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किडनी इन्फेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव – Kidney Infection (Pyelonephritis) Treatment in Hindi

किडनी इन्फेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव - Kidney Infection (Pyelonephritis) Treatment in Hindi

किडनी इन्फेक्शन एक गंभीर समस्या है, जिसे पायलोनेफ्राइटिस के रूप में जाना जाता है। यह एक प्रकार का मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) है, जो आम तौर पर मूत्रमार्ग (urethra) या मूत्राशय (bladder) में शुरू होता है और आपके दोनों गुर्दे (kidney) तक फ़ैल जाता है। किडनी संक्रमण की स्थिति में तत्काल इलाज कराने की आवश्यकता होती है। यदि समय पर इसका निदान और ठीक से इलाज नहीं किया जाता है, तो गुर्दे संक्रमण के परिणामस्वरूप आपकी किडनी को  स्थायी रूप से नुकसान पहुंच सकता है या बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में फैलकर रक्त विषाक्तता (सेप्सिस) का कारण बन सकते हैं। जिससे व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।

इस लेख में किडनी इन्फेक्शन की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है जिसमें आप किडनी में इन्फेक्शन के कारण, लक्षण, जटिलताएं, किडनी संक्रमण की जाँच, इलाज, किडनी में संक्रमण होने से बचने के उपाय और घरेलू उपचार के बारे में जानेगें।

किडनी इन्फेक्शन क्या है – What Is a Kidney Infection in Hindi

किडनी में इन्फेक्शन को पायलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी तब होती है जब बैक्टीरिया या वायरस आपके एक या दोनों किडनी में कब्जा कर लेते हैं। यह एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो किडनी में इन्फेक्शन जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है। मूत्र पथ में संक्रमण होने से अक्सर किडनी में संक्रमण होता है, जो एक या दोनों गुर्दे (Kidney) में फैलता है।

संक्रमण के दो दिन बाद से किडनी में संक्रमण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पीड़ित व्यक्ति की उम्र के आधार पर लक्षण भिन्न हो सकते हैं। किडनी संक्रमण से पीड़ित होने वाले 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को केवल तेज बुखार आ सकता है। जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र के पीड़ित व्यक्तियों को केवल मानसिक भ्रम और भाषण में गड़बड़ी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

(और पढ़ें: मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) के कारण, लक्षण और उपचार..)

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण – Kidney Infection Symptoms in Hindi

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण - Kidney Infection Symptoms in Hindi

किडनी में संक्रमण की स्थिति में निम्न लक्षणों उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:

चूँकि किडनी इन्फेक्शन की स्थिति में मूत्राशय में संक्रमण होना आम बात हैं जिसके कारण अन्य लक्षण भी महसूस किये जा सकते हैं, जैसे:

(और पढ़ें: पेशाब में जलन और दर्द (डिस्यूरिया) के कारण, लक्षण और उपचार..)

किडनी इन्फेक्शन के कारण – Kidney Infection Causes in Hindi

गुर्दे संक्रमण या किडनी में इन्फेक्शन की समस्या आमतौर पर मूत्राशय में संक्रमण (bladder infection) के साथ शुरू होती है। बैक्टीरिया या वायरस के कारण किडनी में संक्रमण होता हैं, जो मूत्र पथ (urinary tract) के माध्यम से किडनी में प्रवेश करते हैं। एक सामान्य बैक्टीरिया ई. कोलाई (Escherichia coli) इसका मुख्य कारण है। ये बैक्टीरिया आपकी आंत में पाए जाते हैं और मूत्रमार्ग (urethra) के माध्यम से मूत्र पथ (यूरिनरी ट्रैक्ट) में प्रवेश कर सकते हैं। मूत्र पथ (urinary tract) में बैक्टीरिया गुणा करते हैं और वहां से मूत्राशय (bladder) और किडनी में फैल जाते हैं।

किडनी संक्रमण के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कट या चोट के माध्यम से बैक्टीरिया रक्तप्रवाह से होते हुए किडनी तक पहुंच सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
  • मूत्राशय या किडनी की सर्जरी के कारण भी किडनी इन्फेक्शन हो सकता है।
  • मूत्र प्रवाह में रुकावट जैस- मूत्र पथ में किडनी स्टोन या ट्यूमर, पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि, इत्यादि भी किडनी में इन्फेक्शन का कारण बन सकती है।

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किडनी इन्फेक्शन के जोखिम कारक – Kidney Infection Risk Factors in Hindi

किडनी इन्फेक्शन के जोखिम कारक - Kidney Infection Risk Factors in Hindi

हालांकि किडनी इन्फेक्शन किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जो इसके होने की संभावना को बढ़ाते हैं:

  • मूत्र पथ में संक्रमण (यूटीआई) – जो व्यक्ति यूटीआई से पीड़ित होते हैं, उन्हें किडनी इन्फेक्शन होने की अधिक संभावना होती है। 30 यूटीआई पीड़ित व्यक्तियों में से लगभग 1 यूटीआई पीड़ित व्यक्ति को किडनी में संक्रमण होता है।
  • महिला होने के नाते (Being female) – पुरुषों की तुलना में महिलाओं को किडनी में संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि महिलाओं का मूत्रमार्ग (urethra) पुरुषों की तुलना में छोटा होता है, जिसके कारण बैक्टीरिया आसानी सी यूरिनरी ट्रैक्ट तक पहुंच सकते हैं।
  • गर्भावस्था (Pregnancy) – गर्भावस्था के दौरान मूत्र पथ (urinary tract) में बदलाव होता है और मूत्र का प्रवाह भी धीमा होता है, जिसके कारण बैक्टीरिया किडनी तक आसानी से पहुंच सकते हैं और किडनी इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिरक्षा प्रणाली से सम्बंधित समस्याओं जैसे- मधुमेह, एचआईवी या एड्स से पीड़ित व्यक्तियों तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्तियों को किडनी में इन्फेक्शन होने का उच्च जोखिम होता है।
  • तंत्रिका क्षति (nerve damage) – तंत्रिका या रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचने की स्थिति में सम्बंधित व्यक्ति यूटीआई के संकेतों और लक्षणों को नोटिस नहीं कर पाता है और अनजाने में किडनी में संक्रमण से पीड़ित हो सकता है।
  • मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में समस्या – मूत्र प्रतिधारण (urinary retention), स्पाइना बिफिडा (spina bifida) या मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) से पीड़ित व्यक्तियों मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता है, जिसके कारण इस स्थिति से जुड़े व्यक्तियों को किडनी में संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट ब्लॉकेज – मूत्र पथ में रुकावट या मूत्र के प्रवाह को धीमा करने वाली समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों में किडनी संक्रमण होने का उच्च जोखिम होता है। इन समस्याओं में गुर्दे की पथरी, पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि इत्यादि शामिल हैं।

किडनी इन्फेक्शन की जटिलताएं – Kidney Infection Complications in Hindi

यदि किडनी संक्रमण का समय पर निदान और इलाज नहीं किया गया, तो यह समस्या अधिक गंभीर रूप ले सकती है और निम्न जटिलताओं का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • किडनी खराब (Kidney damage), उच्च रक्तचाप, क्रोनिक किडनी डिजीज और गुर्दे की विफलता (kidney failure), इत्यादि।
  • रक्त विषाक्तता (Blood poisoning) या सेप्टिसीमिया (septicemia)
  • गंभीर संक्रमण :– किडनी इन्फेक्शन की स्थिति में एम्फीसेमेटस पायलोनेफ्राइटिस (emphysematous pyelonephritis (EPN)) नामक एक गंभीर संक्रमण होने का उच्च जोखिम होता है जो किडनी के ऊतकों को नष्ट कर और जहरीली गैस का निर्माण कर सकता है। यह आमतौर पर मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों में होता है।
  • गर्भावस्था में समस्या :– किडनी संक्रमण की स्थिति में कम वजन के बच्चे पैदा होने की संभावना अधिक होती है।

किडनी इन्फेक्शन की जाँच – Kidney Infection Diagnosis in Hindi

किडनी में इन्फेक्शन की जाँच - Kidney Infection Diagnosis in Hindi

डॉक्टर किडनी संक्रमण का निदान करने के लिए मरीज के लक्षणों के बारे जानकारी लेगा और समस्या का निदान करने के लिए कुछ प्रयोगशाला परीक्षण का भी आदेश दे सकता है किडनी इन्फेक्शन का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण की सहायता ली जा सकती है, जैसे:

  • मूत्र विश्लेषण (Urine analysis) – पेशाब में रक्त, मवाद और बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच करने के लिए।
  • यूरिन कल्चर (Urine culture) – किसी विशिष्ट बैक्टीरिया (specific bacteria) का निर्धारण करने के लिए।
  • अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन (Ultrasound or CT scan) – मूत्र पथ में रुकावट का पता लगाने के लिए।
  • वॉयडिंग सिस्टोरेथ्रोग्राम (Voiding cystourethrogram (VCUG)) यह एक प्रकार का एक्स-रे परीक्षण है, जिसका उपयोग अक्सर बच्चों में मूत्रमार्ग और मूत्राशय की समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • डिजिटल रेक्टल परीक्षण (Digital rectal exam) – पुरुषों में सूजे हुए प्रोस्टेट या प्रोस्टेट वृद्धि की जांच करने के लिए।
  • सिन्टीग्राफी (Dimercaptosuccinic acid scintigraphy) – इस परीक्षण में किडनी में संक्रमण और क्षति को देखने के लिए एक रेडियोधर्मी (radioactive) सामग्री का उपयोग किया जाता है।

किडनी इन्फेक्शन का इलाज – Kidney Infection Treatment in Hindi

किडनी में इन्फेक्शन का इलाज - Kidney Infection Treatment in Hindi

उपचार प्रक्रिया गुर्दे संक्रमण (Kidney Infection) की गंभीरता पर निर्भर करती है।

सामान्य संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर इलाज के दौरान एंटीबायोटिक्स की सिफारिश कर सकता है। इन दवाओं को एक या दो सप्ताह तक सेवन करने की आवश्यकता होती है। यदि एंटीबायोटिक उपचार के दौरान कुछ दिनों के भीतर लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक का प्रकार बदल सकता है।

गंभीर किडनी संक्रमण की स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है, तथा इलाज के दौरान मरीज को सुई के माध्यम से अंतःशिरा (intravenous) एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं।

इसके अलावा यदि किडनी में संक्रमण की समस्या बार-बार उत्पन्न होती है, तो मरीज के मूत्र पथ की संरचना में समस्या हो सकती है। अतः इस स्थिति में यूरोलॉजिस्ट (urologist) के पास जाना पड़ सकता है। यह डॉक्टर मूत्र पथ में रुकावट या अन्य आंतरिक रुकावट को ठीक करने के लिए सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं।

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किडनी इन्फेक्शन का घरेलू इलाज – Kidney Infection Home Remedies in Hindi

संक्रमण की स्थिति में मरीज इलाज के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय अपना कम समय में संक्रमण से छुटकारा पा सकता है। किडनी इन्फेक्शन की स्थिति में निम्न घरेलू उपाय अपनाने की सिफारिश की जाती है:

  • कीटाणुओं को शरीर से बाहर निकालने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
  • पर्याप्त मात्रा में आराम करें।
  • पेट, पीठ या बाजू के दर्द को कम करने के लिए हीटिंग पैड का प्रयोग करें।
  • जब आप बाथरूम जाते हैं, तो बैठकर पेशाब करें, जिससे आपका मूत्राशय पूरी तरह से खाली हो जाए।
  • दर्द निवारक एसिटामिनोफेन (acetaminophen) का सेवन करें। एस्पिरिन, इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सेन (naproxen) का उपयोग न करें। क्योंकि यह दवाएं किडनी की समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती है।

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किडनी इन्फेक्शन से बचने के उपाय – Kidney Infection Prevention in Hindi

किडनी इन्फेक्शन से बचने के उपाय - Kidney Infection Prevention in Hindi

किडनी इन्फेक्शन की समस्या से बचने के लिए सर्वप्रथम मूत्राशय के संक्रमण (bladder infections) की रोकथाम की जानी चाहिए। संक्रमण की संभावना कम करने के लिए आप निम्न बचाव संबंधी उपाय अपना सकते हैं, जैसे:

  • पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।
  • पेशाब करने की इच्छा होने पर बाथरूम जाएं, पेशाब को रोककर न रखें।
  • सेक्स करने के बाद पेशाब जाएं।
  • अपने जननांगों पर डिओडोरेंट स्प्रे (deodorant sprays) या डूश (douches) का प्रयोग न करें।
  • पेशाब करने के बाद और मल त्याग करने के बाद आगे से पीछे की ओर पोंछें, इससे बैक्टीरिया को मूत्रमार्ग में फैलने से रोकने में मदद मिलती है।
  • शुक्राणुनाशक (spermicide) के साथ कंडोम या डायाफ्राम का प्रयोग न करें, क्योंकि ऐसा करने से बैक्टीरिया का विकास तीव्र होने की संभावना होती है।
  • सेक्स के दौरान लुब्रिकेटेड कंडोम (lubricated condoms) का इस्तेमाल करें। अन्य प्रकार की कंडोम में संक्रमण फैलने की अधिक संभावना होती है।

(और पढ़ें: किडनी साफ करने के ये हैं 5 घरेलू उपाय…)

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