महिला स्वास्थ्य की जानकारी

ब्लीडिंग और स्पॉटिंग है अलग, कैसे जाने फर्क – What’s the difference between bleeding and spotting in Hindi

Difference Between Bleeding And Spotting In Hindi: क्या आप जानती हैं, कि ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में अंतर होता है। स्पॉटिंग पीरियड के दौरान होने वाले स्त्राव से अलग है। स्पॉटिंग कई कारणों की वजह से हो सकती है, और क्या आप जानती है कि यह पीरियड्स के दौरान होने वाले रक्त स्राव से अलग होती है। लेकिन आप यह कैसे पता करेंगी कि आपको स्पॉटिंग हो रही है या आपके पीरियड्स शुरू हो गए हैं? महिलाएं पीरियड में होने वाली ब्लीडिंग के बारे में तो जानती हैं, लेकिन स्पॉटिंग की चर्चा नहीं करतीं। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में स्पॉटिंग होना सामान्य है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन अपनी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए पीरियड ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में अंतर जानना बेहद जरूरी है।

ब्लीडिंग महिलाओं के जीवन में एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। उनके मासिक धर्म चक्र के कारण हर महीने खून आता है, लेकिन कभी-कभी एबनॉर्मल या असामान्य ब्लीडिंग उनके लिए चिंता का कारण बन सकती है। पीरियड से पहले या बाद में योनि से खून आने लगता है, जिसे स्पॉटिंग कहते हैं। तनाव, गर्भनिरोधक, इंफेक्शन, फाइब्रॉइड्स या गर्भावस्था ऐसे मुख्य कारण हैं, जिससे खून के धब्बे आ जाते हैं। डॉक्टर्स का कहना है, कि स्पॉटिंग होना आम है। यह पीरियड्स के दौरान, गर्भावस्था के दौरान, सेक्स के बाद या स्त्री रोग संबंधी टेस्ट के बाद भी हो सकती है। ब्लीडिंग और स्पॉटिंग के बीच सबसे बड़ा अंतर जानने का अच्छा तरीका है, खून का रंग। माहवारी में होने वाली ब्लीडिंग का रंग भिन्न हो सकता है,  लेकिन स्पॉटिंग आमतौर पर हल्का भूरा रंग छोड़ती है। ऐसे एक नहीं कई तरीकों से आप ब्लीडिंग और स्पॉटिंग के बीच अंतर को समझ सकते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं, कि ब्लीडिंग स्पॉटिंग से अलग कैसे है। दोनों के बीच क्या अंतर है और आप कैसे इनके बीच का फर्क जान सकते हैं।

विषय सूची

  1. स्पॉटिंग ब्लीडिंग से कैसे अलग है – How Spotting Is Different From Bleeding in Hindi
  2. पीरियड ब्लीडिंग और स्पॉटिंग – Bleeding v/s spotting in Hindi
  3. मासिक धर्म में ब्लीडिंग – Bleeding in periods in Hindi
  4. मासिक धर्म में ब्लीडिंग के लक्षण – Symptoms of bleeding in menstruation in Hindi
  5. स्पॉटिंग का स्त्रोत क्या है  – What is the source of spotting in Hindi
  6. महिलाओं में स्पॉटिंग के कारण – Causes of spotting in Hindi
  7. स्पॉटिंग के लक्षण – Symptoms of spotting in Hindi
  8. ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में फर्क कैसे जानें – How do you know the difference between bleeding and spotting in Hindi
  9. डॉक्टर से कब संपर्क करें – When to call a doctor in Hindi
  10. क्या स्पॉटिंग के दौरान मैन्स्ट्रुअल कप का उपयोग किया जा सकता है – Can a menstrual cup be used during spotting in Hindi

स्पॉटिंग ब्लीडिंग से कैसे अलग है – How Spotting Is Different From Bleeding in Hindi

पीरियड्स ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में क्‍या है फर्क, ब्लीडिंग और स्पॉटिंग के बीच फर्क समझना बहुत मुश्किल है। फिर भी अगर आपको पीरियड की अवधि के दौरान दो दिनों तक रक्त बहे, तो यह ब्लीडिंग है। अगर खून बहुत हल्के रंग का है, तो यह स्पॉटिंग की निशानी है।

(और पढ़े – जानें पीरियड या मासिक धर्म चक्र क्‍या होता है…)

पीरियड ब्लीडिंग और स्पॉटिंग – Bleeding v/s spotting in Hindi

ब्लीडिंग और स्पॉटिंग बहुत कंफ्यूजन वाली स्थितियां हैं। आपको बता दें कि पीरियड और स्पॉटिंग की चर्चा दो स्थितियों में होती है। पहली स्थिति में गर्भवती महिलाओं में कई बार शुरूआती समय में हल्की फुल्की ब्लीडिंग होती है, जिसे वह पीरियड समझ लेती हैं। लेकिन दो महीने बाद पता चलता है कि वह प्रेग्नेंट है। दूसरी स्थिति में जो लड़कियां असुरक्षित यौन संबंध बनाती हैं, उन्हें एक या दो दिन बाद स्पॉटिंग होने लगती है। इस स्थिति को वे पीरियड मान बैठती हैं और बेफ्रिक हो जाती हैं। इसी कारण से वे गोली लेना भी जरूरी नहीं समझतीं। झटका तो उन्हें तब लगता है, जब दो महीने बाद उन्हें प्रेग्नेंसी महसूस होने लगती है।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी में महिलाओं को ब्लीडिंग होने के कारण…)

मासिक धर्म में ब्लीडिंग – Bleeding in periods in Hindi

गैर गर्भवती महिलाओं को हर 28 दिनों में मासिक धर्म में ब्लीडिंग होती है। हर महीने गर्भाशय की परत गर्भावस्था के लिए तैयार करने के लिए मोटी हो जाती है। अगर महिला गर्भवती नहीं होती, तो गर्भाशय इस परत को ब्लीडिंग के रूप में बहा देता है, जिससे पीरियड आता है।

एक नियमित शेड्यूल- महिलाओं के बीच पीरियड्स की अवधि अलग अलग होती है। ज्यादातर महिलाओं को हर महीने एक ही समय में पीरियड्स आते हैं, तो कुछ को अलग-अलग समय पर।

अनुमानित ब्लीडिंग पैटर्न– कई महिलाओं में मासिक अवधि हल्की ब्लीडिंग के साथ शुरू होती है और फिर ज्यादा हो जाती है और फिर स्पॉटिंग के साथ हल्की हो जाती है।

ब्लीडिंग का लाल रंग- मासिक धर्म में होने वाली ब्लीडिंग का रंग अक्सर लाल होता है। हालांकि , पीरियड के शुरू या अंत में खून का रंग भूरा हो सकता है।

(और पढ़े – पीरियड में ब्लीडिंग कम करने के घरेलू उपाय…)

मासिक धर्म में ब्लीडिंग के लक्षण – Symptoms of bleeding in menstruation in Hindi

आपके पीरियड्स के दौरान रक्त प्रवाह इतना ज्यादा होगा, कि कपड़ों को गंदा होने से बचाने के लिए सैनेटरी पैड यूज करना पड़ेगा। जबकि स्पॉटिंग इसकी तुलना में बहुत ही हल्की होती है। नीचे हम आपको ब्लीडिंग के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।

यदि आपको किसी अन्य स्थिति के कारण स्पॉटिंग हो रही है, तो आपके पास इन लक्षणों में से कुछ भी हो सकते हैं, या तो महीने के दौरान अन्य समय पर, या उसी समय आपको स्पॉटिंग का अनुभव होता है:

(और पढ़े – अनियमित मासिक धर्म के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार…)

स्पॉटिंग का स्त्रोत क्या है  – What is the source of spotting in Hindi

स्पॉटिंग अक्सर आपके ऊपरी रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट या लोअर रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट से आ सकती है। ये आपके पीरियड ब्लीडिंग से बहुत अलग है। भारी स्पॉटिंग अक्सर गर्भाशय से होती है, जबकि हल्की स्पॉटिंग ऊपरी या निचले ट्रेक्ट से आ सकती है।

(और पढ़े – पीरियड्स की जानकारी और अनियमित पीरियड्स के लिए योग और घरेलू उपचार…)

स्पॉटिंग के कारण – Causes of spotting in Hindi

स्पॉटिंग होने के कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।

मासिक धर्म  (Menstruation)

मासिक धर्म स्पॉटिंग का एक कारण है। इस दौरान होने वाली स्पॉटिंग पीरियड ब्लीडिंग से बहुत अलग होती है। मासिक धर्म की शुरूआत में अक्सर स्पॉटिंग महसूस होती है, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है, ये पूरी तरह से सामान्य है।

(और पढ़े – जानें पीरियड या मासिक धर्म चक्र क्‍या होता है…)

ओव्यूलेशन (Ovulation)

ओव्यूलेशन भी स्पॉटिंग का महत्वपूर्ण कारण है। जब अंडाशय ओव्यूलेशन में एक अंडा छोड़ता है, तो अंडे को बाहर निकालने के लिए छोटे फॉलिकल्स टूट जाते हैं, जो महिलाओं में हल्के धब्बे या स्पॉटिंग का कारण बनते हैं। यह एक दिन तक रहता है। वैकल्पिक रूप से एस्ट्रोजन में वृद्धि के कारण स्पॉटिंग हो सकती है। यह तब होता है, जब अंडा फर्टिलाइज नहीं होता।

गर्भाशय फाइब्रॉइड्स (Uterine fibroids)

जब एक अंडे को गर्भाशय पर छोड़ा जाता है, तो थोड़ी मात्रा में स्पॉटिंग हो सकती है। फाइब्रॉइड्स वाली कई महिलाएं पीरियड्स के बीच अनियमित रक्तस्त्राव का अनुभव कर सकती हैं।

इंप्लाटेशन (Implantation)

इंप्लाटेशन ब्लीटिंग तब होती है, जब भ्रूण गर्भाशय में प्रवेश करता है, तब ये जानना म़ुश्किल हो जाता है कि आपका पीरियड आ गया है या आप गर्भवती हैं।

(और पढ़े – इंप्लांटेशन ब्लीडिंग (आरोपण रक्तस्राव) क्या है, लक्षण, कितने दिन तक होती है…)

गर्भावस्था (Pregnancy)

लगभग 20 प्रतिशत महिलाओं में गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान स्पॉटिंग होती है। अक्सर, गर्भावस्था के पहले कुछ दिनों में रक्त दिखाई देता है, जब निषेचित अंडा गर्भाशय के अस्तर से जुड़ जाता है। कई महिलायें इस आरोपण रक्तस्राव को पीरियड्स समझने की भूल कर लेतीं है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे इतनी जल्दी महसूस नहीं करती हैं कि वे गर्भवती हैं।

पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (पीसीओएस) (Polycystic ovary syndrome)

अनियमित रक्तस्राव पीसीओएस का एक लक्षण है, एक ऐसी स्थिति जिसमें आपके अंडाशय अतिरिक्त पुरुष हार्मोन का उत्पादन करते हैं। पीसीओएस युवा महिलाओं में आम है। यह आपके अंडाशय में छोटे, द्रव से भरे थैलियों की वृद्धि की ओर जाता है।

असामान्य गर्भावस्था (Abnormal pregnancy)

गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी और अस्थानिक गर्भावस्था के कारण भी स्पॉटिंग हो सकती है। अगर आप इसके बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।

लेबर (Labour)

स्पॉटिंग का एक और गर्भावस्था संबंधी कारण लेबर है। यह आमतौर पर 37 सप्ताह के आसपास होता है, जब आपका शरीर म्यूकस प्लग से गुजरता है।

(और पढ़े – जानें प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) के लक्षण…)

गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine fibroids)

फाइब्रॉएड छोटे, गैर-कैंसरयुक्त गांठ होते हैं जो गर्भाशय के बाहर या अंदर बन सकते हैं। वे असामान्य योनि से रक्तस्राव पैदा कर सकते हैं, जिसमें पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग भी शामिल है।

संक्रमण व बीमारी (Infection and disease)

एसटीआई, प्रजनन संबंधी समस्याएं और पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिसीज जैसे संक्रमण स्पॉटिंग के कारण हो सकते हैं। अगर इन कारणों से आपको स्पॉटिंग नहीं है, तो डॉक्टर से इसकी जांच कराएं। अधिकांश संक्रमण में उपचार संभव है, लेकिन अगर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए, तो यह और भी गंभीर हो सकता है।

संक्रमण (Infections)

आपकी योनि, गर्भाशय ग्रीवा या आपके प्रजनन पथ के एक अन्य हिस्से में संक्रमण से कभी-कभी आपको स्पॉटिंग हो सकती  है। बैक्टीरिया, वायरस, और खमीर सभी संक्रमण का कारण बनते हैं। श्रोणि सूजन की बीमारी (पीआईडी) एक गंभीर संक्रमण है जो आप क्लैमाइडिया या गोनोरिया जैसे एसटीडी से प्राप्त कर सकते हैं।

(और पढ़े – एसटीडी रोग लक्षण, प्रकार और बचाव के तरीके, जानकर आप भी हो जाये सावधान!)

चोट लगने से (Due to injury)

योनि, गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय की चोट से असामान्य रक्तस्त्राव हो सकता है। यदि रक्तस्त्राव मामूली है और इसमें दर्द नहीं है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन यदि दर्द के साथ भारी ब्लीडिंग हो, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी नहीं करनी चाहिए।

रजोनिवृत्ति (Menopause)

रजोनिवृत्ति में कई साल लग सकते हैं। इस समय के दौरान, आपके मासिक धर्म की संभावना सामान्य से अधिक अप्रत्याशित होगी। यह हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण होता है। पूर्ण रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव बंद हो जाना चाहिए।

किसी के साथ रफ़ सेक्स या यौन हमले (Rough sex or sexual assault)

किसी के साथ रफ़ सेक्स के कारन योनि के अस्तर को कोई भी नुकसान आपको थोड़ा सा रक्तस्राव उत्पन्न कर सकता है।

(और पढ़े – जानिए यौन संबंध बनाने के बाद वेजाइना (योनि) से क्यों होती है ब्लीडिंग…)

स्पॉटिंग के लक्षण – Symptoms of spotting in Hindi

यदि आपको किसी अन्य स्थिति के कारण स्पॉटिंग हो रही है, तो नीचे इसके लक्षणों के बारे में जान लीजिए।

(और पढ़े – ओलिगोमेनोरिया (अनियमित पीरियड्स) क्या है, कारण, लक्षण, इलाज और रोकथाम…)

ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में फर्क कैसे जानें – How do you know the difference between bleeding and spotting in Hindi

आमतौर पर ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में अंतर करना बहुत मुश्किल है, लेकिन नीचे दिए गए तरीकों से आप ब्लीडिंग और स्पॉटिंग में फर्क जान सकते हैं।

ब्लीडिंग का रंग (Colour of bleeding)

यह ब्लीडिंग और स्पॉटिंग के बीच फर्क जानने का सबसे आम तरीका है। हल्के रंग के रक्त को स्पॉटिंग कहा जाता है। निर्भर करता है, कि रक्त कितना और कितने दिन के लिए है। जबकि पीरियड में होने वाली ब्लीडिंग तीन से सात दिन तक लगातार रहती है। लेकिन स्पॉटिंग के दौरान खून लगातार नहीं निकलता, बल्कि बीच-बीच में कभी-कभी रहता है। स्पॉटिंग में अजीब सी गंध आती है।

(और पढ़े – पीरियड्स के खून के रंग से जानिए क्या बीमारी है आपको…)

ब्लीडिंग का समय (Bleeding time)

मासिक धर्म रक्तस्त्राव आमतौर पर 28 दिनों का होता है। एक दो दिन आगे या पीछे होना आम बात है। अगर आपको रैगुलर पीरियड्स होते हैं, लेकिन महीने के अलावा किसी और दिन ब्लीडिंग का अनुभव कर रही हैं, तो यह स्पॉटिंग हो सकती है, ना कि इरैगुलर पीरियड्स। स्पॉटिंग अस्थिर होती है, जो पीरियड के समय नहीं बल्कि अलग दिनों में महसूस होती है।

ब्लीडिंग की अवधि  (Bleeding period)

सामान्य तौर पर, पीरियड के दिनों में रक्तस्त्राव 5 से 7 दिनों तक रहता है, लेकिन स्पॉटिंग होने पर ऐसा कुछ नहीं होता। यह अनियमित है और एक या दो दिन तक ही रहती है।

ब्लीडिंग पैटर्न (Bleeding pattern)

ब्लीडिंग पैटर्न से भी आप पीरियड्स में होने वाले रक्तस्त्राव और स्पॉटिंग के बीच आसानी से फर्क कर सकते हैं। आमतौर, पर मासिक धर्म में ब्लीडिंग शुरूआत में कम और बाद में ज्यादा होती है और फिर कम हो जाती है। जबकि स्पॉटिंग का कोई निश्चित पैटर्न नहीं है। यह आमतौर पर हल्की होती है।

बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल (Use of birth control)

कई बार नई बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल करके भी स्पॉटिंग का अनुभव हो सकता है। आईयूटी और इंप्लांट दोनों के कारण स्पॉटिंग हो सकती है। इसके अलावा अगर आप पीरियड्स को रोकने के लिए हर महीने बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही हैं, तो भी स्पॉटिंग महसूस हो सकती है।

(और पढ़े – गर्भनिरोधक के सभी उपाय और तरीके…)

इमप्लांटेशन (Implantation)

जब एक शुक्राणु अंडा फर्टिलाइज करता है और आरेापण की प्रक्रिया गर्भाशय में शुरू होती है, तो ब्लीडिंग होती है। यह हल्की हो सकती है,  इसे पीरियड की ब्लीडिंग नहीं माना जा सकता। इंप्लांटेशन ज्यादा से ज्यादा दो दिन तक चल सकता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर पीरियड से पहले होती है।

स्तनपान के समय  (Breastfeeding)

एक महिला का शरीर स्तनपान के दौरान कई बदलावों से गुजरता है। शिशु को स्तनपान कराते समय ओव्यूलेशन की प्रकिया दब जाती है। ओव्यूलेशन का सही समय डिलीवरी के बाद पहली अवधि से लगभग दो सप्ताह पहले का होता है। इस दौरान आपको सर्तकता बरतने की जरूरत है। क्योंकि इस समय महिलाएं खून के धब्बों यानि स्पॉटिंग का अनुभव करती हैं।

गर्भपात  (Miscarriage)

गर्भवस्था के दौरान खून का निकलना आम बात है। हालांकि, अधिकांश मामलों में यह गर्भपात का कारण बनता है। कभी-कभी गर्भपात की स्थिति में होने वाली ब्लीडिंग को पीरियड ब्लीडिंग मान लिया जाता है।

कैंसर (Cancer)

बहुत कम, लेकिन स्पॉटिंग कैंसर का लक्षण हो सकता है। योनि का कैंसर, ग्रीवा कैंसर, अंडाशयी कैंसर स्पॉटिंग का कारण बन सकते हैं। कैंसर की स्थिति में स्पॉटिंग दर्द के साथ होती है, जो कई महीनों तक रहती है। जो महिलाएं पिछली मेनोपॉज से पीडि़त हैं, या जिनके पास कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, वे जोखिम में हैं। बता दें, कि पोस्ट मेनोपॉजल महिलाओं को योनि से रक्तस्त्राव का अनुभव होना कभी भी सामान्य नहीं होता।

(और पढ़े – योनी कैंसर के लक्षण कारण जांच इलाज और बचाव…)

डॉक्टर से कब संपर्क करें – When to call a doctor in Hindi

कोई भी महिला जो लंबे समय से स्पॉटिंग का अनुभव कर रही हो, तो उसे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यहां हम आपको कुछ परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जब आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना होगा।

  • यदि स्पॉटिंग के दौरान चक्कर आएं या अजीब दुर्गंध आए।
  • यदि आप गर्भवती हैं या आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं।
  • अगर आपको लगातार स्पॉटिंग हो रही है।
  • यदि आपने असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं और स्पॉटिंग शुरू हो गई है।
  • अगर आपको स्पॉटिंग के दौरान दर्द या ऐंठन है।
  • आप कोई दवा लगातार ले रहीं हैं और आपको लगे कि दवा स्पॉटिंग का कारण बन सकती है।

(और पढ़े – चक्कर आने के कारण, लक्षण, निदान और इलाज…)

क्या स्पॉटिंग के दौरान मैन्स्ट्रुअल कप का उपयोग किया जा सकता है – Can a menstrual cup be used during spotting in Hindi

यदि आपको ऐसा लगता है, कि आप सामान्य से ज्यादा स्पॉटिंग कर रहे हैं, तो मैन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करना अच्छा विकल्प है।

इस लेख में हमारे द्वारा बताए गए तरीकों से आप ब्लीडिंग और स्पॉटिंग के बीच फर्क समझ गए होंगे। ब्लींडिंग महिलाओं में हर महीने होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन स्पॉटिंग असामान्य है। अगर आपको स्पॉटिंग हो रही है, तो डॉक्टर से हार्मोन ट्रीटमेंट के बारे में पूछें। अगर आप प्री-मेनोपॉजल पीरियड में हैं और स्पॉटिंग का अनुभव कर रही हैं, तो ऐसा होना सामान्य है, लेकिन अगर आप पोस्ट मेनोपॉजल कंडीशन में हैं, तो स्पॉटिंग होना सामान्य बात नहीं है। बेहतर है, इसके लिए आप किसी डॉक्टर से संपर्क करें। ध्यान रखें, जब तक आपकी स्पॉटिंग नियंत्रित न हो, तब तक पेंटी लाइनर्स अपने पर्स में जरूर रखें।

(और पढ़े – मासिक धर्म कप (मेंस्ट्रुअल कप) क्या है कैसे इस्तेमाल किया जाता है फायदे और नुकसान…)

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