायलिसिस कैथेटर) के माध्यम से रोगी के पेट की गुहा में एक तरल पदार्थ (डायलिसेट द्रव) प्रवेश कराया जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस के कई अलग-अलग प्रकार हैं। जैसे कि:

कंटीन्यूअस एंबुलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस (CAPD) (Continuous ambulatory peritoneal dialysis) – इस विधि में मशीन की आवश्यकता नहीं है, और यह प्रक्रिया जागने के दौरान की जानी चाहिए।

सतत चक्रीय पेरिटोनियल डायलिसिस (CCPD) (Continuous cycling peritoneal dialysis) – इस प्रक्रिया में कैथेटर के माध्यम से तरल पदार्थ (डायलिसेट द्रव) को पेट के अंदर और बाहर करने के लिए मशीन का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर रात में सोते समय की जाती है।

इंटरमिटेंट पेरिटोनियल डायलिसिस (IPD) (Intermittent peritoneal dialysis) – यह उपचार प्रक्रिया आमतौर पर अस्पताल में प्रयोग में लाई जाती है। इसमें भी कैथेटर के माध्यम से द्रव को पेट में प्रवेश करने के लिए, CCPD के समान मशीन का उपयोग किया जाता है, अतः इस प्रक्रिया में अधिक समय लगता है।

पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis) प्रक्रिया में रक्त को फिल्टर करने के लिए पेट की गुहा में पेरिटोनियल झिल्ली (peritoneum membrane) नामक एक विशेष झिल्ली का उपयोग किया जाता है। पेरीटोनियल डायलिसिस कैथीटर नामक एक प्लास्टिक ट्यूब को नाभि के पास पेट की गुहा में रखा जाता है। डायलिसेट (dialysate) नामक एक विशेष तरल पदार्थ को पेट के गुहा में छोटी वाहिकाओं में प्रवेश कराया जाता है। यह तरल पदार्थ रक्त से दूषित पदार्थों का अवशोषण कर लेता है। अतः इस प्रक्रिया को घर पर स्वयं अपना सकते हैं।

(और पढ़े – रक्तदान के फायदे एवं नुकसान…)

निरंतर गुर्दे प्रतिस्थापन चिकित्सा या हेमोफिल्टरेशन (CRRT) (Continuous renal replacement therapy or hemofiltration)

यह हेमोडायलिसिस (hemodialysis) प्रक्रिया का एक रूप है। यह उपचार प्रक्रिया मुख्य रूप से गंभीर किडनी विफलता (acute kidney failure) वाले व्यक्तियों के लिए गहन देखभाल के अंतर्गत उपयोग में लाई जाती है। इसे हेमोफिल्टरेशन (hemofiltration) भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत मरीज के रक्त को टयूबिंग (tubing) के माध्यम से एक मशीन में प्रवेश कराया जाता है। फिल्टर की क्रिया द्वारा रक्त में से अपशिष्ट उत्पादों और पानी को हटा दिया जाता है। और पुनः शुद्ध रक्त को शरीर में वापस कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया 12 से 24 घंटे के लिए अपनाई जाती है।

(और पढ़े – सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या कैसे बढ़ाएं…)

डायलिसिस कब किया जाता है – When is the need for dialysis in Hindi

यदि किसी व्यक्ति को क्रोनिक किडनी की बीमारी (chronic kidney disease) होती है, अर्थात लम्बे समय से बार-बार होने वाली किडनी की बीमारी होती हैं, तो इस स्थिति में कभी भी डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant) की आवश्यकता पड़ती है।

जब किसी व्यक्ति के प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान रक्त में अपशिष्ट पदार्थ जैसे “क्रिएटिनिन स्तर” और “रक्त यूरिया नाइट्रोजन” (बीयूएन) स्तर पाए जाते हैं, तो यह स्तर व्यक्ति में गुर्दे की विफलता के प्रारम्भिक लक्षण प्रकट करते हैं। तब इस स्थिति में डॉक्टर द्वारा डायलिसिस (dialysis) प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की जा सकती है।

डायलिसिस (dialysis) प्रक्रिया व्यक्ति की आयु, ऊर्जा स्तर, समग्र स्वास्थ्य और उपचार योजना पर निर्भर करती है। यद्यपि यह प्रक्रिया लंबे समय तक जीवित रहने के लिए बेहतर महसूस करा सकती है।

मधुमेह और उच्च रक्तचाप की स्थिति में भी डायलिसिस उपचार (dialysis treatment) की आवश्यकता पड़ सकती है।

किसी व्यक्ति के मूत्र परीक्षण के दौरान क्रिएटिनिन क्लीयरेंस (creatinine clearance) का स्तर 10 सीसी / मिनट से नीचे 1 तक गिर जाता है, तो रोगी को डायलिसिस की आवश्यकता होती है।

(और पढ़े – मधुमेह को कम करने वाले आहार…)

डायलिसिस के नुकसान और जोखिम – Dialysis side effects and risks factor in Hindi

डायलिसिस (dialysis) उपचार प्रक्रिया किडनी विफलता की स्थिति में जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने या सुधार लाने के लिए अति महत्वपूर्ण होती हैं। यह किसी तरह की चोट नहीं पहुंचाती हैं, परन्तु मरीज को कभी-कभी इसके जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। डायलिसिस (dialysis) के जोखिम विभिन्न उपचार प्रक्रियाओं के आधार पर निम्न हैं:

हेमोडायलिसिस से जुड़े जोखिम – Risks associated with hemodialysis

हेमोडायलिसिस (hemodialysis) उपचार प्रक्रिया से जुड़े जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं:

  • कम रक्त दाब की समस्या उत्पन्न होना,
  • एनीमिया (anemia), या पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाना
  • मांसपेशियों में ऐंठन उत्पन्न होना
  • सोने में कठिनाई महसूस होना
  • खुजली
  • रक्त में पोटेशियम के उच्च स्तर
  • पेरीकार्डिटिस (pericarditis) या दिल के चारों ओर की झिल्ली में सूजन
  • रक्त प्रवाह में संक्रमण उत्पन्न होना
  • दिल की धड़कन का अनियमित रूप से चलना
  • अचानक हृदय से सम्बंधित मौत, डायलिसिस प्रक्रिया से गुजरने वाले लोगों में मौत का प्रमुख कारण ।

(और पढ़े – दिल मजबूत करने के उपाय…)

पेरिटोनियल डायलिसिस से जुड़े जोखिम – Risks associated with peritoneal dialysis

पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis) प्रक्रिया के जोखिमों में मुख्य रूप से पेट की गुहा में कैथेटर स्थान (catheter site) के आसपास संक्रमण की सम्भावना में वृद्धि, शामिल है।

Peritoneal Dialysis – पेरिटोनियल डायलिसिस के अन्य जोखिम कारक निम्न हैं:

  • पेरिटोनिटिस (Peritonitis) (पेट की दीवार को अस्तर वाली झिल्ली या पेरीटोनियम में जीवाणु संक्रमण के कारण उत्पन्न सूजन है)।
  • पेट की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना
  • उच्च रक्त शर्करा (high blood sugar)
  • भार बढ़ना (weight gain)
  • हर्निया (hernia)
  • बुखार आना
  • पेट दर्द की समस्या उत्पन्न होना।

(और पढ़े – हर्निया के कारण लक्षण इलाज और परहेज…)

हेमोफिल्टरेशन (CRRT) ​​से जुड़े जोखिम – Risks associated with hemofiltration (CRRT)

हेमोफिल्टरेशन या CRRT ​से जुड़े जोखिमों में शामिल हैं:

  • संक्रमण (infection)
  • हाइपोथर्मिया (hypothermia)
  • कम रक्त दबाव
  • इलेक्ट्रोलाइट (electrolyte) में गड़बड़ी
  • खून बहने की समस्या (bleeding)
  • हड्डियों में कमजोरी की समस्या

(और पढ़े – कैल्शियम की कमी के लक्षण और इलाज…)

डायलिसिस के फायदे – Benefits of Dialysis in Hindi

डायलिसिस के फायदे - Benefits of Dialysis in Hindi

किडनी विफलता के लक्षणों को कम करने के लिए डायलिसिस अति आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त डायलिसिस (dialysis) से निम्न लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं जो निम्न हैं:

  • एनीमिया (anemia) रोग का समाधान करने में सहायता करता है।
  • किडनी विफलता की स्थिति में हार्मोन नियंत्रण में सहायक है।
  • रक्तचाप से सम्बंधित समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।
  • किडनी की बीमारियों को कम कर किडनी के कार्यों में सुधार लता है।

(और पढ़े – पथरी होना क्या है? (किडनी स्टोन) पथरी के लक्षण, कारण और रोकथाम…)

डायलिसिस के लिए तैयारी और सावधानी – Prepare For Dialysis In Hindi

  • डायलिसिस (dialysis) उपचार में मरीज को मदद करनी चाहिए, उपचार के दौरान हिलना-डुलना नहीं चाहिए। डॉक्टर द्वारा मशीन में रक्त प्रवाह करने के लिए शल्य चिकित्सा से ट्यूब को धमनियों से जोड़ा जाता है अतः मरीज को धैर्य का परिचय देना चाहिए।
  • Dialysis – डायलिसिस उपचार के दौरान आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए।
  • डायलिसिस (dialysis) के बाद मरीज को पर्याप्त मात्रा में आराम करना चाहिए।
  • डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का भली भांति पालन करना चाहिए।
  • डॉक्टर की सलाह से एक निश्चित आहार योजना अपनानी चाहिए।
  • उपचार बाद किसी भी तरह की समस्या उत्पन्न होने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए।
  • निर्जलीकरण से बचने के लिए उचित तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
  • इबप्रोफेन (ibuprofen) और डिक्लोफेनाक (diclofenac) समेत किसी भी एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (anti-inflammatory drugs) लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
  • शराब और धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • सोडियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन की मात्रा में कमी वाले आहार का सेवन करना चाहिए।

(और पढ़े – शाकाहारियों के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ…)

डायलिसिस खर्च – Dialysis Cost In Hindi

डायलिसिस (dialysis) की कीमत इसके प्रकार और उपचार सुविधाओं के आधार पर भिन्न होती है। देश के विभिन्न शहरों में प्रयोगशाला और हॉस्पिटल के आधार पर डायलिसिस (dialysis) की कीमत निम्न है:

हेमोडायलिसिस प्राप्त करने की कीमत लगभग 12,000 रु. से  15,000 रु. प्रति माह।

एक पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया प्राप्त करने के लिए खर्च लगभग 18,000 रु. से 20,000 रु. प्रति माह तक हो सकता है।

डायलिसिस आहार – Dialysis diet in Hindi

रक्त में अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा ख़राब आहार योजना और तरल पदार्थ के कारण बदती है। अतः रक्त में अपशिष्ट की मात्रा कम करने के लिए डायलिसिस (Dialysis) आहार का का सेवन करना चाहिए। डायलिसिस आहार किडनी को स्वास्थ्य रखने और उसके कार्यों में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डायलिसिस आहार (Dialysis diet) वह आहार होता है जिसमें सोडियम, फॉस्फोरस (phosphorus) और प्रोटीन की बहुत कम मात्रा पाई जाती है।

अतः डायलिसिस (Dialysis) के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को उच्च गुणवत्ता वाली प्रोटीन और तरल पदार्थ से परहेज करना चाहिए। इसके अतिरिक्त आहार में सीमित पोटेशियम और कैल्शियम होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के लिए डायलिसिस (dialysis) प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है अतः एक चिकित्सक की सलाह पर रोगी डायलिसिस आहार को निर्धारित कर सकता है।

अतः डायलिसिस आहार (Dialysis diet) योजना तैयार करते समय निम्न आहार पर ध्यान दिया जाना चाहिए:

(और पढ़े – सोडियम क्या है – स्रोत, मात्रा, फायदे और नुकसान…)

डायलिसिस आहार के लिए डेयरी उत्पाद – Dairy products for dialysis diet in Hindi

डायलिसिस आहार (Dialysis diet) के तहत डेयरी उत्पादों में ½-कप दूध या ½-कप दही या प्रति दिन 26 ग्राम पनीर का सेवन करना चाहिए। अधिकांश डेयरी खाद्य पदार्थ में बहुत अधिक फॉस्फोरस (phosphorus) पाया जाता है। अतः इन्हें सीमित मात्रा में ही प्रयोग में लाना चाहिए।

(और पढ़े – अगर आप दूध पीते है तो इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो फायदे की जगह होगा नुकसान…)

फल और जूस का चयन डायलिसिस आहार में – Selection of fruit and juice in a dialysis diet in Hindi

सभी फलों में कुछ मात्रा में पोटेशियम होता है, लेकिन कुछ दूसरे फलों में यह ज्यादा पाया जाता है अतः फलों का रस का सेवन सीमित करना चाहिए या इनके सेवन से पूरी तरह से बचा जाना चाहिए। पोटेशियम की कमी डायलिसिस (Dialysis) की स्थिति में दिल की रक्षा करने में सहायक है। संतरे का रस, किवी, किशमिश और सूखे फल, केले और शहद आदि के सेवन को सीमित करना चाहिए। दैनिक मात्रा के आधार पर ½-कप फल का रस लिया जा सकता है।

(और पढ़े – रोज सुबह केला और गर्म पानी के सेवन के फायदे जानकर दंग रह जाएगे आप…)

सब्जियां और सलाद डायलिसिस आहार – Dialysis Diet Vegetables And Salads In Hindi

लगभग सभी सब्जियों में कुछ मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है, लेकिन कुछ सब्जियों एसी है जिनमें पोटेशियम की अधिक मात्रा होती है अतः इस प्रकार की सब्जियों के सेवन से पूरी तरह से बचना चाहिए। प्रत्येक दिन कम पोटेशियम युक्त सब्जियों का ½-कप हिस्सा ही अपने डायलिसिस आहार (Dialysis diet) में शामिल करना चाहिए।

ब्रोकोली, गोभी, गाजर, खीरा, बैंगन, लहसुन, हरा सेम और प्याज का सीमित मात्रा में सेवन किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त डायलिसिस (dialysis) की स्थिति में व्यक्ति को आलू, टमाटर और टमाटर सॉस, कद्दू, शतावरी, एवोकाडो, चुकंदर (Beet) और पका हुआ पालक आदि के सेवन से बचना चाहिए।

(और पढ़े – एवोकाडो खाने के फायदे और स्वास्थ्य लाभ…)

नट्स और फलियाँ के सेवन से डायलिसिस आहार में बचे – Avoid For Dialysis Diet Nuts And Beans In Hindi

मूंगफली का मक्खन (peanut butter), नट, बीज, सूखी फलियां, मटर और मसूर में प्रोटीन पाया जाता है, इन खाद्य पदार्थों को डायलिसिस आहार (Dialysis diet) में शामिल करने की सिफारिश नहीं की जाती है क्योंकि इनमें पोटेशियम और फास्फोरस दोनों के उच्च स्तर होते हैं।

(और पढ़े – मूंगफली के फायदे गुण लाभ और नुकसान…)

नमक और सोडियम का सेवन डायलिसिस में न करें – Avoiding Dialysis Diet Is Salt And Sodium In Hindi

आहार में कम नमक का प्रयोग करना चाहिए और नमकीन खाद्य पदार्थों का कम मात्रा में सेवन करना चाहिये। इससे डायलिसिस (Dialysis) के तहत रक्तचाप को नियंत्रित करने और वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। नमक के स्थान पर जड़ी बूटियों, मसालों और कम नमक-स्वाद वाले पदार्थों का प्रयोग करें। पोटेशियम से बने नमक को सेवन करने से बचें।

(और पढ़े – वजन कम करने के लिए नाश्ते में क्या खाएं…)

इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।

Leave a Comment

Subscribe for daily wellness inspiration