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गूलर के औषधीय गुण, गुप्त रोगों के लिए है चमत्कारी – Gular ke fayde in hindi

गूलर के औषधीय गुण, गुप्त रोगों के लिए है चमत्कारी - Gular ke fayde in hindi

गूलर को आयुर्वेद में हजारों साल से गूलर के औषधीय गुण के कारण चिकित्सीय रूप से प्रयोग किया जाता रहा है। गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में रक्तस्राव रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। गूलर की छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है। फल स्वाद में मीठा होता हैं। गूलर के फल के अन्दर कीट होते है जिनके पंख होते हैं। इसलिए इसे जन्तुफल भी कहा जाता है। इसकी छाल भूरी सी होती है। यह फाईकस जाति का पेड़ है और इसके पत्ते तोड़ने पर लेटेक्स या दूध निकलता है। गूलर के फायदे अनेक है

Gular/ गूलर के पेड़ की पहचान – Identification of the gular tree

आयुर्वेदिक गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है। इसका वनस्पतिक नाम फीकुस ग्लोमेराता रौक्सबुर्ग है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। यह नदी−नालों के किनारे एवं दलदली स्थानों पर उगता है। उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है। गूलर का पेड़ 6 मीटर से 12 मीटर तक ऊंचा होता है। गूलर का तना, मोटा, लम्बा, तथा टेढ़ा होता है। गूलर की छाल लाल व मटमैली रंग की होती है। गूलर के पत्ते 3 से 5 इंच लम्बे, 1.5 से 3 इंच चौडे़, नुकीले, चिकने और चमकीले होते हैं। इसके फूल अक्सर दिखाई नहीं देते हैं।

गूलर के फल गर्मी के मौसम में 1 से 2 इंच व्यास के गोलाकार अंजीर के फल के समान होते हैं तथा ये गुच्छों में होते हैं। गूलर के कच्चे फल हरे रंग और पके फल लाल रंग के होते हैं। गूलर के फल को थोड़ा सा दबाते ही वह फूट जाता है और इसमें सूक्ष्म कीटाणु भी पाये जाते हैं। गूलर के पेड़ के सभी अंगों में दूध भरा होता है और यदि इसके किसी भी भाग को धारदार चीज से काटते हैं तो उस भाग से दूध निकलने लगता है। इसका दूध जब शुरू-शुरू में निकलता है तो वह सफेद रंग का होता है लेकिन हवा के संपर्क में आते ही कुछ ही देर में पीला हो जाता है। इसके दूध का उपयोग औषधियों के रूप में किया जा सकता है क्योंकि इसमें रोगों को ठीक करने की शक्ति होती है।

गूलर के औषधीय गुण Property of gular

Gular गूलर घाव को भरने वाला, हडि्डयों के रोगों को ठीक करने वाला, कफ, पित्त, अतिसार और योनि रोगों को ठीक करने वाला होता है। गूलर की छाल बहुत ही ठंडी, दूध को बढ़ाने वाली, गर्भ के लिए लाभकारी और कठिन से कठिन घावों को भरने वाली होती है। गूलर के छोटे और मुलायम फल शीघ्रपतन को दूर करने वाला होता है। यह प्यास, पित्त, कफ और रुधिर के रोगों को खत्म करने वाला होता है।

गूलर के फल खाने योग्य होते है परन्तु उनमें कीड़े होते हैं इसलिए इसको अच्छे से साफ़ करके ही प्रयोग किया जाना चहिये। गूलर शीतल, रुखा, भारी, मधुर, कसैला, घाव को ठीक करने वाला, रंग सुधारने वाला, पित्त-कफ और रक्त विकार को दूर करने वाला है।यह पाचक और वायुनाशक है। यह रक्तप्रदर, रक्तपित्त तथा खून की उल्टी को दूर करने वाला है। इसका दूध टॉनिक है जो की शरीर को बल देता है। आइए जानते है गुलर से होने वाले फायदे….

गूलर के फायदे विभिन्न रोगों के उपचार में – Gular benefits Treatment of various diseases in hindi

1.नकसीर फूटना – Bleeding nose in hindi

  • इसमें गूलर के फलों को सुखाकर उसे पीसकर, छानकर, चीनी मिलाकर रोज पीने से नकसीर का रोग (नाक से खून आना) ख़त्म हो जाता हैl

2.गूलर के औषधीय गुण कब्ज तथा खांसी में – Constipation and cough in hindi

  • गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे-कब्ज तथा खांसी और दमा आदि ठीक हो जाते हैं।

3. गूलर के औषधीय गुण दूर करें कमजोरी, बल, वीर्य की कमीMasculine tonic in hindi

  • मर्दाना शक्तिवर्द्धक के लिए 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है। गूलर की छाल का पाउडर + मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।
    इसे रोज़ दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें। (और पढ़े – मर्दाना ताकत बढ़ाने का अचूक नुस्खा)
  • 1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है।

4. वीर्य का पतलापन दूर करे गूलर के औषधीय गुण – GularRemove thinness of semen in hindi

गूलर की छाल का पाउडर 1 भाग + बरगद की कोपलें 1 भाग + मिश्री/शक्कर 2 भाग, मिलाकर नियमित 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करने से वीर्य गाढ़ा होता है।
ऐसा 2 महीने तक नियमित किया जाना चाहिए। (और पढ़े – शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का घरेलू उपाय)

5. गूलर के औषधीय गुण दांत व मसूढ़े स्वस्थ रखे – gular Keep  teeth and gums healthy in hindi

दंत रोग में हमें गूलर के 2 – 3 फल पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर इसके काढ़े से कुल्ला करना चाहिए इससे हमारे दांत व मसूढ़े स्वस्थ तथा मजबूत रहते है l

6. गूलर की छाल के औषधीय गुण से रक्त प्रदर हो जाता है ठीक

20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह 50 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है।

1 चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि मासिकधर्म में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है।

रक्तप्रदर के लिए गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है।

7. गूलर के औषधीय गुण दिलाएं बवासीर रोग  में राहत – gular for piles disease in hindi

गूलर के सूखे फलों को पीसकर, छानकर उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन खाने से खूनी बवासीर रोग से मुक्त हो जाते हैंl

8. गूलर के गुड़ गर्मी से दे राहत Gular for summer relief in hindi

  • पके हुए कीड़े रहित गूलरों में पीसी हुई मिश्री डालकर सुबह के समय खाने से गर्मी में राहत मिलती है।
  • गूलर के दूध में चीनी डालकर पीने से गर्मी से मुक्ति मिलती है।
  • गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है

9. गूलर के औषधीय गुण शुक्राणुओं की कमी करें दूर  Low sperm count in hindi

गूलर के दूध की 20 बूंदे + छुहारे के साथ खाने से शुक्राणु की संख्या बढ़ती है। (और पढ़े – शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का घरेलू उपाय)

10. गूलर के औषधीय गुण दे सफ़ेद पानी/ श्वेत प्रदर में लाभ   Leucorrhoea in hindi

गूलर के सूखे फल + मिश्री, को शहद के स्थ चाटने से लाभ होता है। महिलाओ के श्वेत प्रदर के लिए 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। इसमें से कच्चे गूलर 1 भाग उबाल लें और इनकों पीसकर 1 चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भागों से इसी प्रकार की क्रिया 2 दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है।

(और पढ़े – योनि से सफ़ेद पानी आना (श्वेत प्रदर, ल्यूकोरिया) लक्षण, कारण और घरेलू उपचार)

गूलर के बाहरी प्रयोग Gular External Uses in hindi

  1. जलने पर गूलर की पत्ती का लेप प्रभावित हिस्से पर लगायें।
  2. रक्त स्राव, चोट Bleeding : खून निकलने पर पत्ते का रस प्रभावित हिस्से पर लगाने से खून का निकलना बंद होता है।

गूलर के नुकसान – Harmful effects of gular

गूलर का अधिक मात्रा में सेवन करने से बुखार पैदा हो सकता है।

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