बीमारी

हैजा के कारण, लक्षण और बचाव – Cholera Disease Causes, Symptoms And Treatment in Hindi

Cholera Disease in Hindi हैजा एक संक्रामक बीमारी (infectious disease) है, जो आंतों को प्रभावित करती है और जिसमें पानी की तरह पतले दस्त लग जाते हैं। हैजा रोग का इलाज समय रहते न किया जाए तो व्यक्ति में पानी की कमी (dehydration) हो जाती है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। आज आप इस लेख के माध्यम से हैजा क्या ह, हैजा रोग के कारण, लक्षण, जाँच, हैजा का इलाज और बचाव संबंधी उपाय के बारे में जानेगें।

हैजा क्या है – What is Cholera Disease in Hindi

हैजा एक जीवाणु जनित (bacterial disease) गंभीर बीमारी है, जो आमतौर पर व्यक्तियों में गंभीर दस्त और निर्जलीकरण का कारण बनता है। यह बीमारी दूषित पानी से फैलती है। हैजा का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को विब्रियो कोलरा (Vibrio cholera) के नाम से जाना जाता है। हैजा बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी में भी हो सकता है। गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों में इस रोग के होने की आशंका ज्यादा रहती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। हैजा मुख्य रूप से व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी के साथ-साथ जरूरी लवण, सोडियम और पोटेशियम आदि की भी कमी का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति के शरीर का रक्त अम्लीय हो जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

आधुनिक सीवेज (Modern sewage) और जल निकासी उपचार के तहत अधिकांश देशों से हैजा पूरी तरह से समाप्त हो चुका है।

हैजा होने का कारण – Cholera Disease Causes in Hindi

हैजा विब्रियो कोलेरी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। छोटी आंत में इन जीवाणुओं द्वारा सीटीएक्स (Cerebrotendinous xanthomatosis) नामक एक मजबूत विष का निर्माण किया जाता है। सीटीएक्स आंतों की दीवारों से सोडियम और क्लोराइड के सामान्य प्रवाह में हस्तक्षेप करता है। जब बैक्टीरिया छोटी आंत की दीवारों से जुड़ जाते हैं, तो मानव शरीर बड़ी मात्रा में पानी का स्राव करना शुरू कर देता है, जिससे दस्त लगने के साथ तरल पदार्थ और लवण का तेजी से नुकसान होता है। हैजा आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क के माध्यम से नहीं फैलता है। हैजा फैलने के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • अक्सर हैजा रोग दूषित पानी पीने या दूषित खाना खाने के कारण फैलता है।
  • ऐसा पानी या खाना जिसमें वाइब्रियो कॉलेरी बैक्टीरिया (vibrio cholerae becteria) मौजूद हो, हैजा का कारण बनता है।
  • हैजा (Haija) ऐसी जगह पर ज्यादा फैलता है, जहां साफ सफाई का अभाव हो, सीवरयुक्त पानी की सप्लाई हो, साग-सब्जी सीवर के पानी में उगाई जा रही हों या किसी का घर नाले आदि के पास स्थित हो।
  • मक्खियाँ भी रोगी के मलमूत्र में बैठकर इसके जीवाणु को अपने पैरों, पंखों तथा अन्य अंगों द्वारा लाती है और बिना ढंके भोज्य पदार्थों पर बैठकर उसे दूषित कर देती है। जब व्यक्ति ऐसे भोज्य पदार्थ का सेवन करता है तो उसमें हैजा की बिमारी फैल जाती है।
  • स्ट्रीट वेंडरों (street vendors) द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थ तथा सीवेज के प्रदूषित पानी में पाई जाने वाली मछली और समुद्री भोजन को कच्चा या अधपका सेवन करने से भी हैजा रोग हो सकता है।

(और पढ़े – क्या RO वाटर प्यूरीफायर का पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, जाने पूरा सच)

हैजा रोग के लक्षण – Cholera Disease Symptoms in Hindi

व्यक्ति एक बार हैजा से संक्रमित होने के बाद 7 से 14 दिनों तक मल के माध्यम से बैक्टीरिया को बाहर निकालता रहता है। आमतौर पर हैजा हल्के से मध्यम दस्त का कारण बनता है। संक्रमित होने वाले 10 में से 1 व्यक्ति में 2 से 3 दिनों के भीतर कुछ विशिष्ट लक्षण विकसित हो सकते हैं।

हैजा के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

हैजा के कारण गंभीर निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न हो सकती है। निर्जलीकरण की ओर संकेत देने वाले लक्षणों में निम्न को शामिल किया जाता है:

  • थकान महसूस होना
  • सिकुड़ी हुई त्वचा
  • अत्यधिक प्यास लगाना
  • मुँह सूखना
  • मूत्र उत्पादन में कमी
  • धँसी हुई आँखें
  • अनियमित दिल की धड़कन
  • निम्न रक्तचाप, इत्यादि।

गंभीर निर्जलीकरण की समस्या के कारण रक्त में खनिजों की कमी हो जाती है। जिससे इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है, जिसका पहला संकेत मांसपेशियों में गंभीर ऐंठन उत्पन्न होना है। इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन अंततः सदमे का कारण भी बन सकता है।

बच्चों में आमतौर पर वयस्कों के समान हैजा के लक्षण उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा बच्चे में निम्न लक्षणों को भी देखा जा सकता है:

(और पढ़ें – दस्त (लूस मोशन) रोकने के उपाय)

हैजा फैलने के तीन काल होते हैं  – Time Period of Cholera in Hindi

  1. इनक्यूबेशन पीरियड (Incubation Period) – यह समय कुछ घंटों से 5 दिन तक का होता है लेकिन आम तौर पर एक से दो दिनों तक ही प्रभावी होता है।
  2. इनफेक्टिव पीरियड (Infective Period) – जब तक रोगी पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तथा बैक्टीरिया से मुक्त नहीं होता तब तक इनफेक्टिव पीरियड होता है।
  3. इम्यूनाइजेशन (Immunization) – इसके तहत हैजा के संक्रमण से बचने के लिए टीका लगाया जाता है। एक बार टीका लगने से 3 से 6 महीने तक संक्रमण से बचाव हो जाता है।

(और पढ़ें – गर्भावस्था के दौरान दस्त के कारण और उपचार)

हैजा की जटिलताएं – Cholera complications in Hindi

हैजा के गंभीर मामलों में, तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स का तेजी से नुकसान होने के कारण 2 से 3 घंटे में मरीज की मौत हो सकती है। यदि सामान्य मामलों में भी हैजा का इलाज नहीं किया गया, तो लोग निर्जलीकरण और सदमे (shock) के चलते 18 घंटों में मर सकते हैं। अतः सदमा और गंभीर दस्त, हैजा की प्रमुख गंभीर जटिलताएं हैं। हालाँकि, हैजा की स्थिति अन्य समस्याएं भी उत्पन्न कर सकती है जिसमें शामिल हैं:

  • निम्न रक्त शर्करा (low blood sugar)
  • पोटैशियम का निम्न स्तर (low potassium levels)
  • किडनी फेल (kidney failure), इत्यादि।

हैजा रोग की जाँच – Cholera diagnosis in Hindi

यदि किसी व्यक्ति को हैजा से सम्बंधित लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर हैजा की पुष्टि करने के लिए स्टूल टेस्ट की सिफारिश कर सकता है। इस टेस्ट में मल के नमूने में हैजा के बैक्टीरिया की पहचान की जाती है। रैपिड कालरा डिपस्टिक टेस्ट (Rapid cholera dipstick tests) दूर-दराज के क्षेत्रों में हैजा के निदान की शीघ्र पुष्टि करने में सक्षम होता है।

हैजा रोग का उपचार – Cholera Disease treatment in Hindi

हैजा की स्थिति में मरीज को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह रोग कुछ ही घंटों के भीतर मृत्यु का कारण बन सकता है। रोगी का समय पर इलाज करके उसे मौत के मुँह से बचाया जा सकता है। हैजा का इलाज करने के लिए डॉक्टर मरीज के शरीर में खोए हुए तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की आपूर्ति करने का प्रयास करते हैं। हैजा का इलाज करने के लिए निम्न तरीकों को अपनाया जाता है:

  • मौखिक पुनर्जलीकरण लवण (oral rehydration salts)
  • अंतःशिरा द्रव पुनर्जलीकरण (Intravenous fluids rehydration)
  • एंटीबायोटिक दवाएं (antibiotics)
  • जिंक सप्लीमेंट (zinc supplements)

ये सभी उपचार शरीर में तरल की कमी को पूरा करने और शरीर को पुनर्जलीकरण करने में मदद करते हैं।

(और पढ़ें – बच्चों के दस्त (डायरिया) दूर करने के घरेलू उपाय)

हैजा बीमारी के संक्रमण से बचाव – Cholera Prevention in Hindi

हैजा प्रभावित क्षेत्र में यात्रा करने के दौरान हैजा के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में रहने के दौरान कुछ बचाव संबंधी उपाय अपनाए जाने चाहिए जिनमें शामिल हैं:

  • अपने हाथों को नियमित रूप से धोते रहें।
  • केवल बोतलबंद या उबला हुआ पानी पिएं।
  • कच्चे भोजन और shellfish का सेवन न करें।
  • डेयरी खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
  • हैजा का टीका लगवाएं।
  • कच्चे फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं।

हैजा रोग का घरेलू इलाज – Cholera Disease Ayurvedic Remedies in Hindi

हैजा रोग होने पर इसके इलाज के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. पुदीना हैजा के लिए रामबाण औषिधि हैं। हैजा होने पर रोगी को पुदीने का अर्क निरंतर देना चाहिए।
  2. लहसुन का उबला हुआ पानी देने से हैजे के बैक्टीरिया ख़त्म होते हैं।
  3. हैजा में रोगी को नींबू पानी या पानी में नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए, ताकि उल्‍टी के साथ दूषित चीजें बाहर निकल जाएं।
  4. हींग 5 ग्राम, कपूर 10 ग्राम, और नीम के 10 कोमल पत्ते लेकर तुलसी के रस में पीसकर चने के बराबर गोलियां बनाए, एक एक गोली दिन में तीन चार बार देने से हैजा में लाभ होता है।
  5. पानी में लौंग और थोड़ा सा सेंधा नमक डाल कर उबाल लीजिये, इसको ठंडा कर रोगी को बार-बार यही पानी पिलाना चाहिए।
  6. दो-तीन बून्द लोंग के तेल को चीनी या बताशे के साथ देने से हैजा में फायदा होता है।
  7. जायफल का 10 ग्राम चूर्ण गुड में मिलाकर तीन-तीन मि. ग्राम की गोलिया बनाए, एक-एक गोली आधे आधे घंटे पर देने से और ऊपर से थोड़ा सा गर्म पानी पीने से हैजा के दस्त बंद हो जाता है।
  8. हैजा का आक्रमण होने पर रोगी को बार बार प्याज का रस देने से आराम मिलता है।
  9. अगर हैजा के रोगी को पेशाब ना आ रहा हो तो राइ का लेप कमर पर लगाये। तुरंत पेशाब आ जायेगा। और उल्‍टी बंद हो जाती है।

हैजा रोग में क्या खाएंWhat To Eat In Cholera Disease in Hindi

हैजे में रोगी को साफ एवं उबला हुआ पानी दें। इसके साथ ही नींबू पानी, सौंफ का पानी और तुलसी की पतियों को पानी में उबाल कर ठंडा होने दें और इसका सेवन करें। भोजन में कोई भी ठोस चीज ना खिलाये। मरीज को फलों का रस, ठंडी छाछ, नींबू पानी, शिकंजी, अन्नास का रस और दही की पतली लस्सी इत्यादि का सेवन कराया जा सकता है।

(और पढ़े – तुलसी के फायदे और नुकसान)

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