Common eye diseases in hindi अपने जीवन में अधिकांशतः लोग आंखों से जुड़ी बीमारियों से आमतौर पर पीड़ित जरूर होते हैं। लेकिन शुरूआत में लोग आंखों की बीमारी के प्रति बहुत लापरवाही बरतते हैं और इसे बहुत हल्के में लेते हैं। आंख आना, आंखों का लगातार लाल होना और आंखों से पानी गिरने जैसी अन्य कई बीमारियों का इलाज लोग अपने घर पर ही कर लेते हैं, अगर घरेलू उपायों से भी राहत नहीं मिलती है तो इन बीमारियों की अनदेखी करते हैं और एक समय ऐसा आता है जब ये बीमारियां बढ़ जाती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको आंखों की बीमारियां कौन-कौन सी हैं, इसके बारे में बताएंगे।
वहीं कुछ लोगों को आंखों में होने वाली बीमारियों के विषय में सही जानकारी नहीं होती है। वे आंखों की बीमारियों का सिर्फ एक मतलब और सिर्फ एक लक्षण समझते हैं, वो है आंखों से दिखाई न देना। जानकारी के अभाव में लोग ताउम्र आंखों में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में जान नहीं पाते हैं। आइये जानते है आंखों की बीमारी और उनके प्रकार के बारें में
सबसे सामान्य आंखों की बीमारियां – Common eye diseases in Hindi
हमारी आंखों में कुछ सामान्य सी बीमारियां होती हैं जो इस प्रकार हैं।
1. ग्लूकोमा – Glaucoma in hindi
2. कंजंक्टिविटिस – Conjunctivitis in hindi
3. आंख की गुहेरी है – Stye Eye in hindi
4. मोतियाबिंद – Cataracts in hindi
आंखों की बीमारी है ग्लूकोमा – Glaucoma Eye diseases in Hindi
ग्लूकोमा आंख की बीमारी है। यह आंखों की ऑप्टिक नर्व को क्षतिग्रस्त कर देती है और उन्हें नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक नर्व आंखों द्वारा वस्तुओं को सही तरीके से देखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाता है तो सामान्यतः आंखों के ऊपर अधिक दबाव पड़ने लगता है। समय बीतने के साथ ग्लूकोमा के मरीज को आंखों से कोई भी वस्तु दिखनी बंद हो जाती है, यह इस बीमारी की सबसे गंभीर स्थिति होती है। ग्लूकोमा आनुवांशिक भी होता है लेकिन यह डायबिटीज, आंखों में चोट लगने और एक्सरसाइज न करने की वजह से होता है।
(और पढ़ें – काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या है, कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और बचाव)
ग्लूकोमा के लक्षण – glaucoma symptoms in hindi
दोनों आंखे में गहरे धब्बे, अधिक सिरदर्द, आंखों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, धुंधला दिखना, प्रकाश में आंखे न खुल पाना और आंखों में में लालिमा आदि ग्लूकोमा के लक्षण हैं।
ग्लूकोमा से बचाव – glaucoma prevention in hindi
ग्लूकोमा रोग से आंखों का बचाव किया जा सकता है। ग्लूकोमा से बचने के जितने भी तरीके हैं वे सभी बहुत प्रभावी हैं। लेकिन व्यक्ति को यह जरूर सावधानी रखनी चाहिए कि ग्लूकोमा के शुरूआती चरण में ही वह इससे बचने के उपाय शुरू कर देंं। अगर आपको डायबिटीज है तो आपको अपने आंखों कि नियमित जांच करवानी चाहिए, इससे आप ग्लूकोमा से बच सकते हैं। इसके अलावा नियमित एक्सरसाइज करने से भी आंखों पर दबाव कम पड़ता है और ग्लूकोमा जैसी बीमारी नहीं होती है। ग्राउंड या कोई आउडडोर गेम खेलते हुए आंखों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखें।
(और पढ़े – आँखे खराब कर सकती हैं ये 5 गलतियां)
कंजंक्टिविटिस है आंखों की बीमारी – Conjunctivitis Eye diseases in Hindi
जब आंखों के बाहरी भाग में किसी तरह की गंदगी जमा हो जाती है तो इसमें तुरंत एलर्जी उत्पन्न हो जाती है और सूजन, खुलजी या जलन होने लगती है। इस एलर्जी के कारण आंखों में हिस्टामिन नामक एक रसायन स्रावित होता है जो आंखों के बाहरी रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा कर देता है। इसकी वजह से आंखें क्षण भर में लाल हो जाती हैं और इसमें खुजली होती है एवं आंखों में पानी भर जाता है।
(और पढ़ें – कंजंक्टिवाइटिस एलर्जी (आँख आना) के कारण, लक्षण और ठीक करने के घरेलू उपाय)
कंजंक्टिविटिस के लक्षण – conjunctivitis symptoms in Hindi
आंखों में जलन, विशेषतौर पर सुबह पलकों में सूजन, आंखों से चिपचिपा पदार्थ निकलना, आंखों के बाहरी परत की रक्त वाहिकाओं का चौड़ा हो जाना आदि कंजंक्टिविटिस के लक्षण हैं।
कंजंक्टिविटिस से बचाव – conjunctivitis prevention in Hindi
कंजंक्टिविटिस एलर्जी से बचने का सबसे आसान उपाय यह है कि एलर्जी पैदा करने वाले चीजों को आंखों के संपर्क में ना लाएं। रिसर्च में पाया गया है कि कंजंक्टिविटिस की एलर्जी को दूर करने के लिए आई ड्रॉप भी काफी लाभदायक है। आंखों की एलर्जी दूर करने के लिए कई तरह के आई ड्रॉप उपलब्ध हैं लेकिन आप डॉक्टर से परामर्श लेकर किसी अच्छे आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
आंख की गुहेरी है आंखों की बीमारी – Stye Eye, Eye diseases in Hindi
Stye Eye/आंख की गुहेरी भी आंख की ही एक बीमारी है। इस बीमारी में आंखों के पलकों के ऊपर पिंपल के आकार उभार उत्पन्न हो जाता है। कभी-कभी यह बड़े आकार का उभार दोनों आंखों की पलकों पर हो जाता है। यह बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। आंखों को चिकनाहट प्रदान करने के लिए ऑयली ग्लैंड से आंखों में ऑयल उत्पन्न होता है लेकिन जब यह ऑयल अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाता है तो आंखों के ग्लैंड को अवरूद्ध कर देता है जिसकी वजह से आंखों के पलकों के ऊपर बड़े-बड़े उभार पैदा हो जाते हैं और इनमें दर्द भी होता है।
(और पढ़े – जानें आप कलर ब्लाइंड हैं या नही)
आंख की गुहेरी के लक्षण – Stye Eye symptoms in Hindi
आंखों के पलकों पर सूजन के साथ गाँठ, खुजली, दर्द, आंखों में लालिमा और जलन, पलकों का कठोर होना, पलकों पर खुरच आना, आंखों से पानी गिरना आदि आंखों की गुहेरी होने का लक्षण है।
आंख की गुहेरी से बचाव – prevention Stye Eye in Hindi
Stye Eye/आंखों की गुहेरी से बचने के लिए साफ हाथों से आंखों को छूएं। आंखों को रगड़े नहीं और साबुन से हाथ को हमेशा साफ करके ही आंखों को छूएं ताकि संक्रमण न हो।
(और पढ़े – आँखे खराब कर सकती हैं ये 5 गलतियां)
अगर मस्कारा लगाती हैं तो इस उत्पाद को प्रत्येक छह महीने पर बदल लें अन्यथा आंखों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा थोड़ी मात्रा में बेबी शैंपू और हल्के गर्म पानी से नियमित आंखों की पलकों को धोएं।
आंखों की बीमारी मोतियाबिंद – Cataracts Eye diseases in Hindi
जब आंखों के लेंस के ऊपर प्रोटीन जमने लगता है तो यह लेंस को धुंधला कर देता है जिसकी वजह से प्रकाश रेटिना से सही तरीके से नहीं गुजर पाता है। इससे आंखों में मोतियाबिंद या कैटारैक्ट हो जाता है। जिससे आंखों से सही तरीके से दिखाई देना बंद हो जाता है।मोतियाबिंद कई प्रकार की होती है। यह उम्र से संबंधित, जन्मजात और आंखों में घाव की वजह से भी होती है।
(और पढ़ें – मोतियाबिंद के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव)
मोतियाबिंद के लक्षण – Cataracts symptoms in Hindi
Cataracts/मोतियाबिंद आंखों में धीरे-धीरे फैलता है। यह शुरू होते ही पूरे आंखों को प्रभावित नहीं करता है। आंखों से धुंधला और अस्पष्ट दिखना, बूढे लोगों में नजदीक की चीजें न दिखना, विभिन्न रंगों की वस्तुएं दिखना, रात में गाड़ी चलाने में दिक्कत, आंखों से एक वस्तु दो बार दिखना, चश्मे का लेंस ठीक न होना आदि इस मोतियाबिंद के लक्षण हैं।
मोतियाबिंद से बचाव – Cataracts prevention in Hindi
अगर आप मधुमेह के मरीज हैं तो नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराएं। इसके अलावा सामान्य व्यक्ति भी प्रतिवर्ष अपने आंखों की जांच कराकर इस बीमारी से बच सकता है। इसके अलावा यदि आप चश्मा लगाते हैं तो कुछ सालों बाद डॉक्टर से जांच कराकर अपना लेंस बदलवा लें। मोतियाबिंद से बचने का यही आसान उपाय है।
(और पढ़ें – कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते समय कैसे करें आंखों की देखभाल)
Hi