हाल ही में हुई एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोर लड़किओं में डिप्रेशन से जुड़े लक्षणों का खतरा अधिक रहता है। आज के समय में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए लड़कियां या महिलाएं डॉक्टर की अनुमति के बगैर गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करती है। कुछ स्थितियों में गर्भनिरोधक गोलियां जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। अतः गर्भनिरोधक का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से इसके विभिन्न तरीकों के बारे में उचित सलाह लेनी चाहिए। वैसे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए सबसे आसान तरीके के रूप में गर्भनिरोधक गोलियां ही प्रचलित हैं।
एक नए अध्ययन मे पाया गया है कि, गर्भनिरोधक गोली लेने वाली किशोरियों में डिप्रेशन और इससे सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने का खतरा अधिक होता है। यही कारण है कि महिलाएं के जीवन में किसी भी समय पुरुषों की तुलना में डिप्रेशन के लक्षण विकसित होने की संभावना दोगुनी होती है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला।
विषय सूची
- गर्भनिरोधक गोली पर कब से हो रही है रिसर्च
- यह स्टडी जेएएमए मनोरोग मैग्जीन में पब्लिश की गई
- किशोरियों द्वारा गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बंद करने पर भी रहता है डिप्रेशन का खतरा
- किशोर लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे में क्या जानना है जरूरी
गर्भनिरोधक गोली पर कब से हो रही है रिसर्च
1961 में ब्रिटेन में जब गर्भनिरोधक गोली का उपयोग किया गया, तब से शोधकर्ताओं द्वारा इसके मानव मन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में समझने की कोशिश की जा रही है। ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन के अनुसार, गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करने वाली वयस्क महिलाओं और हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स (birth control pills) का उपयोग नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में उन किशोरियों में डिप्रेशन का खतरा अधिक हो सकता है, जो गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करती है। यह जन्म नियंत्रण गोलियों के मानसिक और भावनात्मक दुष्प्रभावों के बारे एक नवीनतम अध्ययन है।
जबकि पिछले अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने गर्भनिरोधक गोलियों का स्तन कैंसर, रक्त के थक्कों और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर शोध किये गये थे। स्टडी से यह भी पता चला है कि 16 साल की लड़कियों में डिप्रेशन के लक्षण जैसे- अधिक रोने, सोने, उदासी, खाने, आत्महत्या करने आदि के लक्षण अधिक पाए गए।
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यह स्टडी जेएएमए मनोरोग मैग्जीन में पब्लिश की गई
इस अध्ययन में 16 से 25 साल की 1,236 महिलाओं या लड़कियों को शामिल किया गया था। JAMA मनोरोग (JAMA Psychiatry) पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि, सर्वेक्षण में शामिल 25 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1000 महिलाओं में, मौखिक गर्भनिरोधक का सेवन करने और अवसादग्रस्तता लक्षण की गंभीरता के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं था। हालांकि शोधकर्ताओं ने एक विशेष आयु वर्ग के बीच (16 साल) की लड़कियों में मौखिक गर्भनिरोधक गोली का उपयोग करने से डिप्रेशन से सम्बंधित लक्षणों में वृद्धि को स्पष्ट किया था।
जर्नल ऑफ चाइल्ड साइकोलॉजी एंड साइकियाट्री में प्रकाशित नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि किशोरावस्था में जो महिलाएं जन्म नियंत्रण की गोलियों का इस्तेमाल करती थी, उनके उदास होने की संभावना अन्य सहकर्मियों और वयस्कों की तुलना में 1.7 से 3 गुना अधिक थी।
डेनिश अध्ययन (Danish study) के निष्कर्षों के आधार पर हार्मोनल जन्म नियंत्रण उपयोग और अवसाद (डिप्रेशन) के बीच आज तक की सबसे विश्वसनीय खोज 2016 में बड़े पैमाने पर की गई। 2016 के इस अध्ययन में 15 से 34 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं में किसी भी प्रकार के हार्मोनल जन्म नियंत्रण जिसमें गोली, हार्मोनल आईयूडी, पैच, रिंग और इंजेक्शन शामिल हैं, के उपयोग की तुलना डिप्रेशन से की और यह निष्कर्ष निकाला कि डिप्रेशन का जोखिम किसी भी उम्र की उन महिलाओं में थोड़ा अधिक था, जो किसी भी समय किसी भी तरह के हार्मोनल गर्भनिरोधक का उपयोग करती थी।
लेकिन 15 से 19 वर्ष की किशोरों में डिप्रेशन का जोखिम अधिक पाया गया। तथा यह भी पाया कि सबसे अधिक जोखिम गैर-मौखिक हार्मोनल गर्भ निरोधकों (non-oral hormonal contraceptives) का उपयोग करने वाली लड़कियों को था।
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किशोरियों द्वारा गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बंद करने पर भी रहता है डिप्रेशन का खतरा
हालाँकि, नये अध्ययन में शोधकर्ताओं ने गर्भनिरोधक गोलियों के वर्तमान सेवन पर नज़र रखते हुए यह सुझाव दिया कि, किशोरियों द्वारा गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बंद करने के बाद भी डिप्रेशन में जाने का उच्च जोखिम हो सकता है।
किशोरावस्था सेक्स हार्मोन में परिवर्तन और मस्तिष्क विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होती है। और इस आयु में गर्भ निरोधक गोलियों का उपयोग मानसिकता पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
एक पोस्टडॉक्टोरल फेलो (postdoctoral fellow) और मनोविज्ञानिक Christine Anderl ने एक बयान में कहा कि: “निष्कर्षों से पता चलता है, कि किशोरावस्था के दौरान मौखिक गर्भ निरोधकों के उपयोग से महिला के मस्तिष्क और डिप्रेशन के जोखिम पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है, भले ही वह महिला उन दवाओं का सेवन करना बंद कर दे।” इसके साथ ही उनका कहना है कि हार्मोनल जन्म नियंत्रण (hormonal birth control) के उपयोग के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में ओर भी अधिक शोध करने और बहुत कुछ जानने की आवश्यकता है।
(और पढ़े – अवसाद (डिप्रेशन) क्या है, कारण, लक्षण, निदान, और उपचार…)
किशोर लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे में क्या जानना है जरूरी
महिलाओं और किशोर लड़कियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि, उन्हें डॉक्टर से उचित सलाह लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जन्म नियंत्रण की कौन सी विधि या तरीका उनके लिए सबसे उपयुक्त है।
फ्रांस के चेन, पीएचडी अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के एक एसोसिएट प्रोफेसर ने अपने बयान में कहा “जबकि हम दृढ़ता से मानते हैं कि सभी उम्र की महिलाओं को गर्भनिरोधक के प्रभावी तरीकों की जानकरी प्रदान करना एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता बनी रहना चाहिए, हम आशा करते हैं कि हमारे निष्कर्ष इस विषय पर और अधिक शोध को बढ़ावा देंगे, साथ ही साथ इसके बारे में अधिक संवाद किशोरों के लिए हार्मोनल जन्म नियंत्रण के तरीकों के बारे में निर्णय लेने में मदद करेगें“
(और पढ़े – क्या आप जानती है गर्भ निरोधक गोली के साइड इफ़ेक्ट…)
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