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एंडोस्कोपी कराने के कारण, तरीका, फायदे एवं नुकसान – Endoscopy test in Hindi

एंडोस्कोपी कराने के कारण, तरीका, फायदे एवं नुकसान - Endoscopy test in Hindi

Endoscopy test in Hindi शरीर के आंतरिक अंगों और उतकों को विस्तार से देखने के लिए शरीर में एक लंबा और पतला ट्यूब सीधे प्रवेश कराया जाता है, इस प्रक्रिया को एंडोस्कोपी कहते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर में चीरा (incision) लगाए बिना शरीर के अंगों में उत्पन्न हो रही बीमारियों और समस्याओं का पता लगाया जाता है। एंडोस्कोपी एक पतला और लचीला ट्यूब (flexible tube) होता है जिसके ऊपर कैमरा लगा होता है। इस उपकरण (equipment) को मरीज के मुंह और गले से गुजारकर भोजन नली में प्रवेश कराया जाता है।

शरीर में कुछ बीमारियां उत्पन्न होने के कारण कभी-कभी ऐसी स्थिति आती है कि उनके कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर को एंडोस्कोपी करने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा बायोप्सी के लिए ऊतक (tissue) निकालने के लिए भी एंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है।

विषय सूची

  1. एंडोस्कोपी कराने का उद्देश्य – purpose of Endoscopy test in Hindi
  2. एंडोस्कोपी क्यों की जाती है – Endoscopy kyu karte hai
  3. एंडोस्कोपी कराने से पहले तैयारी – Preparation for an endoscopy in Hindi
  4. एंडोस्कोपी टेस्ट का तरीका – endoscopy kaise karte hain, Endoscopy Procedure in Hindi
  5. एंडोस्कोपी टेस्ट के फायदे – Endoscopy ke fayde in hindi, Endoscopy Benefits in Hindi
  6. एंडोस्कोपी टेस्ट के नुकसान – Endoscopy ke nuksan, Endoscopy test Side effects in Hindi

एंडोस्कोपी कराने का उद्देश्य – purpose of Endoscopy test in Hindi

एंडोस्कोपी टेस्ट आमतौर पर शरीर के अंगों के आंतरिक हिस्सों का परीक्षण कर बीमारियों के निदान के लिए किया जाता है। डॉक्टर शरीर में किसी तरह का चीरा (incision) लगाए बिना एंडोस्कोप के माध्यम से स्क्रीन पर चित्र देखकर अंगों का परीक्षण कर लेते हैं। इसके अलावा शरीर में असामान्य लक्षणों के कारणों का पता लगाने और बायोप्सी के लिए भी एंडोस्कोपी करायी जाती है। बायोप्सी के लिए डॉक्टर शरीर के अंग विशेष से ऊतकों को निकालते हैं और एंडोस्कोप की सहायता से उसका परीक्षण करते हैं।

आइये जानते हैं डॉक्टर एंडोस्कोपी कराने की सलाह कब देते हैं।

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एंडोस्कोपी क्यों की जाती है – Endoscopy kyu karte hai

  • पेट दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए।
  • अल्सर, गैस्ट्रिटिस और कुछ निगलने (swallowing) में कठिनाई होने पर।
  • पाचन तंत्र में ब्लीडिंग होने पर।
  • गंभीर रूप से डायरिया और कब्ज होने पर।
  • कोलन में पॉलिप्स या उभार (growths) हो जाने पर।
  • पेट के अल्सर, पित्ताशय की पथरी (gallstones) और ट्यूमर को निकालने के लिए।
  • पैन्क्रियाटिटिस और पेट में सूजन होने पर।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस के निदान के लिए।
  • योनि से असामान्य रूप से ब्लीडिंग होने पर।
  • पेशाब में खून आने पर।
  • पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियां होने पर।
  • हार्निया के निदान के लिए।
  • संक्रमण होने पर

एंडोस्कोपी कराने से पहले डॉक्टर मरीज के शरीर में दिखने वाले लक्षणों की समीक्षा और उसका शारीरिक परीक्षण करते हैं एवं मरीज को एंडोस्कोपी टेस्ट कराने से पहले ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। ये सभी टेस्ट मरीज के शरीर में दिखाई देने वाले बीमारियों के लक्षणों का सटीक (accurate) कारण बताने में डॉक्टर की मदद करते हैं। इसके अलावा ब्लड टेस्ट से यह भी पता चल जाता है कि बीमारी बिना एंडोस्कोपी या सर्जरी के ठीक हो सकती है या नहीं।

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एंडोस्कोपी कराने से पहले तैयारी – Preparation for an endoscopy in Hindi

Endoscopy एंडोस्कोपी कराने से करीब 8 से 12 घंटे पहले मरीज को कुछ खाने के लिए मना किया जाता है। लेकिन एंडोस्कोपी कराने से 2 घंटे पहले मरीज पानी, जूस या तरल पेय पदार्थ ले सकता है। एंडोस्कोपी कराने से एक दिन पहले रात में मरीज को लैक्जेटिव (laxatives) दी जाती है ताकि मरीज का पेट पूरी तरह से साफ हो जाए। इसके बाद एंडोस्कोपी से पहले मरीज का अच्छी तरह से शारीरिक परीक्षण किया जाता है। इस दौरान यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो आपको डॉक्टर को इसके बारे में बता देना चाहिए। इसके अलावा यदि आपको एलर्जी की समस्या है तो वह भी डॉक्टर को बता देना चाहिए।

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एंडोस्कोपी टेस्ट का तरीका – endoscopy kaise karte hain, Endoscopy Procedure in Hindi

एंडोस्कोपी कराने के लिए मरीज को एक टेबल पर लेटा दिया जाता है और एक मॉनिटर (monitor) को मरीज के शरीर से जोड़ दिया जाता है। डॉक्टर उस मॉनीटर पर मरीज के सांस की गति, ब्लड प्रेशर और ह्रदय गति की निगरानी करते हैं। इसके बाद डॉक्टर मरीज को एक शामक दवा (sedative medication) देते हैं। यह दवा बांह (forearm) की नस में दी जाती है जो एंडोस्कोपी के दौरान मरीज को दर्द से राहत देती है।

इसके बाद डॉक्टर मरीज के मुंह में एनेस्थेटिक स्प्रे (anesthetic spray) छिड़कते हैं। यह दवा गले को सुन्न कर देती है और इससे लंबे समय तक एक लचीला ट्यूब या एंडोस्कोप गले में प्रवेश कराये रखने में मदद मिलती है। मुंह को खुला रखने के लिए मरीज को मुंह में एक प्लास्टिक माउथ गार्ड पहना दिया जाता है। इसके बाद एंडोस्कोप (endoscope) को गले के अंदर डाला जाता है और डॉक्टर मरीज को गले के नीचे एंडोस्कोप को खिसकाने के लिए कहते हैं। इस दौरान मरीज को गले में हल्का दबाव महसूस होता है लेकिन उसे दर्द नहीं होता है।

मुंह के अंदर एंडोस्कोप प्रवेश कराने के बाद मरीज किसी से बात नहीं कर सकता है। हालांकि एंडोस्कोप सांस लेने में बाधा उत्पन्न नहीं करता है। जैसे ही एंडोस्कोप गले से नीचे भोजन नली (esophagus) में पहुंचता है, इसके ऊपरी सिरे पर लगा एक छोटा सा कैमरा मॉनीटर पर चित्र को प्रदर्शित करता है। डॉक्टर मॉनीटर पर उस चित्र को देखकर ऊपरी पाचन तंत्र (upper digestive tract) में असामान्यताओं का पता लगाते हैं और उस चित्र को रिकॉर्ड कर लेते हैं। परीक्षण पूरा होने के बाद एंडोस्कोप को मुंह के द्वारा धीरे से बाहर निकाल लिया जाता है।

कोलन से पॉलिप्स (polyps) को निकालने या उत्तकों को इकट्ठा करने के लिए डॉक्टर एंडोस्कोप के ऊपर एक अलग प्रकार का सर्जिकल उपकरण लगाते हैं।

एंडोस्कोपी टेस्ट के फायदे – Endoscopy ke fayde in hindi, Endoscopy Benefits in Hindi

शरीर में विभिन्न बीमारियों के निदान के लिए एंडोस्कोपी टेस्ट कराया जाता है। आइये जानते हैं कि एंडोस्कोपी टेस्ट कराने के फायदे क्या हैं।

  • एंडोस्कोपी कराने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अन्य टेस्ट के बजाय यह कम आक्रामक (invasive) होता है।
  • यह टेस्ट कराने के लिए कम से कम तैयारी की जरूरत पड़ती है और समय भी कम लगता है।
  • हालांकि इस एंडोस्कोपी टेस्ट कराने के अंतिम रात के बाद कुछ खाना मना होता है जिससे पेट खाली रहता है और रोग का पता सही तरीके से चल पाता है।
  • एंडोस्कोपी करने से पहले मरीज का हल्का एनेस्थेसिया का इंजेक्शन दिया जाता है ताकि टेस्ट के दौरान मरीज को कोई पीड़ा न हो।
  • एंडोस्कोपी टेस्ट कराने से शरीर के आंतरिक अंगों (internal organ) में बीमारियों के सही कारणों का पता चल जाता है जिससे समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है।
  • पाचन तंत्र से जुड़े विभिन्न रोगों का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी बहुत ही बढ़िया विकल्प है।
  • यह टेस्ट कराने से समय की बचत होती है और मॉनीटर पर आंतरिक अंगों में उत्पन्न बीमारियों का सही और सटीक चित्र भी प्रकट हो जाता है।
  • बायोप्सी के लिए उतकों को निकालने में एंडोस्कोपी बहुत फायदेमंद होता है।

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एंडोस्कोपी टेस्ट के नुकसान – Endoscopy ke nuksan, Endoscopy test Side effects in Hindi

आमतौर पर एंडोस्कोपी टेस्ट को सुरक्षित (secure) माना जाता है लेकिन इस टेस्ट को कराने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।

  • एंडोस्कोपी के बाद मरीज के शरीर में ऐंठन (cramping) और शरीर में सूजन हो सकता है।
  • एनेस्थेसिया दिए जाने के कारण मरीज का गला कई घंटों तक सुन्न रह सकता है।
  • परीक्षण वाले स्थान पर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है, हालांकि यह एंटीबायोटिक्स (antibiotics) लेने पर ठीक भी हो जाता है।
  • जिस जगह पर एंडोस्कोपी की जाती है वहां लगातार दर्द बना रह सकता है।
  • एंडोस्कोपी कराने के बाद मरीज को आंतरिक ब्लीडिंग (internal bleeding) भी हो सकती है।
  • मरीज के मल का रंग अधिक गहरा (dark stool) हो सकता है।
  • एंडोस्कोपी कराने के बाद मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
  • एंडोस्कोपी कराने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मरीज के सीने में दर्द (chest pain) शुरू हो सकता है और उसे खून की उल्टी हो सकती है।
  • बहुत कम मामलों में एंडोस्कोपी कराने के दौरान अंगों के क्षतिग्रस्त (damage) होने का खतरा बना रहता है।
  • मरीज को बुखार भी आ सकता है और एंडोस्कोपी वाले स्थान पर लालिमा (redness) और सूजन (inflammation) भी हो सकता है।
  • एंडोस्कोपी कराने के बाद मरीज को भोजन निगलने में भी कठिनाई होती है और कैप्सूल निगलने पर वह मरीज के पाचन तंत्र (digestive tract) में फंस सकता है।

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