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शुगर (मधुमेह) के लक्षण, कारण, जांच और बचाव – Diabetes Causes, Symptoms, Treatment in Hindi

शुगर (मधुमेह) के लक्षण, कारण, जांच और बचाव के उपाय - Diabetes Causes, Symptoms, Treatment in Hindi

डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिजीज (metabolic disease) है, जो रक्त में शर्करा की उच्च मात्रा का कारण बनती है। मधुमेह का इलाज न किया जाए, तो ब्लड शुगर की उच्च मात्रा आपकी नसों, आंखों,  किडनियों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। अतः इसकी जटिलताओं को कम करने के लिए तथा इससे निजाद पाने के लिए समय पर निदान किया जाना आवश्यक होता है।

आज का यह लेख मधुमेह (शुगर की बीमारी) के बारे में हैं, इसमें आप मधुमेह के कारण, लक्षण, इलाज, जाँच और बचाव के बारे में जानेगें। diabetes causes, symptoms, treatment and prevention in Hindi

विषय सूची

डायबिटीज क्या है – What is diabetes in Hindi

मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। इंसुलिन बहुत महत्वपूर्ण हार्मोन है, क्योंकि यह ब्लड के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं तक ग्लूकोज को पहुंचाता है। इसके अलावा यह मेटाबोलिज्म पर भी कई अन्य प्रभाव डालता है।

व्यक्ति जो भोजन करता है उससे शरीर को ग्लूकोज प्रदान होता है। कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है, तो ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अत्यधिक ग्लूकोज की मात्रा विषाक्तता उत्पन्न कर सकती है। आमतौर पर मधुमेह तीन प्रकार का होती है, टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्था के दौरान होने वाली शुगर)।

मधुमेह के सामान्य कारण – Causes of Diabetes in Hindi

आम तौर पर मधुमेह तब होता है, जब अग्न्याशय (pancreas) आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से रक्त शर्करा (glucose) और वसा का उपयोग करने में मदद करने के लिए इंसुलिन जारी नहीं करता है। या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का उपयोग करने में सक्षम नहीं हो पाता है। इसके अलावा डायबिटीज के मुख्य कारण (Madhumeh ke karan in Hindi) निम्न हैं:

डायबिटीज के प्रकार – Type of Diabetes in Hindi

मधुमेह के मुख्य रूप से चार प्रकार हैं:

टाइप-1 डायबिटीज – type 1 diabetes in Hindi

टाइप-1 डायबिटीज के सटीक कारण ज्ञात नहीं है। आमतौर पर मनुष्य के शरीर का इम्यून सिस्टम हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ता है, और शरीर की रोगों से रक्षा करता है। जब यह इम्यून सिस्टम अग्न्याशय (pancreas) में इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर देता है, तब व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का स्तर घट जाता है। जिसके कारण शुगर शरीर की कोशिकाओं में पहुंचने के बजाय ब्लड स्ट्रीम में ही स्टोर होने लगता है। मधुमेह वाले लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इस प्रकार की डायबिटीज पाई जाती है।

टाइप- 2 डायबिटीज – type 2 diabetes in Hindi

प्रीडायबिटीज ही टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है।  टाइप-2 डायबिटीज में शरीर की कोशिकाएं, इंसुलिन के कार्य में प्रतिरोध (resistant) उत्पन्न करने लगती हैं, और अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है। इसके बाद कोशिकाओं में शुगर जाने के बजाय यह ब्लड स्ट्रीम में बढ़ने लगता है। वजन का अत्यधिक बढ़ना टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है।

(और पढ़े – टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में क्या अंतर है)

प्रीडायबिटीज – Prediabetes in Hindi

प्रीडायबिटीज तब होती है. जब रक्त शर्करा (ग्लूकोस) का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन यह स्तर टाइप 2 मधुमेह से कम होता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज – gestational diabetes in Hindi

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भनाल या प्लेसेंटा (placenta) गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए हार्मोन का उत्पादन करता है। ये हार्मोन कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बना देते हैं। आमतौर पर अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त और अतिरिक्त इंसुलिन का उत्पादन करता है, लेकिन कभी-कभी यह पर्याप्त इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाता है। जिसके कारण कोशिकाओं में बहुत कम ग्लूकोज पहुंचता है, और ब्लड में यह अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाता है। इस स्थिति को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाता है।

मधुमेह के लक्षण – Diabetes Symptoms in Hindi

व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें मधुमेह के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर लोगों में प्री डायबिटीज (prediabetes) या टाइप-2 डायबिटीज होने पर शुरूआत में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज होने पर इसके लक्षण बहुत तेजी से उत्पन्न होते हैं और अधिक गंभीर होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मिले-जुले लक्षण (Diabetes ke lakshan in Hindi) इस प्रकार हैं।

  • प्यास अधिक लगना
  • लगातार पेशाब आना
  • अत्यधिक भूख लगना
  • बिना वजह शरीर का वजन घटना
  • पेशाब में किटोन (ketones) की उपस्थिति
  • थकान
  • चिड़चिड़ापन
  • अचानक वजन बढ़ना
  • आंखों से धुंधला दिखायी देना
  • घाव धीरे-धीरे भरना
  • लगातार त्वचा, योनि (vaginal infections) और मसूढ़ों में संक्रमण बने रहना

टाइप-1 डायबिटीज व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। टाइप-2 डायबिटीज इस रोग का सबसे सामान्य प्रकार है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में डायबिटीज होना सामान्य बात है।

पुरुषों में मधुमेह के लक्षण – Diabetes Symptoms in men in Hindi

मधुमेह के सामान्य लक्षणों के अलावा, मधुमेह वाले पुरुषों में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:

महिलाओं में मधुमेह के लक्षण – Diabetes Symptoms in women in Hindi

मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में सामान्य लक्षणों के अलावा कुछ अन्य लक्षण भी प्रगट हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

(और पढ़े: डायबिटीज के 13 शुरुआती लक्षण जिन्हें लोग अनदेखा कर देते हैं)

मधुमेह के जोखिम कारक – Diabetes risk factors in Hindi

कुछ कारक मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

टाइप 1 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 1 मधुमेह होने की अधिक संभावना बच्चों और किशोरियों को होती है, इसके अलावा टाइप 1 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास भी इसके जोखिम को बढ़ा सकता है।

टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जाता है:

  • अधिक वजन होना
  • 45 वर्ष या उससे अधिक की उम्र का होना
  • शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहना
  • अनुवांशिक स्थिति।

प्रीडायबिटीज के जोखिम कारक – उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या उच्च ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित व्यक्तियों को प्रीडायबिटीज होने का अधिक जोखिम होता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम कारक – जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • अधिक वजन का होना
  • 25 वर्ष से अधिक उम्र होना
  • 9 पाउंड से अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म देना
  • टाइप 2 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

मधुमेह की जटिलताएं – Diabetes complications in Hindi

रक्त शर्करा (ग्लूकोस) का उच्च स्तर सम्पूर्ण शरीर के अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। जितने लंबे समय तक ब्लड शुगर अधिक रहेंगे, उतनी ही गंभीर जटिलताओं के उत्पन्न होने का खतरा अधिक होगा। मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं में शामिल हैं:

डायबिटीज की जाँच – Diagnosis of diabetes in Hindi

इलाज से पहले डायबिटीज के प्रकार और कारणों का निदान कराना जरुरी रहता है। डायबिटीज के निदान के लिए निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं।

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट – fasting plasma glucose (FPG) test in Hindi

यह टेस्ट कराने से पहले व्यक्ति को कुछ खाने के लिए मना किया जाता है अर्थात् खाली पेट रहने के करीब 8 घंटे बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।

ओरल ग्लूकोज टॉलिरेंस टेस्ट – Oral glucose tolerance test in Hindi

यह टेस्ट भी खाली पेट किया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है।

रैंडम ग्लूकोज टॉलिरेंस टेस्ट – Random glucose tolerance test in Hindi

इस टेस्ट में डॉक्टर मरीज के रक्त शर्करा (blood sugar) की 4 बार जांच करते हैं। यदि आपका ब्लड शुगर लेबल दो बार सामान्य से अधिक पाया जाता है तो आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।

शुगर (मधुमेह) का इलाज – Diabetes Treatment in Hindi

मधुमेह या शुगर के प्रकार और कारणों के आधार पर निम्न उपचार प्रक्रियों को अपनाया जा सकता है, जैसे:

टाइप 1 मधुमेह का इलाज – Type 1 diabetes Treatment in Hindi

इंसुलिन लेने के आलावा टाइप-1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है और व्यक्ति जीवनभर टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित रहता है। टाइप-1 डायबिटीज के उपचार में चार प्रकार के इंसुलिन होते हैं, जिनका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। कितनी जल्दी काम शुरू करते हैं, और उनका प्रभाव कितने समय तक रहता है, इस आधार पर इंसुलिन निम्न हैं:

  • रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन (Rapid-acting insulin) – रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन 15 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है और इसका असर 3 से 4 घंटे तक रहता है।
  • शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन (Short-acting insulin) – शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है और 6 से 8 घंटे तक इसका प्रभाव रहता है।
  • इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन (Intermediate-acting insulin) – इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन 1 से 2 घंटे के भीतर काम करना शुरू कर देता है और 12 से 18 घंटे तक इसका प्रभाव रहता है।
  • लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन (Long-acting insulin) – लंबे समय तक काम करने वाला इंसुलिन इंजेक्शन के कुछ घंटों बाद काम करना शुरू कर देता है और 24 घंटे या उससे अधिक समय तक इसका प्रभाव रहता है।

टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए नियमित इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है और विशेष आहार लेने एवं एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।

टाइप-2 डायबिटीज का इलाज – Type 2 diabetes Treatment in Hindi

कुछ स्थितियों में टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। विशेष आहार टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स दवाएं टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए टेबलेट और कभी-कभी इंसुलिन का इंजेक्शन भी दिया जाता है। इसके बावजूद यदि शुगर नियंत्रित नहीं हो पा रहा है तो मरीज में इसकी गंभीरता बढ़ने की अत्यधिक संभावना होती है।

मधुमेह से बचाव – Diabetes Prevention in Hindi

शुगर एक गंभीर बीमारी है। इससे पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है। मधुमेह के बचाव सम्बन्धी उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • मीठे खाद्य पदार्थ और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजें खाने से परहेज करें।
  • नियमित एक्सरसाइज करें, सुबह-शाम टहलें और खूब शारीरिक परीश्रम करें। शरीर को अधिक से अधिक एक्टिव रखें।
  • अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीएं और मीठे एवं सोडा युक्त पेय पदार्थ का सेवन करने से बचें। संभव हो तो आइसक्रीम भी न खाएं।
  • अगर आपके शरीर का वजन बढ़ गया हो तो उसे शीघ्र नियंत्रित करें अन्यथा शुगर होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • धूम्रपान एवं एल्कोहल का सेवन न करें, अन्यथा शुगर होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • अधिक फाइबर एवं प्रोटीन युक्त भोजन शुगर से सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है।
  • ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है इसलिए विटामिन डी की शरीर में कमी न होने दें।

(और पढ़ें – शुगर कम करने के घरेलू उपाय)

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