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वैरीकोसेल क्या है, कारण, लक्षण, जांच और उपचार – Varicocele, Causes, Symptoms, Test And Treatment In Hindi

भारत में प्रति वर्ष 10 मिलियन (1 करोड़) से अधिक व्यक्ति वैरीकोसेल से पीड़ित होते हैं। इसे वृषण-शिरापस्फीति के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि वैरीकोसेल की बीमारी से सम्बंधित कुछ मामलों में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, लेकिन यह समस्या कम शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी का कारण बन सकती है, जिससे बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है। यदि वैरीकोसेल रोग, लक्षणों को उत्पन्न नहीं करता है, तो इस स्थिति में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि लक्षण उत्पन्न होते हैं, तो उपचार के दौरान शल्य चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है। यह कई वर्षों तक रह सकता है या आजीवन समस्या के रूप में उत्पन्न हो सकता है। इस लेख में आप जानेगें वैरीकोसेल क्या है, इसके कारण, लक्षण, जांच और उपचार के साथ वैरीकोसेल को दूर करने वाले घरेलू उपाय के बारे में।

  1. वैरीकोसेल क्या है – What is Varicocele in Hindi
  2. वैरीकोसेल का कारण – Varicocele Causes in Hindi
  3. वैरीकोसेल के प्रकार – Varicocele Types In Hindi
  4. वैरीकोसेल के लक्षण – Varicocele Symptoms in Hindi
  5. वैरीकोसेल जटिलताएं – Varicocele Complications in Hindi
  6. वैरीकोसेल के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to see a doctor for varicocele in Hindi
  7. वैरीकोसेल की जाँच – Varicocele Diagnosis in Hindi
  8. वैरीकोसेल का उपचार – Varicocele Treatments in Hindi
  9. वैरीकोसेल सर्जरी – Varicocele Surgery in Hindi
  10. वैरीकोसेल सर्जरी के जोखिम – Risk of Varicocele Surgery in Hindi
  11. वैरीकोसेल का घरेलू इलाज – Varicocele home remedies in Hindi
  12. वैरीकोसेल आहार – Diet for varicocele in Hindi

वैरीकोसेल से जुड़े फैक्ट – Varicocele Facts in Hindi

  • वैरीकोसेल की समस्या वैरिकाज़ नसों के समान है, लेकिन यह स्थिति पुरुषों के वृषण क्षेत्र (testicular area) को प्रभावित करती है।
  • आमतौर पर 15 से 25 वर्ष की आयु के बीच के 15 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करती है।
  • इसके सटीक कारण अज्ञात है।
  • वैरीकोसेल आमतौर पर गंभीर नहीं होता है, लेकिन कुछ जटिलताओं का कारण बन सकता है।

वैरीकोसेल क्या है – What is Varicocele in Hindi

वैरीकोसेल अंडकोष की थैली के अन्दर की नसों से सम्बंधित एक बीमारी है, जिसमें अंडकोष (scrotum) के भीतर नसों में विस्तार होता है। चूँकि अंडकोश की थैली (scrotum) में धमनियां और शिराएं उपस्थित होती हैं, जो प्रजनन ग्रंथियों तक रक्त पहुंचाने का कार्य करती हैं। वैरीकोसेल एक प्रकार से पैम्पिनिफॉर्म प्लेक्सस (pampiniform plexus) की स्थिति है, जिसमें किसी पुरुष की शुक्राणु कॉर्ड (spermatic cord) में पाई जाने वाली छोटी नसों या शिराओं का एक नेटवर्क ढीला हो जाता है। शुक्राणु कॉर्ड एक ऐसी संरचना है जिसमें में धमनियां, शिराएं, तंत्रिकाएं और नलिकाएं होती हैं, जो अंडकोष से रक्त को संचारित करती हैं।

वैरीकोसेल रोग केवल अंडकोष की थैली अर्थात स्क्रोटम में होता है और यह वैरिकाज़ नसों के समान ही होता है। वैरीकोसेल की समस्या शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी का कारण बन सकती है। सभी वैरीकोसेल की स्थितियों में शुक्राणु उत्पादन क्षमता प्रभावित नहीं होती है। हालांकि, यह स्थिति अंडकोष की थैली के सिकुड़ने का कारण भी बन सकती है।

वैरीकोसेल की बीमारी यौवन के दौरान या 15 से 25 वर्ष की आयु के पुरुषों में अधिक आम है। वैरीकोसेल आमतौर पर स्क्रोटम के बाईं ओर पाया जाता है। क्योंकि अंडकोश (स्क्रोटम) की दाईं और बाईं ओर की संरचना समान नहीं होती है। वैरीकोसेल की समस्या का स्क्रोटम के दोनों तरफ पाया जाना अत्यंत दुर्लभ है।

(और पढ़ें – अंडकोष (वृषण) क्या है, कार्य और रोग)

वैरीकोसेल का कारण – Varicocele Causes in Hindi

कई विशेषज्ञों का मानना है कि एक वैरीकोसेल की स्थिति तब उत्पन्न होता है, जब शुक्राणु कॉर्ड (spermatic cord) में नसों के अंदर के वाल्व, रक्त को बहने से रोकते हैं।

हालाँकि स्क्रोटम की नसों का विस्तार या वैरीकोसेल की बीमारी का स्पष्ट कारण अज्ञात है। यह शुक्राणु कॉर्ड (spermatic cord) में रक्त के प्रवाह से सम्बन्धी एक समस्या के कारण उत्पन्न हो सकता है। शुक्राणु कॉर्ड (spermatic cord), अंडकोष (testicles) से रक्त को बाहर और अंदर ले जाने का कार्य करता है। यदि कॉर्ड में उपस्थित नसों के अंदर के वाल्व ठीक तरह से कार्य नहीं करते हैं, तो रक्त वापस आ जाता है और नसें चौड़ी हो जाती हैं।

(और पढ़ें – ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने के घरेलू उपाय)

वैरीकोसेल के प्रकार – Varicocele Types In Hindi

वैरीकोसेल को निम्न दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे:

प्रेशर टाइप (Pressure type) – इस प्रकार के वैरीकोसेल रोग में शुक्राणु से संबंधित नसें (spermatic vein) रक्त से भर जाती है, जिससे ग्रेड 1 वैरीकोसेल (grade I varicocele) की स्थिति उत्पन्न होती है।

शंट टाइप (Shunt type) – यह वैरीकोसेल का एक गंभीर प्रकार है, जिसमें रक्त के बिल्डअप के कारण शुक्राणु शिरा और अन्य नसों को नुकसान पहुंचाता है, इस प्रकार के  वैरीकोसेल को ग्रेड II या III वैरीकोसेल कहा जाता है।

इस स्थिति में लेफ्ट टेस्टिकल (left testicle) सबसे अधिक प्रभावित होता है। केवल एक टेस्टिकल में वैरीकोसेल (varicocele) की समस्या उत्पन्न होने पर भी यह दोनों टेस्टिकल की शुक्राणु उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

वैरीकोसेल के लक्षण – Varicocele Symptoms in Hindi

वैरीकोसेल (varicocele) की स्थिति में अक्सर कोई संकेत या लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। और इस स्थिति में दर्द होने की संभावना भी बहुत कम होती है। वैरीकोसेल की गंभीर स्थिति में अंडकोष की थैली “कीड़े के बैग” (bag of worms) की तरह दिखाई देती है।

वैरीकोसेल की बीमारी के कुछ केस में पीड़ित व्यक्ति को दर्दनाक या असुविधाजनक अनुभव हो सकता है, तथा अंडकोष सिकुड़ा हुआ दिखाई दे सकता है।

कुछ स्थितियों में वैरीकोसेल रोग की स्थिति में दर्द सम्बन्धी लक्षण निम्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे:

वैरीकोसेल जटिलताएं – Varicocele Complications in Hindi

वैरीकोसेल की बीमारी समय के साथ निम्न जटिलताओं का कारण बन सकती है, जैसे कि:

वैरीकोसेल के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to see a doctor for varicocele in Hindi

हालांकि, व्यक्ति को निम्न लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे कि:

  • वृषण (testes) के आकार, आकृति या दिखावट में किसी भी प्रकार का परिवर्तन
  • स्क्रोटम में गांठ
  • प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने पर
  • अंडकोश में सूजन की स्थिति उत्पन्न होने पर
  • स्क्रोटम की नसें असामान्य रूप बड़ी या मुड़ी हुई दिखाई देने पर।

वैरीकोसेल की जाँच – Varicocele Diagnosis in Hindi

वैरीकोसेल की प्रारंभिक स्थिति में, इसके लक्षणों को महसूस कर पाना कठिन होता है, लेकिन एक चिकित्सक कुछ परीक्षणों की मदद से इस रोग का निदान कर सकते हैं।

डॉक्टर आमतौर पर शारीरिक परीक्षण के बाद वैरीकोसेल की स्थिति का निदान करने के लिए लैब परीक्षण या इमेजिंग परीक्षण की मदद ले सकते है, जिनमें स्क्रोटल थर्मोग्राफी (scrotal thermography) या डॉपलर रिफ्लक्स टेस्ट (Doppler reflux test) प्रमुख हैं।

आमतौर पर वैरीकोसेल का निदान करने के लिए अंडकोषीय अल्ट्रासाउंड या स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता पड़ सकती है। यह परीक्षण शुक्राणुओं (spermatic veins) की विस्तृत, सटीक इमेज प्रदान करने में मदद करता है। अन्य संभावित परीक्षणों में उच्च फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (follicle-stimulating hormone (FSH)) और कम टेस्टोस्टेरोन की जांच करने के लिए सीमेन एनालिसिस टेस्ट और हार्मोन टेस्ट को शामिल किया जा सकता है।

वैरीकोसेल का निदान करने के बाद डॉक्टर वैरीकोसेल के प्रकार और ग्रेडों का निदान करेगा।

वैरीकोसेल के तीन ग्रेड हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

ग्रेड 1- यह वैरीकोसेल का सबसे छोटा रूप है, जो दिखाई नहीं देता है, लेकिन एक चिकित्सक वाल्साल्वा मिन्यूवर (Valsalva maneuver), जो कि तेजी से साँस छोडने का एक तरीका है, का उपयोग कर ग्रेड 1 वैरीकोसेल का निदान कर सकता है।

ग्रेड 2 – ग्रेड 2 वैरीकोसेल आसानी से दिखाई नहीं देता है, लेकिन इसे वाल्साल्वा मिन्यूवर (Valsalva maneuver), के बिना ही महसूस किया जा सकता है।

ग्रेड 3 – इस ग्रेड में वैरीकोसेल दिखाई देता है, और इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।

(और पढ़ें – टेस्टोस्टेरोन हार्मोन क्या है, कमी के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव)

वैरीकोसेल का उपचार – Varicocele Treatments in Hindi

आमतौर पर वैरीकोसेल से सम्बंधित निम्न लक्षण प्रगट होने पर ही उपचार की आवश्यक होती है, जैसे:

  • दर्द और असुविधा का अनुभव होना
  • शुक्राणु की कमी (low sperm count)
  • बांझपन की समस्या, जो कम से कम 2 साल से जारी हो, इत्यादि।

अतः वैरीकोसेल से सम्बंधित निम्न लक्षणों के प्रगट होने पर डॉक्टर द्वारा इसके इलाज के लिए सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है।

वैरीकोसेल सर्जरी – Varicocele Surgery in Hindi

वैरीकोसेल की स्थिति में ट्रीटमेंट के दौरान तीन प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता हैं:

वैरीकोसेलेक्टोमी (Varicocelectomy) – इस प्रक्रिया के तहत् सामान्य संवेदनाहारी (Anesthetic) का प्रयोग कर ओपन सर्जरी की जाती है। इस प्रक्रिया में अल्ट्रासाउंड और सर्जिकल माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में दर्द सामान्य रूप से कम होता है, और व्यक्ति शीघ्र ही सामान्य हो सकता है।

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic surgery) – यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है। इसमें छोटे चीरों की मदद से सर्जिकल उपकरण (लैप्रोस्कोप) को डालकर सर्जरी की जाती है।

परक्यूटेनियस एम्बोलिज़ेशन (Percutaneous embolization) – यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में एक रेडियोलॉजिस्ट गर्दन या कमर की एक नस के माध्यम से एक ट्यूब या कैथेटर को शरीर के अन्दर डालकर वैरीकोसेल तक पहुँचाया जाता है और प्रभावित नसों में रक्त के प्रवाह को रोककर उनकी मरम्मत की जाती है।

डॉक्टर द्वारा वैरीकोसेल सर्जरी करने के बाद सीमित अवधि के लिए दर्द की दवा की सिफारिश कर ​​सकता है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर मरीज को बेचैनी से राहत प्रदान करने के लिए एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) या इबुप्रोफेन (एडविल, मोर्टिन आईबी) जैसे ओवर-द-काउंटर लेने की सलाह दे सकता है।

वैरीकोसेल सर्जरी के जोखिम – Risk of Varicocele Surgery in Hindi

सर्जरी के द्वारा वैरीकोसेल का इलाज करने पर जोखिमों के उत्पन्न होने संभावना बहुत कम होती है। लेकिन कुछ दुर्लभ स्थितियों में सर्जरी से जुड़े कुछ जोखिमों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, इनमें शामिल हैं:

  • वैरीकोसेल की वापसी
  • अंडकोष में द्रव
  • टेस्टिकुलर एट्रोफी (testicular atrophy)- यह वृषण सिकुड़ने की स्थिति है
  • धमनी की क्षति (artery damage)
  • संक्रमण
  • चोट, सूजन या क्षेत्र में तरल पदार्थ का निर्माण
  • पेट में दर्द, इत्यादि।

रिकवरी – Recovery

यदि वैरीकोसेल से प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई थी, तो उपचार के बाद शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार या शुक्राणुओं की रिकवरी के लिए 6 महीने तक का समय लग सकता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों में एक साल में प्रजनन क्षमता में सुधार आता है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर उपचार के बाद मरीज के लिए कुछ समय तक सेक्स न करने की सलाह दे सकता है।  

वैरीकोसेल का घरेलू इलाज – Varicocele home remedies in Hindi

वैरीकोसेल के घरेलू उपचार के तहत निम्न को अपनाया जा सकता है, जैसे कि:

योग उपचार (Yoga Treatments) – विभिन्न प्रकार के योग को वैरीकोसेल की स्थिति में फायदेमंद माना गया है जो वृषण में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने में, प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। योग विशेष रूप से, वैरीकोसेल (varicocele) की स्थिति में सूजन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। वैरीकोसेल की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति निम्न योग अपना सकता है, जैसे:

कूलिंग शावर (Cooling Showers) – वृषण का अधिक गरम होना, वैरीकोसेल रोग से पीड़ित पुरुषों के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकता है, जिसमें बांझपन प्रमुख है। अतः कूलिंग प्रक्रिया स्क्रोटम के तापमान को कम करने में मदद करने के साथ-साथ शिराओं की सिकुड़न में सुधार करने और नसों की सूजन को कम करने में मदद कर सकती है।

वैरीकोसेल आहार – Diet for varicocele in Hindi

वैरीकोसेल के घरेलू उपचार के रूप में एक उचित और स्वस्थ आहार को शामिल किया जा सकता है। एंटीऑक्सिडेंट युक्त आहार वैरिकोसेले की प्रगति को कम करने और प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए प्रभावी माना गया है। इसके अतिरिक्त कब्ज की समस्या भी वैरीकोसेल के जोखिम को बढ़ा सकती है। अतः फाइबर यक्त आहार के सेवन पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है।

उच्च एंटीऑक्सिडेंट युक्त आहार में निम्न को शामिल किया जाता है, जैसे:

फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

Sourabh

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