बीमारी

क्या आँखों की इन बीमारियों को जानते हैं आप – Common eye diseases symptoms and prevention in Hindi

Common eye diseases in hindi अपने जीवन में अधिकांशतः व्यक्ति आंखों से जुड़ी बीमारियों पीड़ित जरूर होते हैं। लेकिन शुरूआत में लोग आंखों की बीमारी के प्रति बहुत लापरवाही बरतते हैं और इसके लक्षणों को बहुत हल्के में लेते हैं। आंख आना, आंखों का लगातार लाल होना, आँखों में जलन और आंखों से पानी गिरना इत्यादि समस्याओं का इलाज लोग अपने घर पर ही कर लेते हैं, अगर घरेलू उपायों से इन लक्षणों में राहत नहीं मिलती है तो इन बीमारियों को अनदेखा करते हैं और एक समय ऐसा आता है जब ये बीमारियां बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। वहीं कुछ लोगों को आंखों में होने वाली बीमारियों के विषय में सही जानकारी नहीं होती है। जानकारी के अभाव में लोग ताउम्र आंखों में होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में जान नहीं पाते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको आंखों की बीमारियां कौन-कौन सी हैं, इसके लक्षण और बचाव के बारे में बताएंगे। आइये जानते है आंखों की बीमारी और उनके प्रकार के बारें में।

विषय सूची

आंखों की सामान्य बीमारियां – Common eye diseases in Hindi

हमारी आंखों से सम्बंधित कुछ सामान्‍य बीमारियां, जिनके लक्षण अधिकांश व्यक्ति महसूस करते हैं, लेकिन उन्हें इनकी जानकारी नहीं होती है। कुछ सामान्य नेत्र रोग या आँख की बीमारी निम्न हैं:

अधिकांश नेत्र रोगों के तब तक कोई शुरुआती लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, जब तक रोग काफी उन्नत नहीं हो जाता है।

आंखों की बीमारी है ग्लूकोमा – Glaucoma Eye diseases in Hindi

ग्लूकोमा आंख की सामान्य बीमारी है। यह आंखों की ऑप्टिक नर्व को क्षतिग्रस्त कर देती है और उन्हें नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक नर्व आंखों द्वारा वस्तुओं को सही तरीके से देखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है तो सामान्यतः आंखों के ऊपर अधिक दबाव पड़ने लगता है। समय बीतने के साथ ग्लूकोमा के मरीज को आंखों से दिखना बंद हो जाता है, जो कि इस बीमारी की सबसे गंभीर स्थिति होती है। ग्लूकोमा आनुवांशिक भी होता है लेकिन यह डायबिटीज, आंखों में चोट लगने और एक्सरसाइज न करने की वजह से होता है।

(और पढ़ें – काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या है, कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और बचाव…)

ग्लूकोमा के लक्षण – glaucoma symptoms in Hindi

काला मोतियाबिंद के नाम से पहचानी जाने वाली इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

ग्लूकोमा से बचाव – glaucoma prevention in Hindi

ग्लूकोमा रोग से आंखों का बचाव किया जा सकता है। ग्लूकोमा से बचने के जितने भी तरीके हैं वे सभी बहुत प्रभावी हैं। लेकिन व्यक्ति को यह जरूर सावधानी रखनी चाहिए, कि ग्लूकोमा के शुरूआती चरण में ही वह इससे बचने के उपाय शुरू कर देंं।

  • अगर आपको डायबिटीज है तो आपको अपने आंखों की नियमित जांच करवानी चाहिए, इससे आप ग्लूकोमा से बच सकते हैं।
  • ग्राउंड या कोई आउटडोर गेम खेलते हुए आंखों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखें।
  • आँखों को रगड़ें न, आँखों में खुजली होने की स्थिति में साफ़ पाने से आँखों को धोएं और डॉक्टर की सिफारिश पर आई ड्राप का उपयोग करें।
  • नियमित एक्सरसाइज करने से भी आंखों पर दबाव कम पड़ता है और ग्लूकोमा जैसी बीमारी नहीं होती है।

(और पढ़े – आँखे खराब कर सकती हैं ये 5 गलतियां…)

कंजंक्टिवाइटिस है आंखों की बीमारी – Conjunctivitis Eye diseases in Hindi

जब आंखों के बाहरी भाग में किसी तरह की गंदगी जमा हो जाती है तो इसमें तुरंत एलर्जी उत्पन्न हो जाती है और सूजन, खुलजी या जलन होने लगती है। इस एलर्जी के कारण आंखों में हिस्टामिन नामक एक रसायन स्रावित होता है जो आंखों के बाहरी रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा कर देता है। इसकी वजह से आंखें क्षण भर में लाल हो जाती हैं और इसमें खुजली होती है एवं आंखों में पानी भर जाता है।

(और पढ़ें – कंजंक्टिवाइटिस एलर्जी (आँख आना) के कारण, लक्षण और ठीक करने के घरेलू उपाय….)

कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण – conjunctivitis symptoms in Hindi

Pink eye या कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण निम्न हैं:

  • आंखों में जलन
  • आंखों में लाली, तीव्र खुजली
  • विशेषतौर पर सुबह पलकों में सूजन
  • आंखों से चिपचिपा पदार्थ निकलना
  • आंखों के बाहरी परत की रक्त वाहिकाओं का चौड़ा हो जाना आदि।

कंजंक्टिवाइटिस से बचावconjunctivitis prevention in Hindi

कंजंक्टिवाइटिस एलर्जी से बचने का सबसे आसान उपाय यह है कि एलर्जी पैदा करने वाले चीजों को आंखों के संपर्क में न आने दें। रिसर्च में पाया गया है कि कंजंक्टिवाइटिस की एलर्जी को दूर करने के लिए आई ड्रॉप भी काफी लाभदायक है। आंखों की एलर्जी दूर करने के लिए कई तरह के आई ड्रॉप उपलब्ध हैं लेकिन आप डॉक्टर से परामर्श लेकर किसी अच्छे आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।

आंख की गुहेरी है आंखों की बीमारी – Stye Eye, Eye diseases in Hindi

Stye Eye/आंख की गुहेरी भी आंख की एक बीमारी है। इस बीमारी में आंखों के पलकों के ऊपर पिंपल के आकार का उभार उत्पन्न हो जाता है। यह बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। आंख की गुहेरी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का नाम स्टेफिलोकोकस (Staphylococcus) है। आंखों को चिकनाहट प्रदान करने के लिए ऑयली ग्लैंड से आंखों में ऑयल उत्पन्न होता है। लेकिन जब यह ऑयल अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाता है तो आंखों के ग्लैंड को अवरूद्ध कर देता है जिसकी वजह से आंखों के पलकों के ऊपर बड़े-बड़े उभार पैदा हो जाते हैं और इनमें दर्द भी होता है।

(और पढ़ें: गुहेरी (बिलनी) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…)

आंख की गुहेरी के लक्षणStye Eye symptoms in Hindi

आंखों में गुहेरी (Sty) होने के लक्षण निम्न हैं :

  • आंखों की पलकों पर सूजन के साथ गाँठ उत्पन्न होना
  • आँख में खुजली और दर्द
  • आंखों में लालिमा और जलन
  • पलकों का कठोर होना
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
  • आंखों से पानी गिरना आदि।

(और पढ़े – जानें आप कलर ब्लाइंड हैं या नही)

आंख की गुहेरी से बचाव – prevention Stye Eye in Hindi

Stye Eye/आंखों की गुहेरी से बचने के लिए

  • आंखों को छूने या रगड़ने से बचें।
  • पलकों को साफ और कीटाणुरहित रखें।
  • साबुन से हाथ को हमेशा साफ करके ही आंखों को छूएं ताकि संक्रमण न हो।
  • अगर आप मस्कारा लगाती हैं तो इस उत्पाद को प्रत्येक छह महीने पर बदल लें, अन्यथा आंखों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा थोड़ी मात्रा में बेबी शैंपू और हल्के गर्म पानी से नियमित आंखों की पलकों को धोएं।

(और पढ़े – आंखों की जांच के लिए डॉक्‍टर के पास कब जाएं?…)

आंखों की बीमारी मोतियाबिंद – Cataracts Eye diseases in Hindi

जब आंखों के लेंस के ऊपर प्रोटीन जमने लगता है, तो यह लेंस को धुंधला कर देता है, जिसकी वजह से प्रकाश रेटिना से सही तरीके से नहीं गुजर पाता है। इससे आंखों में मोतियाबिंद या कैटारैक्ट हो जाता है। इस स्थिति में आंखों से सही तरीके से दिखाई देना बंद हो जाता है। मोतियाबिंद कई प्रकार का होता है। यह उम्र से संबंधित, जन्मजात और आंखों में घाव की वजह से भी होता है।

(और पढ़ें – मोतियाबिंद के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव..)

मोतियाबिंद के लक्षण – Cataracts symptoms in Hindi

Cataracts/मोतियाबिंद आंखों में धीरे-धीरे फैलता है। यह शुरूआत में  पूरे आंखों को प्रभावित नहीं करता है। एक व्यक्ति मोतियाबिंद होने की स्थिति में निम्न लक्षणों को महसूस कर सकता है, जैसे:

  • आंखों से धुंधला और अस्पष्ट दिखाई देना
  • बूढे लोगों को नजदीक की चीजें न दिखना
  • विभिन्न रंगों की वस्तुएं दिखाई देना
  • रात में गाड़ी चलाने में दिक्कत का सामना करना
  • तेज धूप, लैंप या हेडलाइट के प्रति संवेदनशीलता या चकाचौंध।
  • डबल वस्तु दिखाई देना, इत्यादि।

मोतियाबिंद से बचाव – Cataracts prevention in Hindi

मोतियाबिंद से बचने के सबसे आसान उपाय निम्न हैं:

  • अगर आप मधुमेह के मरीज हैं तो नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराएं। इसके अलावा सामान्य व्यक्ति भी प्रतिवर्ष अपने आंखों की जांच कराकर इस बीमारी से बच सकता है।
  • यदि आप चश्मा लगाते हैं तो समय समय पर डॉक्टर से जांच कराकर अपना लेंस बदलवा लें।
  • धूप के चश्मे पहने।
  • धुम्रपान और शराब का सेवन न करें।

(और पढ़ें – कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते समय कैसे करें आंखों की देखभाल..)

डायबिटिक रेटिनोपैथी नेत्र रोग – Eye diseases Diabetic retinopathy in hind

मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी (Diabetic retinopathy) मधुमेह की एक जटिलता है, जो आंखों को प्रभावित करती है। आंख के पीछे (रेटिना) पाई जाने वाली प्रकाश के प्रति संवेदनशील रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुचने के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। यह आँख की बीमारी आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में रक्त वाहिकाओं में सूजन हो सकती है, आँख से तरल पदार्थ या खून का भी रिसाव हो सकता है। दृष्टि में परिवर्तन या अंधापन इस रोग का प्रमुख लक्षण है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण – Diabetic retinopathy symoptoms in Hindi

मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति में डायबिटिक रेटिनोपैथी के दौरान निम्न लक्षण प्रगट होते हैं:

  • पढ़ते या गाड़ी चलाते समय फोकस करने में असुविधा
  • रंग न देख पाना
  • धुंधली दृष्टि
  • काले धब्बे दिखाई देना, इत्यादि।

डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव – diabetic retinopathy prevention in Hindi

  • वर्ष में कम से कम एक बार पूर्ण नेत्र परीक्षण कराएं।
  • यदि आपको डायबिटीज है या फिट आप गर्भवती हैं, तो अपनी पहली तिमाही के दौरान आंखों की जांच कराएं।
  • यदि आपको मधुमेह है तो धूम्रपान न करें।

(और पढ़ें: आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए …)

सामान्य नेत्र रोग धब्बेदार अध: पतन – macular degeneration in Hindi

एएमडी या मैक्यूलर डिजनेरेशन (Macular Degeneration) एक नेत्र रोग है, जो समय के साथ बढ़ता जाता है। चूँकि आप जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं यह रोग होता है, इसलिए इसे अक्सर उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (Age-related macular degeneration) कहा जाता है। यह आमतौर पर अंधेपन का कारण नहीं बनता है लेकिन कुछ गंभीर दृष्टि से सम्बंधित समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब आपके रेटिना का छोटा मध्य भाग, जिसे मैक्युला (macula) कहा जाता है, घिस जाता है। यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में स्थायी रूप से कम दिखाई देने का प्रमुख कारण है।

बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करने वाले धब्बेदार अध: पतन को स्टारगार्ड रोग (Stargardt disease) या किशोर धब्बेदार अध: पतन (juvenile macular degeneration) कहा जाता है।

धब्बेदार अध: पतन के कारण – macular degeneration causes in Hindi

प्रारंभ में, मैक्यूलर डिजनेरेशन के कोई ध्यान देने योग्य संकेत प्रगट नहीं होते हैं। इसके लक्षण बीमारी बढ़ने के साथ साथ दिखाई देते हैं। धब्बेदार अध: पतन के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • धुंधलापन दिखाई देना।
  • कम स्पष्ट दिखाई देना,छोटी लिखावट को पढ़ना मुश्किल होना।
  • दृष्टि के केंद्र में अंधेरे, धुंधले क्षेत्र प्रगट होना।

धब्बेदार अध: पतन से बचने के उपाय – macular degeneration prevention in Hindi

एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर व्यक्ति इस बीमारी के जोखिम को कम कर सकते हैं। मैक्यूलर डिजनेरेशन के बचाव संबंधी उपाय में शामिल हैं:

(और पढ़ें: आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए योग…)

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