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सिजोफ्रेनिया एक प्रकार का पागलपन, जानें इसके कारण लक्षण और उपचार – What Is Schizophrenia In Hindi

सिजोफ्रेनिया एक प्रकार की मानसिक बीमारी होती है जिसे एक प्रकार के पागलपन के रूप में देखा जाता है। इस मानसिक विकार के कारण व्यक्ति के सोचने-समझने और विचार करने की क्षमता पूरी तरह बर्बाद हो जाती है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति वास्तविकता से दूर होता जाता है। आज हम आपको सिजोफ्रेनिया रोग क्या है, इसके लक्षण, कारण, जाँच, इलाज और बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

विषय सूची

सिजोफ्रेनिया क्या है – What Is Schizophrenia In Hindi

सिज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक रोग है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति वास्तविकता को छोड़कर एक काल्पनिक दुनिया में जीता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अक्सर भ्रम (delusions) या मतिभ्रम (hallucinations) का अनुभव करते हैं, जिसका पूरा प्रभाव उसके काम पर पड़ता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति का समाज में रह पाना काफी मुश्किल हो जाता है। उसे अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देती है, और अक्सर ऐसी चीजें दिखाई देती हैं, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं, ऐसे में वह हमेशा एक डर में जीता है और अवसादग्रस्त हो जाता है।

यह मानसिक रोग सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज्यादातर किशोरावस्था के अंत में या 20 के दशक की शुरुआत में इसके लक्षण विकसित हैं।

इस बीमारी का असर पीड़ित के काम,रिलेशनशिप के साथ-साथ निजी और सार्वजनिक जीवन पर भी पड़ता है। इस बीमारी का पूर्ण उपचार तो संभव नहीं लेकिन दवाओं और सही उपचार की मदद से इसके बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। सिज़ोफ्रेनिया एक आजीवन स्थिति है, लेकिन उपचार के माध्यम से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।

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सिजोफ्रेनिया के कारण – Causes of schizophrenia In Hindi

किसी व्यक्ति में सिजोफ्रेनिया होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

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सिजोफ्रेनिया अनुवांशिक हो सकता है – Schizophrenia can be genetic in Hindi

अधिकतर लोगों को सिजोफ्रेनिया आनुवांशिक होता है। यह रोग माता-पिता में से किसी को भी होने पर बच्चे को होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि किसी परिवार में सिज़ोफ्रेनिया का कोई इतिहास नहीं है, तो उस परिवार से सम्बंधित व्यक्ति को इसके विकसित होने की संभावना 1% से भी कम होती है।

गर्भावस्था के दौरान सिजोफ्रेनिया – Schizophrenia during pregnancy in Hindi

जब बच्चा कोख में होता है तो मां द्वारा पोषक तत्वों का सेवन न करने की वजह से भी बच्चे का दिमाग सही से विकसित नहीं हो पाता है। इससे बच्चे को सिजोफ्रेनिया होने का खतरा होता है। इसके अलावा जन्म के दौरान आघात, विषाणु संक्रमण (viral infections) आदि कारक भी इस रोग के विकसित होने का कारण बन सकते हैं।

ड्रग्स का सेवन करने से हो सकता है सिजोफ्रेनिया – Schizophrenia due to drugs in Hindi

ड्रग्स का सेवन करने वाले लोग भी सिजोफ्रेनिया का शिकार हो जाते हैं। अक्सर लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता नहीं होती है, इसलिए वे गंभीर रुप से इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ दवाएं भी इसके विकसित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

सिजोफ्रेनिया के लक्षण – Symptoms of schizophrenia in Hindi

मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में अलग-अलग कई लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसमे से सिज़ोफ्रेनिया के मुख्य लक्षण निम्न हैं-

सिजोफ्रेनिया के प्रारंभिक लक्षण – Early symptoms in Hindi

इस मानसिक विकार के लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था और 20 के दशक की शुरुआत में देखे जा सकते हैं। इस उम्र में, सिजोफ्रेनिया के शुरुआती लक्षणों को किशोरावस्था के सामान्य व्यवहार के कारण अनदेखा किया जा सकता है। इस रोग के प्रारंभिक लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

  • दोस्तों और परिवार से खुद को अलग कर लेना
  • फोकस करने में कठिनाई और खराब एकाग्रता
  • दोस्तों या सामाजिक समूहों को बदलना
  • नींद से जुड़ी समस्या उत्पन्न होना
  • भावनात्मक अभिव्यक्ति की कमी
  • चिड़चिड़ाप
  • स्कूल के काम करने में कठिनाई, या खराब शैक्षणिक प्रदर्शन।

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को भ्रम हो जाता – Delusion is Symptoms of schizophrenia in Hindi

इस बीमारी में लोगों को अक्सर ऐसे विचार आते हैं जो कि सच नहीं होते। वे ऐसी चीजों को देखकर भ्रमित होते हैं जो उस जगह मौजूद ही नहीं होती है। इससे उनकी मानसिक स्थिरता भी नष्ट हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर गलत तरीके से ही सोचते हैं। बार-बार भ्रम का शिकार हो जाना सिजोफ्रेनिया का एक संकेत होता है।

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सिजोफ्रेनिया में ध्यान लगाने और बोलने में होती है परेशानी – Low concentration and speaking problem schizophrenia in Hindi

इन बीमारी से पीड़ित लोगों के दिमाग में बहुत ज्यादा ख्याल आते हैं। अलग-अलग तरीके के विचार आने के कारण वे अक्सर किसी एक चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते और ना ही अपने मन की बात को सही तरह से जाहिर कर पाते हैं। ऐसे लोगों को ध्यान लगाने और बोलने में परेशानी होती है।

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सिजोफ्रेनिया का लक्षण है अजीबोगरीब व्यवहार करना – Strange Behavior is Symptoms of schizophrenia in Hindi

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है। वे अक्सर नकारात्मक सोचते हैं, जिसका प्रभाव उनके व्यवहार पर पड़ता है। वे अक्सर डर में जीते हैं और घबराहट के कारण चीखते-चिल्लाते हैं। कई बार उनका व्यवहार इतना हिंसक हो जाता है कि इससे दूसरे लोगों को भी नुकसान पहुंचता है। पीड़ित का यह अजीबो-गरीब व्यवहार भी सिजोफ्रेनिया का संकेत होता है।

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सिजोफ्रेनिया का संकेत है हल्लुसिनेशन – Hallucinations is Symptoms of schizophrenia in Hindi

हल्लुसिनेशन एक प्रकार का मतिभ्रम होता है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को ऐसी चीजें दिखाई, सुनाई देती है जो वास्तविक रुप में मौजूद ही नहीं होती है। ऐसे में वे इतने परेशान हो जाते हैं कि अपने आप को नुकसान पहुंचाने लगते हैं जो कि सिजोफ्रेनिया का एक हानिकारक संकेत है।

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को लगता है डर – Victim lives with Terror in schizophrenia in Hindi

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अक्सर डर के साये में जीते हैं। रोजमर्रा के काम जैसे वॉक पर जाना, खाना बनाना इत्यादि काम करना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति साधारण सी चीजों से भी डरने लगता है और उसे लगता है कि हर एक चीज से उसे जान का खतरा है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति की मानसिक शांति बिल्कुल समाप्त हो जाती है।

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सिजोफ्रेनिया की जटिलताएं – Schizophrenia complications in Hindi

सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया यह तो यह बीमारी कुछ गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वयं को नुकसान पहुंचाना या आत्महत्या करना
  • चिंता
  • भय (phobias)
  • डिप्रेशन से ग्रस्त हो जाना
  • शराब या नशीली दवाओं का प्रयोग करने लगना।

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सिजोफ्रेनिया का निदान और परीक्षण – Schizophrenia diagnosis and tests in Hindi

किसी एक परीक्षण के आधार पर सिजोफ्रेनिया का निदान नहीं किया जा सकता है। इसके लिए सम्पूर्ण मनोरोग परीक्षण (psychiatric exam) करने की आवश्यकता पड़ती है। एक मनोचिकित्सक (psychiatrist) सिजोफ्रेनिया की जाँच करने के लिए चिकित्सा पीड़ित व्यक्ति के इतिहास, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक चिकित्सा इतिहास से सम्बंधित जानकारी को प्राप्त करने की कोशिश करेगा।

डॉक्टर सिजोफ्रेनिया की जाँच करने के निम्न परीक्षणों की मदद ले सकता है, जैसे-

  • शारीरिक परीक्षण (physical exam)
  • ब्लड फ्लो टेस्ट
  • इमेजिंग परीक्षण जैसे- चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग परीक्षण (एमआरआई) या कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन सहित।

सिजोफ्रेनिया का उपचार – Treatment of schizophrenia in Hindi

जागरुकता की कमी की वजह से सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति इस मेंटल डिसऑर्डर से बुरी तरह प्रभावित होता है और आत्महत्या करने के ख्याल भी उसके दिमाग में आने लगते हैं। सिजोफ्रेनिया का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है लेकिन मानसिक दृढ़ शक्ति और कुछ उपचार प्रक्रियाओं के माध्यम से इसके प्रभाव को कम जरुर किया जा सकता है।

सिजोफ्रेनिया का उपचार करने के दौरान डॉक्टर निम्न विकल्पों को शामिल कर सकता है:

एंटीसाइकोटिक दवाएं (Antipsychotic drugs) – डॉक्टर सिजोफ्रेनिया मेंटल डिसऑर्डर का इलाज करने के दौरान एंटीसाइकोटिक दवाओं की सिफारिश कर सकता है। इन दवाओं को मौखिक या इंजेक्शन के रूप में मरीज को दिया जा सकता है।

परामर्श (Counseling) परामर्श पीड़ित व्यक्ति के लिए कौशल विकसित और अपने जीवन लक्ष्यों को पाने में मदद करने का एक प्रभावी उपचार है। दवाओं के साथ साथ मरीज को उचित परामर्श भी दिया जाना आवश्यक होता है।

वैकल्पिक उपचारों – सिजोफ्रेनिया के इलाज के लिए दवा सेवन काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन डॉक्टर सिजोफ्रेनिया के उपचार के दौरान निम्न की भी सिफारिश कर सकता है:

  • विटामिन
  • फिश ऑयल सप्लीमेंट
  • ग्लाइसिन सप्लीमेंट (glycine supplements)
  • आहार प्रबंधन (diet management)
  • इलेक्ट्रोकोनवल्सी थेरेपी (ईसीटी)

सिजोफ्रेनिया की रोकथाम – Schizophrenia prevention in Hindi

सिजोफ्रेनिया से बचने या इसे रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन उपचार के साथ कुछ उपाय अपनाकर इसके लक्षणों को बिगड़ने से रोका जा सकता है। उपचार प्रक्रिया को सक्रिय रखकर एक पीड़ित व्यक्ति भी स्वस्थ औरर लक्षण-मुक्त जीवन का आनंद ले है। सिजोफ्रेनिया के जोखिम को कम करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे:

  • इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को परिवार और दोस्तों के सहारे, मदद और प्यार की जरुरत होती है।
  • रोगी को मनोरोग चिकित्सक से परामर्श और दवाओं का भी सहारा लेते रहना चाहिए।
  • मजबूत इच्छा शक्ति से और अपनों के प्यार की मदद से आप इस परेशानी से उबर सकते हैं।

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Anshika sarda

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