गर्भावस्था

गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी – Miscarriage Causes, symptoms in Hindi

गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण, लक्षण और इसके बाद के लिए जानकारी - Miscarriage Causes, symptoms in Hindi

Garbhpat in Hindi मिसकैरेज: गर्भपात या गर्भ विफलता (miscarriage) प्रेगनेंसी के शुरूआत के कुछ हफ्तों में होने वाली एक आम समस्या है। गर्भपात के कारण ज्यादातर महिलाएं जन्म से पहले ही अपने बच्चे को खो देती हैं। यही कारण है कि जब तक गर्भवती महिला अपने बच्चे को सही तरीके से जन्म नहीं दे लेती है तब तक उसे हमेशा किसी न किसी बात का डर बना रहता है। गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले मिसकैरेज या गर्भपात आपके बच्चे को खो देना है। 20 सप्ताह के बाद मिसकैरेज को स्टिलबर्थ (stillbirth) कहा जाता है। 5 में से 1 बच्चा गर्भावस्था की पुष्टि तक 20 सप्ताह से पहले गर्भपात द्वारा समाप्त हो जाता है, लेकिन कई अन्य महिलाओं को मिसकैरेज, गर्भधारण या गर्भवती होने का पता चले बिना ही हो जाता है।

अगर आप मां बनने की तैयारी में हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको गर्भपात के कारण, लक्षण और इसके बाद की जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं।

विषय सूची

1. गर्भपात (मिसकैरेज) क्या है – What is a miscarriage in Hindi
2. गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण – Causes of miscarriage in Hindi

3. मिसकैरेज के लक्षण – symptoms of a miscarriage in hindi
4. गर्भपात के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है – Recovering from a miscarriage in hindi
5. गर्भपात से कैसे बचें – Garbhpat se kaise bache in hindi
6. मिसकैरेज के बाद दोबारा प्रेगनेंट होने के लिए क्या करें – what to do for Getting pregnant again in hindi

गर्भपात (मिसकैरेज) क्या है – What is a miscarriage in Hindi

गर्भपात (मिसकैरेज) क्या है - What is a miscarriage in Hindi

मिसकैरेज या गर्भपात (miscarriage) एक ऐसी घटना है जिसमें गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में ही भ्रूण नष्ट हो जाता है। इसे एक स्वतः गर्भपात (spontaneous abortion) भी कहा जाता है। जिसमें गर्भाशय से भ्रूण स्वत: निष्काषित हो जाता है या कर दिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था (pregnancy) की समाप्ति हो जाती है। किसी कारण भ्रूण के स्वतः समाप्त हो जाने को गर्भ विफलता (miscarriage) कहा जाता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले त्रैमासिक (first trimester), या शुरूआत के पहले तीन महीनों के दौरान होता है। गर्भपात का कारण प्रत्येक महिला में भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन तीन महीने के बाद या 14 से 26 सप्ताह के बीच होने वाले गर्भपात आमतौर पर गर्भवती मां के स्वास्थ्य स्थिति (health condition) के कारण होते हैं।

80 प्रतिशत से अधिक गर्भपात पहली तिमाही में होते हैं। यही वजह है कि कई महिलाएं अपनी गर्भावस्था की खबरें दूसरों को बताने से पहले 13 वें सप्ताह के बीतने तक इंतजार करती हैं।

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गर्भपात (मिसकैरेज) के कारण – Causes of miscarriage in Hindi

गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर आपके विकासशील भ्रूण को हार्मोन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। यह आपकी गर्भावस्था के दौरान आपके भ्रूण को सामान्य रूप से विकसित करने में मदद करता है। ज्यादातर मामलों में पहली तिमाही (first trimester) में गर्भपात इसलिए होता है क्योंकि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पाता है। ऐसे कई अलग-अलग कारक (factors) हैं जिसके कारण महिलाओं को गर्भपात होता है। आइये जानते हैं गर्भपात या मिसकैरेज के मुख्य कारणों के बारे में।

मिसकैरेज के कारण गुणसूत्र संबंधी समस्याएं – Chromosomal problems garbhpat ka karan in hindi

मिसकैरेज के कारण गुणसूत्र संबंधी समस्याएं - Chromosomal problems garbhpat ka karan in hindi

निषेचन (fertilization) के दौरान शुक्राणु और अंडे दोनों से 23 गुणसूत्र एक साथ मिलकर एक जोड़ी गुणसूत्र (chromosomes) का निर्माण करते हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है और एक मामूली सी गड़बड़ी होने पर आनुवंशिक असामान्यता हो जाती है जो भ्रूण (embryo) को बढ़ने से रोकती है। शोधकर्ता आनुवांशिकी कारकों को ही गर्भपात के लिए दोषी मानते हैं। जैसे जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है इस तरह की गड़बड़ी होने का खतरा भी बढ़ता जाता है।

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हार्मोन का असंतुलन महिलाओं में गर्भपात का कारण – Hormone imbalance Causes miscarriage in Hindi

हार्मोन का असंतुलन महिलाओं में गर्भपात का कारण - Hormone imbalance Causes miscarriage in Hindi

आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं को होने वाले सभी तरह के गर्भपात में करीब 15 प्रतिशत गर्भपात हार्मोन के असंतुलन के कारण होते हैं। अगर महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन (progesterone levels) नामक हार्मोन का स्तर कम है तो निषेचित अंडे का आरोपण (implanting) महिला के गर्भाशय में नहीं होगा। जिसके कारण गर्भपात होने की संभावना बढ़ सकती है

(और पढ़े – महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के कारण, लक्षण और इलाज…)

मिसकैरेज के कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं – Uterine problems Causes miscarriage in Hindi

मिसकैरेज के कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं - Uterine problems Causes miscarriage in Hindi

यदि किसी महिला के गर्भाशय के अंदर गर्भाशय का फाइब्रॉएड (Uterine fibroids) हो तो यह भ्रूण (fetus) को आरोपित होने या रक्त की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न करता है। कुछ महिलाओं को जन्म से ही सेप्टम (septum) यानि गर्भाशय में गड़बड़ी होती है। जबकि कुछ महिलाएं सर्जरी या पहले हो चुके गर्भपात के कारण गर्भाशय के उत्तकों में निशान पड़ जाता है जिसके कारण अंडे का ठीक से आरोपण नहीं हो पाता है या फिर नाल (placenta) में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। जिसके कारण गर्भपात हो जाता है।

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पुरानी बीमारी हो सकती है गर्भपात का कारण – Chronic illness Causes miscarriage in Hindi

पुरानी बीमारी हो सकती है गर्भपात का कारण - Chronic illness Causes miscarriage in Hindi

अगर किसी गर्भवती महिला को ऑटोइम्यून की बीमारी, ल्यूपस (चर्मक्षय), हृदय रोग, किडनी और लिवर की बीमारी और डायबिटीज हो तो गर्भपात होने की संभावना 6 प्रतिशत होती है। यदि आपको ये बीमारी काफी समय से है तो आपको प्रसूति विशेषज्ञ (obstetrician) से मिलकर सलाह लेनी चाहिए।

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बुखार भी है गर्भपात का कारण – Bukhar bhi hai garbhpat ka karan in Hindi

बुखार भी है गर्भपात का कारण - Bukhar bhi hai garbhpat ka karan in hindi

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप सामान्य रूप से कितनी स्वस्थ हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान आपको बार बार बुखार आता है और आपके शरीर का तापमान 102 डिग्री से अधिक  हो जाता है तो आपको गर्भपात हो सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि गर्भाशय में जब तक भ्रूण (embryo) छह हफ्ते से अधिक का नहीं हो जाता तब तक मां के शरीर का तापमान बढ़ना हानिकारक है।

इसके अलावा नशीली दवाओं के अत्यधिक इस्तेमाल, धूम्रपान और शराब पीने, प्रेगनेंसी के दौरान सड़क दुर्घटना (accident), कुछ दवाओं के सेवन, 35 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भधारण करना, संक्रमण और यहां तक की वायु प्रदूषण के कारण भी किसी महिला को गर्भपात हो सकता है।

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मिसकैरेज के लक्षण – symptoms of a miscarriage in Hindi

मिसकैरेज के लक्षण - symptoms of a miscarriage in hindi

गर्भावस्था के चरण (stage of pregnancy) के आधार पर गर्भपात के लक्षण अलग-अलग होते हैं। कुछ मामलों में यह इतनी जल्दी होता है कि आपको पता भी नहीं चल पाता कि आप गर्भवती थीं और आपका गर्भपात हो गया। आइये जानते हैं मिसकैरेज के मुख्य लक्षणों के बारे में।

अगर आपको गर्भावस्था के दौरान इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। गर्भपात का अनुभव किए बिना इन लक्षणों का होना भी संभव है। लेकिन आपका डॉक्टर परीक्षण करने के बाद ही यह सुनिश्चित करेगा कि सब कुछ ठीक है या नहीं।

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गर्भपात के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है – Recovering from a miscarriage in Hindi

गर्भपात के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है - Recovering from a miscarriage in hindi

मिसकैरेज के बाद किसी महिला के शरीर का फिर से उसी रुप में लौटना इस बात पर निर्भर करता है कि महिला को कितने महीनों की प्रेगनेंसी के बाद गर्भपात हुआ है। आमतौर पर गर्भपात के बाद महिला को मासिक धर्म की तरह रक्तस्राव (bleeding) होता है, स्तनों में दर्द और बेचैनी महसूस होती है और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है।

हालांकि गर्भधारण करने वाले हार्मोन गर्भपात के बाद कुछ महीनों तक रक्त में बने रह सकते हैं। लेकिन तीन से छह हफ्ते में आप पूरी तरह से ठीक हो सकती हैं। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप शारीरिक और भावनात्मक (emotionally) रुप से ठीक होने के लिए खुद को समय दें।

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गर्भपात से कैसे बचें – Garbhpat se kaise bache in Hindi

गर्भपात से कैसे बचें - Garbhpat se kaise bache in hindi

चूंकि अधिकांश गर्भपात गुणसूत्र (chromosome) संबंधी असामान्यताओं के कारण होता है, इसलिए इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है। लेकिन अगली बार गर्भधारण करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे कि आप गर्भपात से बच सकें।

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मिसकैरेज के बाद दोबारा प्रेगनेंट होने के लिए क्या करें – what to do for Getting pregnant again in Hindi

मिसकैरेज के बाद दोबारा प्रेगनेंट होने के लिए क्या करें - what to do for Getting pregnant again in hindi

अगर आपको एक बार गर्भपात हो चुका है तो अगली बार गर्भवती होने की प्लानिंग करने से पहले डॉक्टर से यह सलाह जरूर ले लें कि आपको कब प्रेगनेंट होना चाहिए। डॉक्टर आमतौर पर आपके शरीर में हार्मोन असंतुलन का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण (blood test) करते हैं और इसके साथ ही गुणसूत्र परीक्षण (chromosome test), रक्त या ऊतकों के नमूने लेकर टेस्ट करते हैं और श्रोणि (pelvic) एवं गर्भाशय का परीक्षण करने के साथ अल्ट्रासाउंड भी करते हैं और रिपोर्ट के आधार पर बताते हैं कि आपको गर्भधारण करने का सही समय क्या है।

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