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वायरल फीवर के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव – Viral fever Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

वायरल फीवर के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव – Viral fever Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

मानसून के दौरान लगभग सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को वायरल फीवर हो सकता है, जो कि सामान्य बात है। तीव्र वायरल इन्फेक्शन (acute viral infections) को वायरल बुखार के रूप में जाना जाता है, जिसका मुख्य कारण मौसम में परिवर्तन और वातावरण में संक्रमण को माना जाता है। वायरल फीवर या बुखार की स्थिति में व्यक्ति अक्सर कुछ अन्य लक्षणों का भी अनुभव भी कर है, जिनमें नाक बहना, खाँसी, मितली, थकान और शरीर में दर्द इत्यादि शामिल हो सकते हैं। वायरल बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकता है। जागरूकता की कमी के कारण, वायरल बुखार का समय पर निदान नहीं किया जाता है। इसके अलावा लोग बुखार को कम करने के लिए स्वयं एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने लगते हैं, जिससे जटिलताओं का खतरा ओर बढ़ जाता है। इसलिए वायरल बुखार का शीघ्र निदान और डॉक्टर से इलाज कराना महत्वपूर्ण है।

वायरल फीवर के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें, जिसमें वायरल बुखार के लक्षण कारण जाँच इलाज और बचाव के बारे में बताया गया है।

वायरल बुखार क्या है? – What is Viral fever in Hindi

मानसून के दौरान होने वाली आम बीमारियों में वायरल फीवर सबसे सामान्य है। अधिकांश लोगों के शरीर का सामान्य तापमान 98.6°F या 37°C होता है। सामान्य शारीरिक तापमान से एक डिग्री भी अधिक का तापमान बुखार माना जाता है। बुखार का आना अक्सर इस बात की ओर इशारा करता है, कि आपका शरीर किसी प्रकार के जीवाणु या वायरल संक्रमण से लड़ रहा है। वायरल बुखार एक प्रकार का बुखार है, जो शरीर के अन्दर वायरल संक्रमण के कारण उत्पन्न होता है।

सामान्य सर्दी से लेकर फ्लू तक अनेक तरह के वायरल संक्रमण इंसानों को प्रभावित कर सकते हैं। निम्न श्रेणी का बुखार कई तरह के वायरल संक्रमणों का एक लक्षण है। लेकिन कुछ वायरल संक्रमण, जैसे डेंगू इत्यादि की बजह से तेज बुखार आ सकता है।

ध्यान रखें कि वायरल (viral infections) और बैक्टीरियल (bacterial infections) दोनों तरह के संक्रमण अक्सर समान लक्षण पैदा करते हैं। इस स्थिति में बगैर निदान के वायरल संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना जोखिमदायक हो सकता है।

(और पढ़ें: मानसून में होने वाली बीमारियां, लक्षण और बचाव….)

वायरल बुखार के लक्षण – Viral fever symptoms in Hindi

वायरल बुखार के लक्षण - Viral fever symptoms in Hindi

वायरल बुखार की स्थिति में शरीर का तापमान 99°F से लेकर 103°F या 39°C तक हो सकता है। बुखार के तापमान में यह परिवर्तन अंतर्निहित वायरस या वायरल संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है।

यदि किसी व्यक्ति को वायरल बुखार है, तो उसे बुखार के साथ निम्न सामान्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है, जैसे:

(और पढ़ें: टाइफाइड बुखार कारण लक्षण और इलाज…)

वायरल बुखार के कारण – Causes of Viral fever in Hindi

वायरल बुखार का मुख्य कारण वायरस संक्रमण होता है। वायरस शरीर की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं और कोशिकाओं के अन्दर गुणा करते हैं। बुखार आना, शरीर द्वारा इन संक्रमित वायरस से लड़ने का एक तरीका है। चूँकि कुछ वायरस तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, शरीर के तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप वायरस अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं।

मानव शरीर अनेक तरीकों से वायरस से संक्रमित हो सकता है, और वायरल फीवर का कारण बन सकता है, जिनमें शामिल हैं:

साँस के माध्यम से (Inhalation) – यदि आपके आस-पास वायरल संक्रमण से संक्रमित कोई भी व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो वायरस युक्त बूंदें (droplets) हवा में मिल जाती हैं और उस हवा में सांस लेने (इनहेलेशन) से आप संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इनहेलेशन के माध्यम से वायरल फीवर का कारण बनने वाले वायरस में फ्लू और सामान्य सर्दी शामिल हैं।

अंतर्ग्रहण के माध्यम से (Ingestion) – दूषित भोजन में वायरस मौजूद हो सकते हैं। और यदि आप इस दूषित भोजन का सेवन करते हैं तो आपको वायरल संक्रमण हो सकता है। अंतर्ग्रहण के माध्यम से वायरल बुखार का कारण बनने वाले वायरस में नोरोवायरस (norovirus) और एंटेरोवायरस (enteroviruses) शामिल हैं।

डंक के माध्यम से (Bites) – कीड़े और अन्य जीव कुछ प्रकार के वायरस को फैलाने का मुख्य स्रोत होते हैं। जब यह जीव आपको काटते हैं, तो इनके डंक से यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है और व्यक्ति वायरल संक्रमण से संक्रमित हो जाता है। काटने के माध्यम से वायरल फीवर का कारण बनने वाले वायरस में डेंगू और रेबीज शामिल हैं।

शारीरिक द्रव के माध्यम से (Bodily fluids) – वायरल संक्रमण से संक्रमित किसी भी व्यक्ति के साथ शारीरिक तरल पदार्थ का आदान-प्रदान होने से आप वायरल इन्फेक्शन का शिकार हो सकते हैं। शारीरिक द्रव के माध्यम से वायरल फीवर का कारण बनने वाले वायरल संक्रमण में हेपेटाइटिस बी और एचआईवी शामिल हैं।

(और पढ़ें: मानसून में फंगल इंफेक्शन के घरेलू उपाय…)

वायरल बुखार के जोखिम कारक – Viral fever risk factor in Hindi

मौसमी बुखार या वायरल बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित हो सकता है। वायरल फीवर या वायरल संक्रमण के जोखिम कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • यौन संपर्क (sexual contacts)
  • दूषित पानी या अस्वास्थ्यकर भोजन का सेवन करना
  • दूषित क्षेत्रों या गंदे क्षेत्रों में रहना
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ रक्त का आदान-प्रदान करना।

वायरल फीवर में डॉक्टर को कब दिखाएं? – When to see a doctor for viral fever in Hindi

वायरल फीवर में डॉक्टर को कब दिखाएं? - When to see a doctor for viral fever in Hindi

हालांकि वायरल बुखार आना चिंता का विषय नहीं है। वायरल बुखार आमतौर पर 1 से 3 दिनों के बाद अपने आप चला जाता है। लेकिन अगर आपको 103°F (39°C) या इससे अधिक बुखार रहता है, तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इसके अलावा यदि बच्चों को 100.4°F (38°C) या इससे अधिक बुखार रहता है, तो डॉक्टर की सिफारिश अवश्य लें।

इसके अलावा यदि आपको बुखार के अलावा अन्य लक्षण नज़र आ रहें तो रखें, तो डॉक्टर को दिखाना सुनिश्चित करें। इन लक्षणों में शामिल हैं:

वायरल बुखार का निदान – Viral fever Diagnosis in Hindi

वायरल (viral infections) और बैक्टीरियल (bacterial infections) दोनों तरह के संक्रमण अक्सर समान लक्षण पैदा करते हैं। वायरल बुखार का निदान करने के लिए डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य इतिहास और लक्षणों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेगा। वायरल संक्रमण के निदान के लिए हर समय प्रयोगशाला परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है, कुछ विशेष लक्षणों के आधार पर डॉक्टर वायरल फीवर का निदान कर सकता है।

प्रयोगशाला परीक्षण के माध्यम से वायरल संक्रमण का निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न परीक्षण की सिफारिश की जा सकती है।

  • ब्लड टेस्ट
  • बलगम की जाँच या स्पुटम टेस्ट (sputum test)
  • यूरिन टेस्ट (urine test)
  • रैपिड इन्फ्लूएंजा डायग्नोस्टिक टेस्ट (rapid influenza diagnostic test)।

(और पढ़ें: बुखार कम करने के घरेलू उपाय….)

वायरल फीवर का इलाज – Viral fever Treatment in Hindi

वायरल फीवर का इलाज - Viral fever Treatment in Hindi

वायरल बुखार का उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर, डॉक्टर वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए दवाओं की सिफारिश कर सकता हैं। वायरल बुखार की स्थिति में बगैर डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें क्योकि ऐसा करने से स्थिति खराब हो सकती है।

उपचार के दौरान डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं की सिफारिश कर सकता है। इसके अलावा डॉक्टर द्वारा वायरल फीवर के लक्षणों को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन (acetaminophen) या इबुप्रोफेन (ibuprofen) जैसे ओवर-द-काउंटर दवाओं की भी सिफारिश की जा सकती है।

कुछ स्थिति में वायरल बुखार बिना किसी उपचार के ठीक हो जाता है। कुछ घरेलू उपाय भी इसका इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(और पढ़ें: वायरल फीवर को दूर करने के घरेलू उपचार …)

वायरल फीवर का घरेलू उपचार – Viral fever home remedies in Hindi

यदि किसी व्यक्ति को वायरल फीवर है, तो उसे निम्न घरेलू उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है, जैसे:

  • जितना संभव हो आराम करें।
  • हाइड्रेटेड रहने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
  • बुखार कम करने के लिए गुनगुने पानी से स्नान करें।
  • ठंड लगने पर बहुत अधिक कंबल का उपयोग करने से बचें।

(और पढ़ें: मानसून में स्वस्थ रहने के लिए आपको इन चीजों को जरुर खाना चाहिए..)

वायरल फीवर से बचाव – Viral fever prevention in Hindi

कुछ उपाय अपनाकर आप वायरल बुखार से अपने आपको सुरक्षित रख सकते है। वायरल फीवर से बचने के उपाय में निम्न शामिल हैं:

  • छींकते खांसते समय अपने मुंह को कपडें से ढकें।
  • घर, दफ्तर और रोज उपयोग किये जाने वाले उपकरणों की सतह को कीटाणुरहित रखें।
  • संक्रमण से बचने के लिए बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
  • व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
  • फ्लू के खिलाफ टीकाकरण प्राप्त करें।
  • गर्म भोजन का सेवन करें।
  • अस्पताल से वापिस आने के बाद या किसी मरीज से मिलने के तुरंत बाद अपने कपड़े बदलें और उन्हें अच्छी तरह से धुलें।
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें।
  • अपने निजी सामान जैसे रूमाल, और सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तुओं को किसी और के साथ साझा न करें।

(और पढ़ें: बारिश के मौसम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं…)

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