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शलभासन करने की विधि और फायदे – Salabhasana Yoga (Locust Pose) steps and benefits in Hindi

शलभासन करने की विधि और फायदे - Salabhasana Yoga (Locust Pose) steps and benefits in Hindi

Salabhasana In Hindi शलभासन योग की एक मुदा हैं। इस लेख में आप शलभासन कैसे करें और शलभासन के फायदे और शलभासन के लाभ इन हिंदी के बारे में जानेंगे। योग प्राचीन समय से चला आ रहा हैं और यह आज भी बहुत ही लोकप्रिय हैं, योग का नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर स्वस्थ रहता हैं और इससे बड़ी बड़ी बिमारियों से बचा जा सकता हैं। योग की अनेक मुद्रा हैं जिसमे से शलभासन एक प्रमुख आसन हैं, इस आसन से हमारे शरीर की मांसपेशिया मजबूत होती हैं और पीठ दर्द जैसी समस्या को दूर किया जा सकता हैं। आइये जानते हैं शलभासन करने के तरीका और उसके लाभ के बारे में।

विषय सूची

1. शलभासन क्या हैं – What is Salabhasana (Locust Pose) in Hindi
2. शलभासन करने का तरीका – Salabhasana Karne Ka Tarika In Hindi
3. शलभासन के लाभ इन हिंदी – Salabhasana (Locust Pose) ke fayde in Hindi

4. शलभासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें – Do’s and Don’ts while doing Asana in hindi
5. शलभासन करने में क्या सावधानी बरती जाए – Salabhasana (Locust Pose) karne me kya savdhani barte in Hindi

शलभासन क्या हैं – What is Salabhasana (Locust Pose) in Hindi

शलभासन एक संस्कृत भाषा का शब्द हैं जो दो शब्दों से मिलके बना हैं जिसमे पहले शब्द “शलभ” का अर्थ “टिड्डी या कीट (Locust )” और दूसरा शब्द आसन का अर्थ होता हैं “मुद्रा”, अर्थात शलभासन के का अर्थ टिड्डी के समान मुद्रा होना। इस आसन को अंग्रेजी में “ग्रासहोपर पोज़” बोलते हैं। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है । यह हठ योग की श्रेणी में आता है। यह मुद्रा देखने में सरल हो सकती हैं पर करने में आपको थोड़ी कठिनाई हो सकती हैं। आइये शलभासन करने की विधि और उसके लाभ को विस्तार से जानते हैं।

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शलभासन करने का तरीका – Salabhasana Karne Ka Tarika In Hindi

शलभासन करना उन लोगों के लिए थोडा कठिन हो सकता हैं जो आभी अभी योग की शुरुआत कर रहे हैं पर इसके नियमित अभ्यास से इसे आसानी से सीखा जा सकता हैं, वो लोग अभी शुरुआत में अपने हाथ का सहारा ले सकते हैं। हम नीचे आपको कुछ स्टेप बता रहे हैं जिसका अनुसरण कर के आप शलभासन को आसानी से कर सकते हैं-

  • शलभासन करने लिए सबसे पहले आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट पर उलटे पेट के बल लेट जाये यानि आपकी पीठ ऊपर के ओर रहे और पेट नीचे जमीन पर रहे।
  • अपने दोनों पैरो को सीधा रखें और अपने पैर के पंजे की सीधे तथा ऊपर की ओर रखें ।
  • अपने दोनों हाथों को सीधा करे और उनको जांघों के नीचे दबा लें, यानि अपना दायां हाथ दायी जांघ के नीचे और बायां हाथ बायीं जांघ के नीचे दबा लें।
  • अपने सिर और मुँह को सीधा रखें।
  • फिर अपने को सामान्य रखें और एक गहरी साँस अन्दर की ओर लें।
  • अपने दोनों पैरो को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें, जितना हो सकता हैं और अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पैरों को ऊपर करें।
  • अगर आप योग अभ्यास में नये हैं तो आप पैरों को ऊपर करने के लिए अपने हाथों का सहार ले सकते हैं, इसके लिए आप अपने दोनों हाथों को जमीन पर टिका के अपने पैरों को ऊपर कर सकते हैं।
  • आप इस मुद्रा में कम से कम 20 सेकंड तक रहने की कोशिश करें, इसे आप अपने क्षमता के अनुसार कम ज्यादा कर सकते हैं।
  • इसके बाद आप धीरे धीरे अपनी साँस को बाहर छोड़ते हुए पैरों को नीचे करते जाएं।
  • और पुनः अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
  • इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराएं।

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शलभासन के लाभ इन हिंदी – Salabhasana (Locust Pose) ke fayde in Hindi

शलभासन करने के अनेक लाभ होते हैं आइये इसके लाभ को विस्तार से जानते हैं-

शलभासन के फायदे वजन को कम करने के लिए – Salabhasana for weight loss in Hindi

शलभासन के फायदे वजन को कम करने के लिए - Salabhasana for weight loss in Hindi

शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती हैं यह हमारे शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करता हैं इसके साथ यह चयापचय की क्रिया को भी ठीक करता हैं।

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शलभासन के लाभ मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए – Salabhasana for strong muscles in Hindi

शलभासन के लाभ मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए - Salabhasana for strong muscles in Hindi

हमारे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छी मुद्रा हैं यह हमारे शरीर के हाथों, जांघों, पैरों और पिंडरी को मजबूत करता हैं, इसके साथ यह पेट की चर्बी को कम करके उसे सुन्दर बनता हैं। रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छा योग हैं।

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शलभासन फायदे मासिक धर्म की समस्या को ठीक करने के लिए – Salabhasana for menstrual problems in Hindi

शलभासन फायदे मासिक धर्म की समस्या को ठीक करने के लिए - Salabhasana for menstrual problems in Hindi

महिलाओं में होने वाली मासिक धर्म की समस्या को ठीक करने के लिए शलभासन एक अच्छी योग मुद्रा हैं, यह मासिक धर्म को सामान्य चक्र की ओर ले जाती हैं। यह महिलाओं की प्रजनन प्रणाली और गर्भाशय की क्षमता को मजबूत करता हैं।

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शलभासन के लाभ बीमारियों को ठीक करें – Salabhasana se kare bimariyan thik in Hindi

शलभासन के लाभ बीमारियों को ठीक करें - Salabhasana se kare bimariyan thik in Hindi

शलभासन से अनेक प्रकार की बिमारियों को ठीक किया जा सकता हैं, यह हमारे पेट के पाचन तंत्र को ठीक करता करता हैं जिससे पेट सम्बन्धी बीमारियाँ नहीं होती हैं, इसके साथ यह कब्ज को ठीक करता हैं, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाये रखता हैं, यह मूत्र संबंधी विकारों को सुधारने में मदद करता है और रीढ़ की बिमारिओं को ठीक करता हैं।

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स्वस्थ शरीर के लिए शलभासन के फायदे – Salabhasana for healthy body in Hindi

शलभासन से हमारा पूरा शरीर स्वस्थ रहता हैं, यह मुद्रा पुरे शरीर को सक्रिय करती हैं आंतरिक अंगों को उत्तेजित करती हैं और हमारे शरीर में रक्त के संचालन को बढ़ाती हैं  शलभासन योग करने से बीमारियां आपसे दूर रहती हैं।

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शलभासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें – Do’s and Don’ts while doing Asana in hindi

  • इस मुदा को हमें सुबह मलत्याग करने के बाद ही करना चाहिए।
  • इस आसन के करने के लिए हमें ढीले कपड़े पहनना चाहिए।
  • इसे धीरे धीरे करना करना चाहिए, एक दम से इसका अभ्यास ना करें।
  • हमें ऐसे स्थान पर योग करना चाहिये जहाँ पर अच्छी और ताजी वायु हों।

शलभासन करने में क्या सावधानी बरती जाए – Salabhasana (Locust Pose) karne me kya savdhani barte in Hindi

शलभासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Salabhasana (Locust Pose) karne me kya savdhani barte in Hindi

शलभासन मुद्रा के तो अनेक लाभ हैं पर इसे करने से पहले इसकी सावधानियों को जानना आवश्यक हैं, आइये जानते हैं कि इस मुद्रा को करते समय कौन कौन सी सावधानियां रखना हैं-

  • आसन करने के पहले हमें खाना नहीं खाना चाहिए।
  • अगर आप सिरदर्द, गर्दन दर्द, और रीढ़ के दर्द से परेशान हैं तो आप इस योग को ना करें।
  • गर्भवती महिलाओं को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
  • अगर आप कमर दर्द, पीठ दर्द और घुटने के दर्द से परेशान हैं तो डॉक्टर की सलाह से इस मुद्रा को करें।
  • आसन करते समय हमें मुँह से साँस नहीं लेनी चाहियें, केवल नाक से साँस लेनी चाहिये।

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