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पित्ताशय का कैंसर (गाल ब्लैडर कैंसर) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव – Gallbladder Cancer In Hindi

पित्ताशय के कैंसर (गाल ब्लैडर कैंसर) का कारण, लक्षण, स्टेज, जांच, इलाज और बचाव - Gallbladder Cancer Causes, Symptoms, Treatment And Prevention In Hindi

अन्य सभी कैंसरों में से पित्ताशय का कैंसर काफी गंभीर हो सकता है और व्यक्ति की मृत्यु का भी कारण बन सकता है। पित्ताशय की थैली के कैंसर का कारण ज्ञात नहीं है और न ही इसकी प्रारंभिक स्थिति में किसी भी प्रकार के लक्षणों को महसूस किया जा सकता है। हालांकि यह कैंसर काफी दुर्लभ है, और अधिकतर 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है। पित्त की थैली में कैंसर (गॉलब्लेडर कैंसर) का शीघ्र निदान और इलाज प्राप्त कर, सम्बंधित व्यक्ति अपने जीवन को सुगम बना सकता है। वर्तमान में पित्ताशय के कैंसर का इलाज करने के लिए अनेक उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है।

यह लेख पित्ताशय के कैंसर की जानकारी के बारे में है। इस आर्टिकल में आप पित्ताशय कैंसर क्या है, इसके कितने चरण होते है और कारण, लक्षण, जांच, इलाज के साथ-साथ बचाने के उपाय के बारे में जानेगें।

पित्ताशय का कैंसर क्या है – What is gallbladder cancer in Hindi

गाल ब्लैडर या पित्ताशय का कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पित्ताशय की थैली के ऊतकों में घातक (malignant) कोशिकाओं का निर्माण होता है। पित्त की थैली का कैंसर काफी दुर्लभ है। यह कैंसर अधिकांश स्थितियों में एडेनोकार्सिनोमा (adenocarcinoma) के रूप उत्पन्न होता है। एडेनोकार्सिनोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो अंगों की ग्रंथि कोशिकाओं के अस्तर में शुरू होता है।

पित्ताशय नाशपाती के आकार का एक छोटा थैलीनुमा अंग है, जो लिवर के नीचे स्थित रहता है। यह लिवर (यकृत) द्वारा बनाये गए पित्त (bile) को स्टोर करता है। भोजन को पचाने में मदद करने के लिए पित्त को पित्ताशय से छोटी आंत में भेजा जाता है। पित्ताशय की दीवार, ऊतक की 4 मुख्य परतों से मिलकर बनी होती है, जिनमें शामिल हैं:

  • आंतरिक परत म्यूकोसल (Mucosal) ।
  • मांसपेशियों की परत (Muscle layer)।
  • संयोजी ऊतक परत (Connective tissue layer)।
  • बाहरी परत सरोसल (Serosal)।

पित्ताशय कैंसर की शुरुआत आंतरिक परत से होती है और समय के साथ बाहरी परतों में भी फ़ैल सकता है।

(और पढ़ें: पित्ताशय की थैली (गॉलब्लेडर) क्या है, कार्य, बीमारी, टेस्ट, उपचार और आहार)

गाल ब्लैडर कैंसर के चरण – Stages of gallbladder cancer in Hindi

पित्ताशय की थैली में कैंसर के फैलने की जानकारी को TNM द्वारा दी जाती हैं, जिसका मतलब इस प्रकार है:

  • टी (ट्यूमर) T (tumor) – यह पित्ताशय की दीवार में कैंसर (ट्यूमर) के फैलने की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
  • एन (नोड) N (node) – यह पित्ताशय के पास के लिम्फ नोड्स में कैंसर के फैलने की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
  • एम (मेटास्टेसिस) M (metastasis) यह शरीर के अन्य भागों में कैंसर के फैलने के स्थिति की ओर संकेत देता है।

TNM स्कोर (TNM scores) ज्ञात होने के बाद, कैंसर के विभिन्न चरणों (Stages) का निदान किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • 0 स्टेजइस स्टेज में कैंसर बहुत छोटा होता है और पित्ताशय की सबसे आंतरिक परत तक ही सीमित रहता है।
  • I स्टेज स्टेज 1 में कैंसर पित्ताशय के अंदर तक ही सीमित रहता है, तथा ट्यूमर पित्ताशय की दूसरी और तीसरी परतों (lamina propria and Muscle layer) में फैलना शुरू कर देता है।
  • II स्टेजपित्ताशय कैंसर की स्टेज 2 में ट्यूमर कोशिकाएं, पित्ताशय की बाहरी परत में प्रवेश करती है। लेकिन कैंसर की इस स्थिति में लिम्फ नोड्स या अन्य अंग प्रभावित नहीं होते हैं।
  • III स्टेज इस स्टेज में कैंसर पित्ताशय की थैली की सबसे बाहरी परत के माध्यम से आगे बढ़ता है, और पित्ताशय के पास वाले हिस्सों जैसे- लिवर, छोटी आंत या पेट तक फ़ैल सकता है।
  • IV स्टेज इस चरण में कैंसर एक बड़े ट्यूमर का रूप ले लेता है, तथा आस-पास के अनेक अंगों और शरीर के दूर के क्षेत्रों तक फ़ैलने में सक्षम होता है।

(और पढ़ें: अग्नाशय कैंसर क्या है, लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव)

पित्ताशय के कैंसर का कारण – Gallbladder cancer causes in Hindi

डॉक्टरों को पित्ताशय कैंसर के उत्पन्न होने का उचित कारण ज्ञात नहीं है। सभी कैंसर की तरह, पित्ताशय का कैंसर भी, म्यूटेशन के अंतर्गत उत्पन्न होता है। म्यूटेशन के परिणामस्वरूप कोशिकाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होने पर ट्यूमर का निर्माण होता है। यदि समय पर इलाज प्राप्त नहीं किया जाए, तो ये कोशिकाएं पास के ऊतक और शरीर के अंगों में भी फैल सकती हैं।

हालांकि अनेक प्रकार के जोखिम कारक ज्ञात हैं, जो पित्ताशय की थैली के कैंसर को बढ़ावा देते हैं। तथा साथ ही साथ पित्ताशय की सूजन का भी कारण बनते हैं।

पित्ताशय कैंसर के जोखिम कारक – Gallbladder cancer risk factor in Hindi

पित्ताशय के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

  • लिंग – पुरुषों की तुलना में महिलाओं को गालब्लैडर कैंसर होने का जोखिम चार गुना अधिक होता है।
  • उम्र – पित्ताशय की थैली का कैंसर आमतौर पर 65 से अधिक उम्र के व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है।
  • पित्त नलिकाओं की समस्याएं (Bile duct problems) – पित्त नलिकाओं की समस्याएँ, जो पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध करती हैं, पित्ताशय की सूजन का कारण बन सकती हैं, जिससे पित्ताशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलिन्जाइटिस (Primary sclerosing cholangitis) – पित्त नलिकाओं की सूजन के कारण होने वाले स्कारिंग (Scarring) से पित्त नली और पित्ताशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • आंत्र ज्वर (Typhoid) साल्मोनेला बैक्टीरिया (Salmonella bacteria) टाइफाइड का कारण बनता है। अतः साल्मोनेला बैक्टीरिया के दीर्घकालिक संक्रमण के कारण पित्ताशय के कैंसर का खतरा अधिक होता है।
  • गालब्लैडर पॉलिप्स (Gallbladder polyps) – पित्ताशय की दीवार में तंतुओं की वृद्धि को गालब्लैडर पॉलिप्स कहा जाता है। यह कैंसर के विकास का एक प्रमुख जोखिम कारक है। 1 सेंटीमीटर से बड़े पॉलिप्स अधिकांश स्थितियों में कैंसर का रूप ले सकते हैं।
  • पित्ताशय की पथरी (Gallstones) – पित्ताशय की पथरी, गालब्लैडर कैंसर का सबसे आम जोखिम कारक है। यह, पित्ताशय की दीवार को नुकसान पहुंचा सकती है और पित्ताशय की सूजन के साथ-साथ, कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकती है।
  • कोलीसिस्टाइटिस (cholecystitis) या पित्ताशय की सूजन, इत्यादि।

पित्ताशय के कैंसर के लक्षण – gallbladder cancer symptoms in Hindi

पित्ताशय के कैंसर (गाल ब्लैडर कैंसर) का कारण, लक्षण, स्टेज, जांच, इलाज और बचाव - Gallbladder Cancer Causes, Symptoms, Treatment And Prevention In Hindi

पित्ताशय की थैली में कैंसर के शुरुआती चरणों में किसी भी प्रकार के संकेत या लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। कुछ स्थितियों में इसके लक्षण अन्य बीमारियों के सामान होते हैं। पित्ताशय का कैंसर निम्न संकेतों या लक्षणों के उत्पन्न होने का कारण बन सकता है, जिनमें शमिल हैं:

(और पढ़ें: महिलाओं में कैंसर के लक्षण)

पित्ताशय कैंसर की जांच – Gallbladder cancer diagnosis in Hindi 

पित्ताशय के कैंसर (गाल ब्लैडर कैंसर) का कारण, लक्षण, स्टेज, जांच, इलाज और बचाव - Gallbladder Cancer Causes, Symptoms, Treatment And Prevention In Hindi

पित्ताशय की थैली और आस-पास के अंगों की जांच करने वाले परीक्षणों का उपयोग पित्ताशय की थैली के कैंसर का निदान करने और स्टेज का पता लगाने के लिए किया जाता है।

आमतौर पर पित्ताशय के कैंसर का निदान करने के लिए एक ही समय में एक से अधिक टेस्ट और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है। पित्ताशय कैंसर की जांच करने के लिए निम्नलिखित परीक्षणों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • शारीरिक परीक्षा और इतिहास (Physical exam and history)
  • लीवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests) और अन्य रक्त परीक्षण – लीवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests) और अन्य रक्त परीक्षण की मदद से लिवर, पित्ताशय की थैली और पित्त नलिकाओं के सही तरीके से कार्य करने की क्षमता और अन्य बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
  • बायोप्सी (Biopsy), इत्यादि।

इमेजिंग परीक्षण – imaging tests in Hindi

  • अल्ट्रासाउंड परीक्षण (Ultrasound exam) – पित्ताशय की थैली के कैंसर का निदान करने के लिए पेट का अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।
  • पीटीसी (परक्यूटीनियस ट्रांसहिपेटिक कोलेनजियोग्राफी (percutaneous transhepatic cholangiography)) – इस प्रक्रिया में लीवर और पित्त नलिकाओं (bile ducts) में डाई को इंजेक्ट कर एक्स-रे परीक्षण किया जाता है।
  • गैडोलिनियम के साथ एमआरआई (magnetic resonance imaging) टेस्ट – इस परीक्षण के तहत गैडोलिनियम नामक पदार्थ को नस में इंजेक्ट किया जाता है। गैडोलिनियम कैंसर कोशिकाओं के आसपास इकट्ठा हो जाता है, और चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) परीक्षण की मदद से कैंसर का पता लगा लिया जाता है।
  • लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) – इस प्रक्रिया में पेट के अंदर के अंगों को देखने के लिए एक शल्य प्रक्रिया के तहत छोटे चीरे लगाये जाते हैं और चीरों में से एक लेप्रोस्कोप डाला जाता है। इस प्रक्रिया में बायोप्सी के लिए ऊतक का नमूने भी लिया जा सकता है।
  • सीटी स्कैन (CT scan) – पित्ताशय और आसपास के अंगों का निरीक्षण करने के लिए डॉक्टर सीटी स्कैन का आदेश दे सकता है।
  • ईआरसीपी (ERCP (endoscopic retrograde cholangiopancreatography)) – इस तकनीक का उपयोग पित्त (biliary) या अग्नाशय नलिकायों से सम्बंधित कुछ समस्याओं का निदान और उपचार करने के लिए एंडोस्कोपी और फ्लोरोस्कोपी (fluoroscopy) का उपयोग किया जाता है।
  • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (Endoscopic ultrasound), इत्यादि।

पित्ताशय के कैंसर का उपचार – Gallbladder cancer treatment in Hindi

पित्ताशय की थैली में कैंसर की स्टेज और लक्षणों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर उपयुक्त उपचार की सिफारिश कर सकता है। पित्ताशय के कैंसर का इलाज करने के लिए सामान्य रूप से निम्न उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है, जैसे:

सर्जरी (Surgery) – पित्ताशय के कैंसर (gallbladder cancer) के लिए सर्जरी एक सामान्य उपचार है, जिसका उपयोग ट्यूमर को हटाने और लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है। सर्जरी के माध्यम से पित्ताशय की थैली को भी हटाया जा सकता है। सर्जरी के द्वारा पित्ताशय के कैंसर के सभी चरणों का इलाज नहीं किया जा सकता है। कैंसर का आस-पास के अंगों में फैलने से पहले निदान कर सर्जरी द्वारा उपचार किया जा सकता है। पित्ताशय की सर्जरी के दौरान कभी-कभी एक लेप्रोस्कोप (laparoscope) का उपयोग किया जा सकता है।

कीमोथेरपी (Chemotherapy) – कीमोथेरेपी का उपयोग सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही जब कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल चुका होता है, तब इस स्थिति में कैंसर संबंधी लक्षणों का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी की सिफारिश की जा सकती है। कीमोथेरेपी के तहत कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए कुछ दवाओं को शामिल किया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) – यदि पित्ताशय का कैंसर शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल गया है और सर्जरी द्वारा इलाज संभव नहीं है, तब इस स्थिति में डॉक्टर गॉलब्लेडर कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी की सिफारिश कर सकता है। रेडिएशन थेरेपी में, कैंसर कोशिकाओं को मारने या बढ़ने से रोकने के लिए उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग किया जाता है। कुछ स्थितियों में सर्जरी के बाद भी रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है।

(और पढ़ें: स्वस्थ आहार के प्रकार और फायदे)

पित्ताशय के कैंसर से बचाव – Gallbladder cancer prevention in Hindi

गाल ब्लैडर कैंसर की रोकथाम के लिए इसके जोखिम कारकों से बचने और उन्हें कम करने की सलाह दी जाती है। अधिकांश जोखिम कारक, जैसे कि उम्र और लिंग को बदला नहीं जा सकता है, जिसके कारण पित्ताशय के कैंसर से बचना मुश्किल होता है। हालांकि, एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर कुछ हद तक पित्ताशय की थैली के जोखिम को कम किया जा सकता है। पित्ताशय के कैंसर से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

  • स्वस्थ वजन बनाए रखना – पित्ताशय की थैली के कैंसर के अलावा अन्य प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए वजन को नियंत्रित रखना आवश्यक होता है।
  • स्वस्थ आहार का सेवन करना – स्वस्थ आहार जैसे- फल और सब्जियों का सेवन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलता है और पित्ताशय की पथरी तथा कैंसर का जोखिम कम हो जाता है। स्वस्थ आहार के तहत साबुत अनाज का सेवन करने और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
  • व्यायाम – व्यायाम स्वस्थ वजन बनाए रखें और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
  • इसके अलावा पित्ताशय के कैंसर का जोखिम कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली के अंतर्गत धूम्रपान और शराब का सेवन न करने, तनाव के स्तर को कम करने और पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी जाती है।

(और पढ़ें – शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व  और स्वस्थ रहने के उपाय और तरीके)

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