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प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के कारण, लक्षण, जांच, इलाज, बचाव और आहार – Prediabetes In Hindi

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के कारण, लक्षण, जांच, इलाज, बचाव और आहार - Prediabetes In Hindi

Prediabetes in hindi प्रीडायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जहां रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक है, लेकिन अभी तक इतना उच्च नहीं है जिसे टाइप 2 मधुमेह के रूप में जाना जाता है। प्रीडायबिटीज की बीमारी में पीड़ित व्यक्ति के रक्त में शर्करा के सामान्य से अधिक स्तर होता है, लेकिन यह मधुमेह (डायबिटीज) की स्थिति के निदान के लिए पर्याप्त नहीं पर्याप्त नहीं होता है। प्रीडायबिटीज के लक्षणों को महसूस किये बिना व्यक्ति इसके जोखिमों को प्राप्त कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति को प्रीडायबिटीज की समस्या है, तो यह विशेष रूप से दिल, रक्त वाहिकाओं, आंखों और किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) की स्थिति टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकती है, जिसका इलाज करना आवश्यक हो जाता है।

यह लेख प्रीडायबिटीज की जानकारी के बारे में है इस आर्टिकल में आप प्रीडायबिटीज क्या है इसके कारण, लक्षण, जाँच, जटिलताएं, इलाज, बचाव के उपाय और प्री डायबिटीज में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इत्यादि के बारे में जानेगें।

प्रीडायबिटीज क्या है – What Is Prediabetes in Hindi

प्रीडायबिटीज क्या है - What Is Prediabetes in Hindi

प्रीडायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक, लेकिन टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) की स्थिति से कम होता है। प्रीडायबिटीज से पीड़ित 90% लोगों को इस समस्या के बारे में जानकारी नहीं होती है। प्रीडायबिटीज की स्थिति पीड़ित व्यक्ति में टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक के विकास के जोखिम को बढ़ाने में सहायक होती है। इस समस्या का निदान ब्लड टेस्ट के माध्यम से किया जा सकता है। हालांकि प्रीडायबिटीज की स्थिति में व्यक्ति अपनी जीवनशैली में बदलाव कर टाइप-2 डायबिटीज और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद प्राप्त कर सकता है।

(और पढ़ें –टाइप 2 मधुमेह क्या है, कारण, लक्षण, उपचार, रोकथाम और आहार)

प्रीडायबिटीज के लक्षण – Prediabetes Symptoms in Hindi

प्रीडायबिटीज के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं हैं। अधिकतर लोगों को प्रीडायबिटीज की बीमारी का कोई अनुभव नहीं होता है। हालांकि कुछ स्थितियों में इंसुलिन प्रतिरोध से सम्बंधित समस्याओं के संकेतों या लक्षणों को महसूस किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:  पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovarian syndrome) और अकन्थोसिस निगरिकन्स (acanthosis nigricans) इत्यादि। इन स्थितियों में विशेष रूप से कोहनी, घुटने, गरदन, कांख और पोर (knuckles) पर काले, मोटे और मखमली पैच (velvety patches) विकसित होते हैं।

प्री डायबिटीज के शुरुआती प्रमुख लक्षण में निम्न को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे:

  • अधिक प्यास लगना
  • विशेष रूप से रात में पेशाब में वृद्धि
  • थकान महसूस होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • घाव या कट लगने पर ठीक नहीं होना

ऊपर दिए गए सभी लक्षण प्रीडायबिटीज की स्थिति का टाइप 2 डायबिटीज में बदलने के फलस्वरूप महसूस किये जा सकते हैं।

(और पढ़ें – टाइप 2 मधुमेह क्या है, कारण, लक्षण, उपचार, रोकथाम और आहार )

प्रीडायबिटीज के कारण – Prediabetes Causes in Hindi

इंसुलिन (Insulin) अग्न्याशय (pancreas) द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है, जो रक्त में उपस्थित शर्करा को कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए तैयार करता है। अतः इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। प्रीडायबिटीज की स्थिति में शरीर की कोशिकाएं सामान्य रूप से इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देती हैं, जिससे ब्लड शुगर का उर्जा के रूप में उपयोग नहीं हो पाता और रक्त में इसका स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को इन्सुलिन प्रतिरोध कहते हैं। इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण अस्पष्ट हैं, जबकि कुछ स्थितियों में पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिकी कारक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निष्क्रियता और अतिरिक्त वसा भी इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण प्रीडायबिटीज की स्थिति का प्रमुख कारण बन सकते हैं।

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प्रीडायबिटीज के जोखिम कारक – Prediabetes Risk Factors in Hindi

प्रीडायबिटीज के जोखिम कारक - Prediabetes Risk Factors in hindi

प्रीडायबिटीज के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक, टाइप 2 डायबिटीज के विकास में सहायक होते हैं। इन कारकों में शामिल हैं:

अधिक वजन (overweight) अधिक वजन, प्रीडायबिटीज का एक प्राथमिक जोखिम कारक है। शरीर में वसायुक्त ऊतक की अधिकता से कोशिकाएं इंसुलिन के लिए अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं। जिससे रक्त शर्करा का ऊर्जा के रूप में उपयोग नहीं हो पाता है और प्रीडायबिटीज की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

आहार पैटर्न (Dietary patterns) – रेड मीट, प्रसंस्कृत माँस और शर्करा युक्त मीठे पेय पदार्थों का सेवन प्रीडायबिटीज के उच्च जोखिम से सम्बंधित होता है। अतः जो व्यक्ति फलों, सब्जियों, नट्स, साबुत अनाज और जैतून के तेल (olive oil) से युक्त आहार का उच्च मात्रा में सेवन करते हैं, उन्हें प्रीडायबिटीज होने का जोखिम बहुत कम होता है।

निष्क्रियता (Inactivity) – कम सक्रिय लोगों को प्रीडायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। शारीरिक गतिविधि वजन को नियंत्रित करने में मदद करने के साथ-साथ ऊर्जा के रूप में ग्लूकोज का उपयोग कर कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।

उम्र (Age) – हालांकि मधुमेह रोग किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन 45 वर्ष की आयु के बाद प्रीडायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

परिवार के इतिहास (Family history) यदि परिवार के किसी सदस्य को टाइप 2 डायबिटीज है, तो अन्य सदस्यों को भी प्रीडायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भकालीन मधुमेह (Gestational diabetes) यदि किसी महिला के गर्भवती होने की स्थिति में जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) का विकास होता है, तो इस स्थिति में उस महिला और जन्म लेने वाले बच्चे को प्रीडायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। 4.1 किलोग्राम से अधिक वजन वाले बच्चे को जन्म देने की स्थिति में भी माँ को प्रीडायबिटीज का उच्च जोखिम होता है।

पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) – पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम की स्थिति सामान्य रूप से अनियमित मासिक धर्म (irregular menstrual periods), अतिरिक्त बालों के विकास और मोटापे जैसे लक्षणों का कारण बनती है और सम्बंधित महिलाओं में प्रीडायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकती है।

नींद (Sleep) – निद्रा रोग जैसे- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (obstructive sleep apnea) से पीड़ित व्यक्ति में इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा बढ़ जाता है। अतः जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, नींद की समस्या से परेशान है, उनमें प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज का उच्च जोखिम होता है।

प्रीडायबिटीज से सम्बंधित अन्य जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं:

  • उच्च रक्त चाप
  • उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के निम्न स्तर
  • ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) के उच्च स्तर

(और पढ़ें – कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए डाइट)

प्रीडायबिटीज की जटिलताएं – Prediabetes Complications in Hindi

प्रीडायबिटीज की जटिलताएं - Prediabetes Complications in hindi

प्रीडायबिटीज की बीमारी आगें चलकर सबसे गंभीर समस्या टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनती है। टाइप 2 मधुमेह के कारण निम्न जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जिनमें शामिल हैं:

  • उच्च रक्त चाप
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • दिल की बीमारी
  • त्वचा में संक्रमण (skin infections)
  • आघात (Stroke)
  • किडनी रोग
  • अंधापन (Blindness), इत्यादि।

अनुसंधान द्वारा ज्ञात हुआ है कि प्रीडायबिटीज की समस्या टाइप 2 मधुमेह की प्रगति के बगैर भी हार्ट अटैक (heart attacks) और किडनी डैमेज का कारण बन सकती है।

प्रीडायबिटीज के लिए टेस्ट – Test for prediabetes in Hindi

प्रीडायबिटीज के लिए टेस्ट – Test for prediabetes in hindi

प्रीडायबिटीज का सटीक निदान के लिए रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है। परीक्षण के प्रकार के आधार पर परिणाम भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। डॉक्टर प्रीडायबिटीज का निदान करने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के रक्त परीक्षणों में से, किसी एक परीक्षण की सिफारिश कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (fasting plasma glucose test)
  • मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण या ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (oral glucose tolerance test)
  • हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण (hemoglobin A1c test)।

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (Fasting plasma glucose (FPG) test) –  इस ब्लड टेस्ट के लिए 8 घंटे तक उपवास रखने या खाना नहीं खाने की सिफारिश की जाती है। फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट से प्राप्त रक्त शर्करा के परिणाम इस प्रकार हो सकते हैं:

  • सामान्य स्तर – 100 mg/dL से कम रक्त शर्करा।
  • प्री डायबिटीज रेंज – 100 से 125 mg/dL के बीच।
  • डायबिटीज (मधुमेह) – 126 मिलीग्राम/डीएल या इससे अधिक रक्त शर्करा स्तर।

मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (Oral glucose tolerance (OGT) test) – इस परीक्षण के दौरान दो प्रकार के रक्त परीक्षण का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले उपवास ग्लूकोज परीक्षण (fasting glucose test) किया जाता है। फिर इसके बाद मरीज को एक मीठा घोल पिलाकर, दो घंटे बाद पुनः रक्त शर्करा की जाँच की जाती है। इस परीक्षण में प्राप्त परिणाम कुछ इस तरह है:

  • सामान्य स्तर – जब दूसरे परीक्षण के बाद रक्त शर्करा का स्तर 140 मिलीग्राम/डीएल से कम हो।
  • प्री डायबिटीज लेवल्स – जब दूसरे रक्त परीक्षण के बाद रक्त शर्करा का स्तर 140 से 199 mg/dL के बीच हो।
  • डायबिटीज – जब दूसरे रक्त परीक्षण के बाद रक्त शर्करा का स्तर 200 मिलीग्राम/डीएल या इससे अधिक हो।

हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण (Hemoglobin A1c test) हीमोग्लोबिन A1c परीक्षण को A1c परीक्षण या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण भी कहा जाता है, यह रक्त परीक्षण पिछले 2 से 3 महीनों के औसत रक्त शर्करा के स्तर को मापता है। इस परीक्षण के लिए उपवास की आवश्यकता नहीं है और इसे किसी भी समय किया जा सकता है। रक्त शर्करा के प्रतिशत के आधार पर इसके परिणाम इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे:

  • सामान्य स्तर – 5.6% या उससे कम रक्त शर्करा।
  • प्री डायबिटीज लेवल्स – 5.7% से 6.4% रक्त शर्करा।
  • मधुमेह – 6.5% या इससे अधिक रक्त शर्करा।

(और पढ़ें – उच्च रक्तचाप के लिए घरेलू उपचार)

प्रीडायबिटीज का इलाज – Prediabetes treatment in Hindi

प्रीडायबिटीज का इलाज - Prediabetes treatment in Hindi

प्री डायबिटीज ट्रीटमेंट करने से टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है। यदि जाँच द्वारा किसी व्यक्ति में प्रीडायबिटीज का निदान किया गया है, तो डॉक्टर द्वारा, मरीज को जीवनशैली में परिवर्तन करने की सलाह दी जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह का उच्च जोखिम है, तो डॉक्टर ब्लड शुगर को कम करने के लिए मेटफॉर्मिन (ग्लूकोफेज) (metformin (Glucophage)) जैसी दवाओं की सिफारिश कर सकता है।

(और पढ़ें – मेटफॉर्मिन टैबलेट की जानकारी )

प्री-डायबिटीज से बचाव के उपाय – Prediabetes prevention in Hindi

स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर व्यक्ति प्रीडायबिटीज और टाइप 2 मधुमेह की प्रगति को रोकने में मदद प्राप्त कर सकते हैं। अतः प्रीडायबिटीज की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे कि:

  • वजन को कम करने पर विशेष ध्यान दें।
  • कम वसा और कैलोरी वाले आहार का सेवन करें।
  • जीवन शैली में परिवर्तन करें।
  • शराब और धूम्रपान से परहेज।
  • स्वस्थ भोजन अपनाएं।
  • तनाव को प्रबंधित करें।
  • रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें।
  • नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि में भाग लें, जैसे- तेज चलना।
  • सप्ताह में पांच बार 30 मिनट तक व्यायाम करें।

(और पढ़ें – वजन घटाने के लिए रोज कितनी कैलोरी की जरूरत होती है )

प्री डायबिटीज डाइट – Prediabetes Diet food in Hindi

प्री डायबिटीज डाइट - Prediabetes Diet food in hindi

प्रीडायबिटीज की रोकथाम के लिए कार्बोहाइड्रेट और फाइबर युक्त आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। आहार में परिवर्तन कर प्रीडायबिटीज के जोखिम को कम करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। प्रीडायबिटीज की स्थिति में खाए जाने वाले आहार में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

  • साबुत अनाज और प्रसंस्कृत कार्ब्स (processed carbs) युक्त उत्पाद, जैसे सफेद ब्रेड, ब्रेकफास्ट सीरियल (breakfast cereals), इत्यादि।
  • स्टील कट ओट्स (steel cut oats)
  • नॉनस्टार्च वाली सब्जियां, जैसे- गाजर और फील्ड सब्जियां (field greens)
  • सेम और फलियां
  • शकरकंद (sweet potatoes)
  • मक्का
  • पास्ता
  • जैतून और वनस्पति तेल
  • नट्स, बीज और एवोकैडो
  • कम वसा वाले या वसा रहित डेयरी उत्पाद
  • सोयाबीन उत्पाद जैसे टोफू और टेम्पेह (tofu and tempeh)
  • अंडे का सफेद भाग (egg whites), इत्यादि।

(और पढ़ें – डायबिटीज कंट्रोल करने वाले आहार )

प्री डायबिटीज में परहेज – Prediabetes diet foods to avoid in Hindi

प्रीडायबिटीज की बीमारी में कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन, इसके जोखिम को बढ़ाने में मदद करता है। अतः प्रीडायबिटीज की स्थिति की रोकथाम के निम्न खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सिफारिश की जाती है, जिनमें शामिल हैं:

  • फलों का रस और सूखे फल (dried fruit)
  • केटोजेनिक आहार, जैसे- बीन्स, मटर और दाल
  • प्रोसेस्ड स्नैक फूड, जैसे कि आलू के चिप्स, टॉर्टिला चिप्स
  • मिठाई, जैसे- कैंडी, केक, आइसक्रीम, पाई (pie), पेस्ट्री और कुकीज़ (cookies)
  • तले हुए खाद्य पदार्थ, जैसे- डोनट्स (doughnuts), फ्रेंच फ्राइज़ और तला हुआ चिकन, इत्यादि।
  • स्टार्च वाली सब्जियाँ, जैसे- मटर, कद्दू (winter squash), मक्का (corn), इत्यादि।
  • शर्करा युक्त पेय, जैसे- सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक और सपोर्ट ड्रिंक इत्यादि।

(और पढ़ें – वजन कम करने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए )

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