बच्चो की देखभाल

बच्चे को ठोस आहार कब देना शुरू करें, क्या दें और किन बातों का रखें ध्यान – Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi

बच्चे को ठोस आहार कब देना शुरू करें, क्या दें और किन बातों का रखें ध्यान - Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi

First Foods To Feed Your Baby In Hindi वीनिंग का अर्थ होता है धीरे-धीरे एक नवजात शिशु को मां के दूध को छुड़वाकर। भोजन के रूप में उसे ठोस पदार्थ देना शुरू करना जो कि उसका वयस्क आहार होगा और वह अपनी मां के दूध को पूरी तरह छोड़ देगा। वीनिंग छोटे बच्चे को खाना खिलाने का तरीका है जिससे वह मां के दूध को स्वाभाविक रूप से छोड़ने में सक्षम होगा।

यह माना जाता है कि शिशु तब पूरी तरह ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तब उसे स्तनपान या महिला के स्तन का दूध (या बोतलबंद दूध) नहीं दिया जाता है।

शिशु को ठोस आहार देना शुरू करने के लिए, मां उसकी नर्सिंग (दूध पिलाना) रोकती है वही दूसरी ओर शिशु मां को मजबूर करने की कोशिश करता है कि वह उसको दूध पिलाना जारी रखे। वीनिंग शिशु भोजन के पहले कौर के साथ शुरू होता और मां के अंतिम स्तनपान के साथ खत्म होता है। शिशु को कब और कैसे ठोस खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, यह उसकी स्वस्थ्य खान-पान की आदतों को बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

यह आर्टिकल आपको अपने शिशु का दूध कैसे छुड़ायें, इस पर जानकारी देगा जिसमें आप जानेंगी कि आप शिशु को क्या और किस तरह खिलाएं और कौन सा समय उसके खाने के लिए सही है इसके अलावा अन्य और संभावित परेशानियों के बारे में इस लेखे में सुझाव दिये जा रहे हैं।

विषय सूची

1. शिशु को ठोस आहार देना कब शुरू करना चाहिए – When to Start Solid food to Babies in Hindi
2. मां का दूध छुड़ाने के उपाय – Ways To Stop Breastfeeding Baby In Hindi
3. बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत करने के तरीके – Baby-Led Weaning In Hindi

4. पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाना – How Do You Start Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi

5. शिशु को ठोस का पहला स्वाद – First Tastes Of A New Born Baby In Hindi
6. छोटे बच्चे को ठोस आहार में क्या दें – Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi
7. ब्रैस्ट मिल्क छोड़ने पर बच्चे का आहार – Your Baby’s First Solid Foods In Hindi
8. बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते समय क्या न खिलाएं – Foods To Avoid While Weaning A Baby In Hindi
9. शिशु को ठोस आहार देने के लिए टिप्स – Tips For Successful Weaning In Hindi
10. शिशु को शुरुआती आहार के संभावित खतरे – Weaning Related Potential Threats In Hindi

11. शिशु में चोकिंग के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स – Tips To Reduce Risk Of Choking In Baby In Hindi

शिशु को ठोस आहार देना कब शुरू करना चाहिए – When to Start Solid food to Babies in Hindi

शिशु को ठोस आहार देना कब शुरू करना चाहिए - When to Start Solid food to Babies in Hindi

अधिकांश स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि शिशुओं को लगभग 6 महीने की उम्र में ठोस भोजन खिलाना शुरू कर देना चाहिए।

शिशु को अक्सर छह महीने में ही खाने की चीजें देने की सिफारिश की जाती है क्योंकि इस समय बच्चे उन अतिरिक्त पोषक तत्वों की जरूरत महसूस करने लगतें हैं जो मदर मिल्क में नहीं पाई जाती जैसे कि आयरन और जस्ता (Zink)। शिशु को कम मात्रा में ठोस भोजन देने से आप इन कमियों को पूरा कर सकतीं हैं।

अपने बच्चे को सॉलिड फूड देने का समय तब होता है जब शिशु आपको निम्न संकेत देना शुरू कर दे –

  • शिशु का अच्छा से बैठना।
  • बच्चे का अपने सर का अच्छा नियंत्रण।
  • बच्चे अपने मुंह में भोजन रख पा रहा है या नहीं और वह खाना चबाने के लिए रेडी हैं या नहीं।
  • क्या बच्चा खुद से भोजन उठाकर मुंह में डाल सकता है।
  • क्या बच्चा खाना लेने के लिए उत्सुक है और वह इसको दर्शाता है।
  • शिशुओं को 6 महीने से पहले ठोस पदार्थों के लिए तैयार होना दुर्लभ है।

यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा इन संकेत को दिखा रहा है कि वह दूध के अलावा ठोस आहार (सॉलिड फूड) लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक 6 महीने का नहीं हुआ है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

(और पढ़े – 6 महीने के बच्चे को खिलाएं ये आहार…)

मां का दूध छुड़ाने के उपाय – Ways To Stop Breastfeeding Baby In Hindi

मां का दूध छुड़ाने के उपाय – Ways To Stop Breastfeeding Baby In Hindi

मां के दूध स्वाभाविक रूप से बंद करने के लिए और बच्चे को ठोस आहार देने का कोई सही तरीका नहीं है। प्रत्येक दृष्टिकोण के फायदे और नुकसान को जानने से आपको अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

सबसे उपयुक्त क्या है यह निर्धारित करने के लिए आप इन विधियों को मिश्रण के तौर पे यूज कर सकतीं हैं। माँ स्वाभाविक रूप से बच्चे को खाना खिलाना दो तरीकों से शुरू कर सकतीं हैं – पारंपरिक और बेबी-लेड वीनिंग।

(और पढ़े – नवजात बच्चों को इंफेक्शन से बचाता है मां का दूध…)

बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत करने के तरीके – Baby-Led Weaning In Hindi

बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत करने के तरीके - Baby-Led Weaning In Hindi

बच्चे का दूध बंद करने के लिए माएं शिशुओं को शुरू से ही खुद से खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। आप बच्चे को छोटे-छोटे ठोस खाद्य पदार्थ दे सकतीं हैं और धीरे धीरे आपका बच्चा अपने खाने को खुद से लेना शुरू कर देगा। इसे बेबी लेड वीनिंग (baby led weaning) कहा जाता है।

बेबी लेड वीनिंग की विधि के फायदे – Pros Of Baby-Led Weaning In Hindi

बेबी लेड वीनिंग बच्चे में खुद से खाना लेने की आदत डाल सकता है क्योंकि यह उसके स्वतंत्र खाने को जल्दी प्रोत्साहित करता है। इस तरह की खाने की विधि से बच्चे खुद समझ पाते हैं कि उन्हें कितना खाना खाना है और इससे उनकी उम्र बढ़ने पर ओवरवेट होने की संभावना कम हो जाती है। ऐसा होने पर आपको बच्चे के लिए अलग से खाना बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप शिशु के साथ ही पूरे परिवार के साथ खाना खा सकती हैं।

बेबी लेड वीनिंग की विधि के नुकसान – Cons Of Baby-Led Weaning In Hindi

  • बेबी लेड वीनिंग बच्चे में गैगिंग और गला चोक होने की चिंताएं बढ़ाता है। हालांकि अगर आप सही तरीके का बच्चे को खाना देंगे तो गला चोक होने का यह रिस्क पारंपरिक बेबी फीडिंग के बराबर ही हो जाएगा।
  • इस विधि को अपनाने का एक और नुकसान यह है कि आप यह नहीं जान पाएंगी कि आपके बच्चे ने कितना खाना खाया है।
  • कुछ खाना खाने पर बच्चा अपने ऊपर खाना गिरा भी सकता है।
  • बच्चे में यदि किसी एक प्रकार के खाने के कारण कोई एलर्जी होती है तो इसके बारे में आपको जानकारी मिल पाना मुश्किल होगा।

(और पढ़े – नवजात शिशु को उल्टी होना, कारण, लक्षण और घरेलू उपाय…)

पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाना – How Do You Start Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi

पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाना - How Do You Start Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi

इस तरीके में आप अपने बच्चे को धीरे-धीरे भोजन देना शुरू करती हैं जिसमे सबसे पहले स्मूथ फ्यूरी शामिल होती है। खाने के लिए आप बच्चे को मेश्ड पोटैटो, फिंगर फूड दे सकतीं हैं।

पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाने के फायदे – Benefits Of Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi

  • इस विधि में यह देखना आसान है कि आपने बच्चे ने कितना खाना खाया है।
  • यह बच्चे के कपड़े ज्यादा गंदे होने से रोकता है।

पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाने के नुकसान – Disadvantages Of Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi

  • इस विधि में बच्चे के लिए अलग-अलग प्रकार के खाने की चीजें बनाना आपके लिए टाइम कंजूमिंग हो सकता है।
  • इस विधि को अपनाने से बच्चे में अधिक स्तनपान का खतरा हो सकता है, क्योंकि आप अपने बच्चे के पेट भरने का संकेत समझ नहीं पाएंगी।
  • यदि शिशुओं को प्यूरीज की आदत हो जाती है, तो उन्हें अन्य खाने की चीजों को लेना मुश्किल हो सकता है।
  • बच्चे की खुद से ईटिंग हैबिट बनाना या शिशुओं को मां के द्वारा खाना खिलाना, इन दोनों तरीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं।

(और पढ़े – बच्चे को दूध पिलाने (स्तनपान कराने) के तरीके और टिप्स…)

शिशु को ठोस का पहला स्वाद – First Tastes Of A New Born Baby In Hindi

खाने की अच्छी आदतें विकसित करने के लिए पहले स्वाद महत्वपूर्ण हैं।

बच्चे को खाने की चीजों से अवगत कराते हुए, वह कितना खा पा रहा है इस पर ध्यान देने की बजाय बच्चे को कई बार खिलाने पर ध्यान दें। शिशु को ठोस आहार देनें (वीनिंग) के शुरुआती स्टेजेस में, आपका शिशु अभी भी ज्यादातर पोषण ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला मिल्क से ही प्राप्त करेगा।

आप अपने बच्चे के नये भोजन के बारे में सकारात्मक अनुभव कराने की कोशिश करें।

दूध पिलाने के लगभग एक घंटे बाद और जब आपका शिशु बहुत थका हुआ नहीं होता है, तब उसको भोजन देने के लिए यह समय अक्सर सबसे अच्छा समय होता है। थोड़े से ब्रेस्टमिल्क या फार्मूला मिल्क के साथ खाद्य पदार्थों को मिलाने से आपका शिशु खाने में रूचि ले सकता है।

(और पढ़े – बच्चे को स्तनपान कराने से होते हैं ये बड़े फायदे…)

छोटे बच्चे को ठोस आहार में क्या दें – Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi

छोटे बच्चे को ठोस आहार में क्या दें – Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi

आप अपने बच्चे को ठोस आहार की शुरुआत करने के लिए उबले हुए, और मैश किये हुए या फिंगर फूड्स भोजन के रूप में दे सकतीं हैं। आप शिशु को नरम, पकी हुई सब्जियाँ- ब्रोकोली, गाजर, आलू, शकरकंद, बटरनट स्क्वैश, कद्दू, मटर दे सकतीं हैं। इसके अलावा फलों में आप नरम फल जैसे कि केला, आम, ब्लूबेरी, रेस्पबेरी, एवोकैडो, पका हुआ नाशपाती या सेब, आलूबुखारा खिला सकतीं हैं जो कि प्यूरी के फॉर्म में या मसले हुए या फिंगर फूड की रूप में परोसे जा सकतें हैं। (फिंगर फूड – सीधे हाथ का उपयोग करके खाया जाने वाला भोजन है)

  • अनाज- बेबी को दलिया, चावल, क्विनोआ, बाजरा जो पकाया हुआ और अच्छे से मेश किया हुआ दिया जा सकता है और इसमें आप थोड़ी मात्रा में ब्रेस्टमिल्क या फार्मूला मिल्क मिला सकतीं हैं।
  • आप बच्चे को चम्मच भर भोजन या कुछ निवालें दे सकतीं हैं जिसे आप हफ्ते भर के लिए दें जब तक आपको समझ में आ जाये की आपका बच्चा कितना खाना खा पता है।
  • माएं शिशुओं को नए-नए फूड आइटम्स हर दिन दे सकतीं हैं, और चाहें तो मिक्स करके कई खाद्द पदार्थ दे सकतीं हैं। उदाहरण के लिए, शिशु के लिए चावल को नाशपाती के साथ या केले को एवोकैडो के साथ मिलाकर अपने बच्चे को खिला सकती हैं।
  • आप अपने बच्चे को पानी पीने की इसकी आदत डालने के लिए एक कप में पानी के घूंट देना शुरू कर सकतीं हैं।
  • बच्चे को पहले स्वाद का अनुभव देने के लिए आप कई तरीके के प्रयोगों के बारे में सोच सकतीं हैं और अपने बच्चे को कई तरह के फूड आइटम्स से परिचित करा सकतीं हैं। आप अपने शिशु को फल, अनाज और पकी हुई, नरम सब्जियां दे सकतीं हैं।

(और पढ़े – दलिया खाने के फायदे स्वास्थ्य लाभ और नुकसान…)

ब्रैस्ट मिल्क छोड़ने पर बच्चे का आहार – Your Baby’s First Solid Foods In Hindi

ब्रैस्ट मिल्क छोड़ने पर बच्चे का आहार - Your Baby's First Solid Foods In Hindi

एक बार जब आपका बच्चा लगभग 6 महीने का हो जाता है और नियमित रूप से ठोस भोजन का सेवन करने लगता है, तो आप धीरे-धीरे रोजाना बच्चे को तीन टाइम का भोजन दे सकतीं हैं।

बस इस बात का ध्यान रखें की बच्चे को विभिन्न बनावट के खान-पान से अवगत कराएं और उन संकेतों को देखें जिससे आपको आपके बच्चे के पेट के भर जाने का पता चलाने में मदद हो।

आप बच्चे के आहार में निम्न चीजें शामिल कर सकतीं हैं –

  • बच्चे का ठोस आहार मांस (लीन मीट) मुर्गी या मछली ये नरम होतें हैं और खाने में आसान होतें हैं। बच्चे को यह देने से पहले किसी भी हड्डी को हटा दें।
  • शिशु को ठोस आहार में दें अंडे शिशु को खिलाने के लिए इन्हें अच्छी तरह से पका लें।
  • पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पाद इनमें सादा दही और पनीर अच्छे विकल्प हैं।
  • लस युक्त अनाज और अनाज  – इनके विकल्प में पास्ता और जौ शामिल हैं।
  • शिशु को ठोस आहार में खिलाएं दालें (Pulses) – आपके बच्चे को बटर बीन्स, दाल, मटर और छोले पसंद आ सकते हैं।
  • फिंगर फूड्स – राइस केक, ब्रेडस्टिक्स और पका हुआ पास्ता, साथ ही सॉफ्ट फ्रूट्स (केला, नाशपाती, आम, एवोकैडो) और नरम, पकी हुई सब्जियाँ (गाजर, शकरकंद की वेजेज, ब्रोकोली) आजमाए।
  • मेवे और बीज – सुनिश्चित करें कि ये बारीक पिसे हों या अखरोट के मक्खन के रूप में दिए गए हों। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पूरे नट्स (Whole Nuts) नहीं खिलाने चाहिए।

लगभग 7-9 महीनों तक का होने पर कई बच्चे प्रत्येक दिन तीन बार छोटे भोजन को मैनेज कर सकते हैं। बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत में प्रत्येक भोजन में प्रोटीन, कार्ब्स और वसा के स्रोत को शामिल करने का प्रयास करें।

लगभग 9 से 11 महीनों में, कई बच्चे भोजन को छोटे छोटे टुकड़े और बाईट में ले सकते हैं। उन्हें फिंगर फूड, जैसे कच्ची मिर्च, तोरी, सेब, गाजर और ब्रेड दी जानी चाहिए। इस उम्र तक, अधिकांश बच्चे दैनिक रूप से तीन बार खाना खा सकते हैं और कुछ मिठाई भी ले सकते हैं, जैसे कि सादा दही या कोई फल।

1 वर्ष की आयु में, अधिकांश बच्चे परिवार के बाकि लोगों की तरह खाना खा सकते हैं। याद रखें कि प्रत्येक बच्चा अलग होता है – आपका बच्चा अपनी जरूरतों के आधार पर कम या ज्यादा खा सकता है।

एक बार जब आपका बच्चा विभिन्न प्रकार के भोजन को खाना सीख चुका होता है, तो आप धीरे-धीरे उसे और अधिक ठोस पदार्थ दे सकते हैं। 12 महीनों में, बच्चों को प्रत्येक दिन तीन छोटे भोजन और कुछ स्नैक्स खाने चाहिए।

(और पढ़े – ये है वो 8 फूड्स जिनको बच्चों को खिलाने से जल्दी बढ़ेगी हाइट…)

बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते समय क्या न खिलाएं – Foods To Avoid While Weaning A Baby In Hindi

बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते समय क्या न खिलाएं - Foods To Avoid While Weaning A Baby In Hindi

यह महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा कई प्रकार के भोजन को खाए,  लेकिन कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें आपको अपने बच्चे को नहीं देना चाहिए, जिनमें निम्न शामिल हैं –

शहद – 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं को बोटुलिज़्म (Botulism) के खतरे के कारण कभी भी शहद न दें, यह गंभीर रूप से बच्चे को फूड पॉइजनिंग दे सकता है।

अंडरकुक्ड अंडे – इनमें साल्मोनेला बैक्टीरिया (Salmonella Bacteria) हो सकते हैं, जो आपके बच्चे को बीमार बना सकते हैं।

अस्वास्थ्यकर डेयरी उत्पाद पाश्चुरीकरण (Pasteurization) उन डेयरी उत्पादों में बैक्टीरिया को मारता है जो संक्रमण का कारण हो सकते हैं।

मीठे, नमकीन या हाई प्रोसेस्ड फूड आइटम या पेय – ये आमतौर पर बहुत कम पोषक तत्वों से भरे होते हैं। चीनी दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है, और बच्चों की किडनी बहुत अधिक नमक का सामना नहीं कर सकती है। पारिवारिक भोजन में भी नमक डालने से बचें।

साबुत मेवे चोकिंग के जोखिम के कारण 5 साल से कम उम्र के बच्चों को यह खाने को न दें। यदि अखरोट से एलर्जी का पारिवारिक इतिहास है या यदि आपके बच्चे को किसी प्रकार की एलर्जी है, तो अखरोट के उत्पादों को बच्चे को देने से पहले अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

कम वसा वाले उत्पाद शिशुओं को अपने आहार में वयस्कों की तुलना में अधिक वसा की आवश्यकता होती है।

गाय का दूध – आप गाय के दूध को कम मात्रा में बच्चे के खाने की चीजों में मिला सकती हैं। हालांकि, इसे कभी भी मुख्य पेय के रूप में या बड़ी मात्रा में नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह आपके बच्चे को पर्याप्त आयरन या पोषक तत्व प्रदान नहीं करता है।

हालांकि, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आपको अपने बच्चे को कभी नहीं देना चाहिए। इनमें शहद, अंडरकुक्ड अंडे और पूरे नट्स शामिल हैं।

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शिशु को ठोस आहार देने के लिए टिप्स – Tips For Successful Weaning In Hindi

कुछ तरीकों को अपनाने से आपको शिशु को ठोस आहार देने (वीनिंग प्रक्रिया) में आसानी हो सकती है –

बच्चे को सब्जियां पहले खिलाएं – बच्चों को नैचुरली मीठे फूड आइटम पसंद होतें हैं, इसलिए उन्हें सब्जियां पहले खिलाएं और उसके बाद में फल दें ताकि वह सब्जी खाने को मना न करे।

शिशु को कई तरह के फूड आइटम दें – एक ही प्रकार के खाने को बार बार देने से बचें। अगर आपके बच्चे को कुछ खाद पदार्थ पसंद नहीं हैं तो भी उन्हें उसको देने की कोशिश करें जब तक बच्चे को इसकी आदत न पड़ जाये। और इसके साथ दूसरे खाने की चीजों को मिला सकतें हैं।

बच्चे को ओवर ईटिंग न कराएं – अपने बच्चे को कभी भी जबरदस्ती जरूरत से ज्यादा खाना न खिलाएं। क्योंकि बच्चे पेट भर जाने पर अपने आप खाना लेना बंद कर देतें हैं।

शिशु को आराम से खाना खाने दें –  भले ही वह यहां वहां खाने के कौरों को गिराए। इससे आप उसको खाने के साथ एक्सपेरिमेंट करने को प्रोत्साहित करेंगी। और उसकी खाने के साथ एक अच्छा सम्बन्ध बनेगा।

बच्चे को परिवार के साथ खाना खिलाएं – इससे बेबी आराम से दूसरों को देखने से ज्यादा आसानी से खाना खा लेते हैं।

बच्चे का खाना फ्रिज में रखें – खाना फ्रिज में आइस क्यूब के बीच में रखें यदि आप रोज-रोज खाना बनाने से बचना चाहतीं हों।

कुछ तरीकों से आप वीनिंग में अधिक सफल हों सकतीं हैं, जैसे कि अपने बच्चे को परिवार के साथ खाना खाते वक्त शामिल करना, मिठाई से पहले बच्चे को डेलीशिअस खाना देना और अपने बच्चे को मेस करने देना।

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शिशु को शुरुआती आहार के संभावित खतरे – Weaning Related Potential Threats In Hindi

शिशु को शुरुआती आहार के संभावित खतरे - Weaning Related Potential Threats In Hindi

हालांकि वीनिंग मज़ेदार और आकर्षक होनी चाहिए, लेकिन इसके जोखिम के बारे में जागरूक होना भी जरुरी है। शिशु के शुरुआती आहार (वीनिंग) के रिस्क इस प्रकार हैं –

शिशु को ठोस आहार से फूड एलर्जी होना – Food Allergies In Little Baby While Weaning In Hindi

  • भले ही आप अपने शिशु को कई तरह के आहार देना चाहेंगी पर कुछ चीजों से आपके बच्चे को एलर्जी हो सकती है।
  • यदि आपके परिवार में फूड एलर्जी का इतिहास है या यदि आपके बच्चे को एक्जिमा है तो इसका जोखिम और भी बहुत अधिक है।
  • 4 और 6 महीने की उम्र के बीच बच्चे को लगभग सभी खाद्य पदार्थों का अनुभव देने से बच्चे में एलर्जी और सीलिएक रोग का खतरा कम हो सकता है।
  • यदि आपको फूड एलर्जी के बारे में कोई चिंता है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें।

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छोटे बच्चे को चोकिंग होना – Choking In Baby In Hindi

  • बच्चे को ठोस भोजन देना शुरू करने पर चोकिंग की एक महत्वपूर्ण परेशानी हो सकती है।
  • हालांकि, यह जानना जरुरी है कि बच्चे का गैगिंग सीखना पूरी तरह से सामान्य हिस्सा है। यह शिशुओं को चोकिंग को रोकने के लिए सुरक्षा रिफ्लेक्स के रूप में काम करता है।
  • गैगिंग के लक्षणों में बच्चे का मुंह खोलना और जीभ को आगे पीछे करना, स्पंदन (Flutter) और / या खांसी शामिल हैं।
  • हालांकि, चोकिंग अधिक गंभीर समस्या है। यह तब होता है जब भोजन वायुमार्ग (Airway) को ब्लॉक करता है, जिसका मतलब  है कि आपका बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है।
  • इसके लक्षणों में – शिशु का नीला पड़ना, मौन रहना और शोर करने में असमर्थ होना शामिल है। आपका बच्चे को खांसी भी शुरू हो सकती है या – गंभीर मामलों में – बच्चा बेहोश भी हो सकता है।

(और पढ़े – बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय…)

शिशु में चोकिंग के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स – Tips To Reduce Risk Of Choking In Baby In Hindi

  • भोजन करते समय अपने बच्चे को सीधा बैठाएं।
  • भोजन करते समय अपने बच्चे को कभी भी अकेला न छोड़ें।
  • उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि होल नट्स, अंगूर, पॉपकॉर्न, ब्लूबेरी और मांस और मछली से बचें, जिनमें हड्डियां हो सकती हैं।
  • बच्चे को एक ही बार में बहुत अधिक भोजन न दें।
  • यदि आपका बच्चा चोक करता है, तो आपको अगले चरणों के बारे में पता होना चाहिए। इसके लिए प्राथमिक चिकित्सा में ट्रेनिंग लेना अच्छा विचार हो सकता है।
  • अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे का दम घुट रहा है और वह खाना नहीं खा पा रहा है, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं ( Emergency Services) को कॉल करें।
  • वीनिंग के दौरान फूड एलर्जी और घुटन एक आम समस्या है। कई खाने की चीजों को अलग अलग करके बच्चे को देने से और कुछ उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थों से बचने से आप इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकतीं हैं।

(और पढ़े – जानिए जंक फूड (फास्ट फूड) के नुकसान और हानिकारक प्रभावों को…)

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