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शुक्राणु की कमी के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और परहेज – Low Sperm Count (Oligospermia), Symptoms, Causes, Treatment In Hindi

शुक्राणु की कमी के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और परहेज – Shukranu ki kami (Low Sperm Count) Ke Karan, Lakshan, ilaj, Dawa Aur Upchar in Hindi

Low Sperm Count in Hindi: कम शुक्राणु संख्या या शुक्राणु की कमी को ओलिगोस्पर्मिया (oligospermia) कहा जाता है। और वीर्य में शुक्राणु पूर्ण रूप से अनुपस्थित होने की स्थिति एज़ोस्पर्मिया (azoospermia) कहलाती है। शुक्राणु की कमी (Low sperm count) की स्थिति में व्यक्ति की प्रजनन क्षमता में कमी आ जाती है, जिसके कारण गर्भ धारण कराना मुश्किल हो सकता है। यद्यपि लो स्पर्म काउंट (ओलिगोस्पर्मिया) की स्थिति में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, अतः इस स्थिति का निदान केवल उन पुरुषों में किया जा सकता है जो स्वाभाविक रूप से गर्भधारण कराने में असमर्थ हैं। शुक्राणु की कमी (oligospermia) का संबंध पुरुष बांझपन से नहीं होता है, अर्थात स्पर्म काउंट (sperm count) कम होने का मतलब यह नहीं होता है कि सम्बंधित व्यक्ति बांझ है।

आज के इस लेख में आप शुक्राणु की कमी के कारण क्या हैं, शुक्राणु की कमी लक्षण तथा इसकी जांच, इलाज, दवा और परहेज के बारे में जान सकते हैं।

विषय सूची

  1. ओलिगोस्पर्मिया (शुक्राणु की कमी) क्या है – What is Oligospermia (Low sperm count) in Hindi
  2. शुक्राणु की कमी के लक्षण – low sperm count signs and Symptoms in Hindi
  3. शुक्राणु की कमी के कारण – Low sperm count causes in Hindi
  4. ओलिगोस्पर्मिया के लिए डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for Oligospermia in Hindi
  5. शुक्राणु की कमी का निदान – Diagnosis of Low Sperm Count in Hindi
  6. शुक्राणु की कमी की जांच के अन्य परीक्षण – Low Sperm Count Other tests in Hindi
  7. शुक्राणु की कमी का इलाज – Low Sperm Count Treatment in Hindi
  8. शुक्राणु बढ़ाने की दवा – Medicine to increase sperm count in Hindi
  9. शुक्राणु की कमी के जोखिम कारक – Low Sperm Count Risk factors in Hindi
  10. शुक्राणु की कमी से होने वाली जटिलताएं – Low Sperm Count Complications in Hindi
  11. शुक्राणु की कमी में परहेज और रोकथाम उपाय – Avoiding Low Sperm Count and Prevention in Hindi

ओलिगोस्पर्मिया (शुक्राणु की कमी) क्या है – What is Oligospermia (Low sperm count) in Hindi

शुक्राणु कम होने की समस्या को ओलिगोस्पर्मिया (Oliogospermia) कहा जाता है। कम शुक्राणुओं की संख्या का अर्थ, संभोग के दौरान किसी व्यक्ति से निकलने वाले वीर्य में सामान्य से कम मात्रा में शुक्राणु उपस्थित होना है। लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया के नाम से भी जाना जाता है। ओलिगोस्पर्मिया किसी पुरुष की प्रजनन क्षमता से सम्बंधित एक समस्या है, जो शुक्राणु की कमी का कारण बनती है। प्रजनन क्षमता (fertility) के लिए एक स्वस्थ शुक्राणु संख्या या नॉर्मल स्पर्म काउंट होना आवश्यक होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, व्यक्ति के प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की उपस्थिति शुक्राणु की कमी (low sperm count) या ओलिगोस्पर्मिया (oligospermia) की स्थिति को प्रदर्शित करती है। लो स्पर्म काउंट होने से सम्बंधित व्यक्ति को गर्भधारण कराने में अधिक मुश्किल पैदा हो सकती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं होता कि वह व्यक्ति बांझ हो।

अधिकांश स्थितियों में स्पर्म काउंट कम होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। हालांकि कुछ आनुवंशिक स्थितियां, जैसे कि क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome), किसी भी व्यक्ति में शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित कर सकती हैं।

प्रति मिलीलीटर वीर्य में उपस्थित शुक्राणु की संख्या के आधार पर ओलिगोस्पर्मिया निम्न प्रकार का होता है:

  1. माइल्ड ओलिगोस्पर्मिया (Mild oligospermia) – 10 से 15 मिलियन शुक्राणु / मिलीलीटर
  2. मॉडरेट ओलिगोस्पर्मिया (Moderate oligospermia) – 5 से 10 मिलियन शुक्राणु / मिलीलीटर
  3. सेवियर ओलिगोस्पर्मिया (Severe oligospermia) – 0 और 5 मिलियन शुक्राणु / मिलीलीटर।

(और पढ़ें – शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का घरेलू उपाय)

शुक्राणु की कमी के लक्षण – low sperm count signs and Symptoms in Hindi

शुक्राणु की कमी का मुख्य संकेत, किसी पुरुष द्वारा अपने साथी को गर्भवती बनाने में असमर्थता है। इसके अतिरिक्त ओलिगोस्पर्मिया (शुक्राणु की कमी) के अन्य स्पष्ट संकेत या लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। लेकिन शुक्राणु की कमी का कारण बनने वाली कुछ स्थितियों, जैसे वंशानुगत गुणसूत्र असामान्यता (inherited chromosomal abnormality), हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण (Infection) इत्यादि में कुछ प्रमुख संकेत और लक्षण प्रगट हो सकते हैं। अतः शुक्राणु की कमी के लक्षणों में शामिल हैं:

  • यौन कार्यों से सम्बंधित समस्याएं, जैसे– लो सेक्स ड्राइव (low sex drive) या स्तंभन दोष (erectile dysfunction)
  • अंडकोष के आसपास दर्द, सूजन या एक गांठ की उपस्थिति।
  • शरीर के बालों में कमी या अन्य हार्मोन असामान्यता के लक्षण, इत्यादि।

(और पढ़ें – नपुंसकता (नामर्दी, स्तंभन दोष) के घरेलू उपाय)

शुक्राणु की कमी के कारण – Low sperm count causes in Hindi

कम शुक्राणु संख्या (ओलिगोस्पर्मिया) के प्रमुख कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

शुक्राणु की कमी वैरीकोसेल के कारण – Low sperm count caused by Varicocele in Hindi

वैरिकोसेल बहुत आम समस्या है, जो अंडकोश (testicles) से स्क्रोटम तक जाने वाली शिराओं (vein) की सूजन का कारण बनती है। वैरिकोसेल की स्थिति में कोई स्पष्ट लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, लेकिन कुछ व्यक्तियों में यह स्थिति शुक्राणु उत्पादन में कमी का कारण बन सकती है और वीर्य की गुणवत्ता को कम कर सकती है।

(और पढ़ें – अंडकोष (वृषण) क्या है, कार्य और रोग)

ओलिगोस्पर्मिया का कारण स्खलन समस्याएँ – Oligospermia causes ejaculation problems in Hindi

कुछ स्खलन समस्याएं शुक्राणुओं की संख्या को कम कर सकती हैं। इसमें प्रतिगमन स्खलन (Retrograde ejaculation) एक प्रमुख कारण है, जिसमें वीर्य लिंग की नोक से बाहर निकलने की बजाय मूत्राशय में प्रवेश करता है। इसके अतिरिक्त अन्य स्थितियां भी स्खलन में हस्तक्षेप उत्पन्न कर सकती हैं जिनमें शामिल हैं:

  • चोट
  • अंडकोष ट्यूमर (testicles Tumors)
  • कैंसर
  • पूर्व सर्जरी
  • बीटा ब्लॉकर्स, एंटीबायोटिक्स और ब्लड प्रेशर की दवाएं स्खलन की समस्या पैदा कर सकती हैं और शुक्राणुओं की संख्या को कम कर सकती हैं।

(और पढ़ें – दर्दनाक स्खलन क्या है, लक्षण, कारण, इलाज और बचाव)

शुक्राणु की कमी का कारण ओवरहीटिंग टेस्टिकल्स – Overheating testicles cause Low sperm count in Hindi

बार-बार बैठना, गुप्तांग (genitals) के ऊपर लैपटॉप रखना और टाइट कपड़े पहनना आदि सभी कारक टेस्टिकल्स को गर्म करने में योगदान दे सकते हैं। अंडकोष (testicles) के तापमान में वृद्धि होने के कारण अस्थायी रूप से शुक्राणुओं के उत्पादन में कमी आती है।

लो स्पर्म काउंट के चिकित्सकीय कारण – Medical causes of Low sperm count in Hindi

  • हार्मोन डिसऑर्डर, जैसे कि हाइपरथायरायडिज्म (hyperthyroidism) और हाइपोगोनाडिज्म (hypogonadism)
  • संक्रमण (Infection) – जैसे गोनोरिया (Gonorrhea), क्लैमाइडिया, एचआईवी आदि
  • एंटी-स्पर्म एंटीबॉडी (Anti-sperm antibodies)
  • आनुवांशिक सिंड्रोम जैसे कि सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis), कल्मन सिंड्रोम (Kallmann’s syndrome) और कार्टाजेनर सिंड्रोम (Kartagener’s syndrome)
  • ट्यूमर के इलाज में उपयोग की जाने वाली सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी
  • सीलिएक रोग (Celiac disease), इत्यादि।

कम शुक्राणु संख्या के पर्यावरणीय कारण – Oligospermia Environmental causes in Hindi

  • विकिरण या एक्स-रे के संपर्क में आना
  • औद्योगिक रसायन, विषाक्त पदार्थों और धातुओं का एक्सपोज़र
  • अंडकोष को गर्म रखना, इत्यादि।

शुक्राणु की कमी के अन्य कारण – Low sperm count other causes in Hindi

शुक्राणु की कमी से सम्बंधित अन्य जीवनशैली सम्बन्धी कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

  • नशीली दवाओं का सेवन जैसे- ऐनबालिक स्टेरॉयड (Anabolic steroids), कोकीन या मारिजुआना इत्यादि।
  • अत्यधिक शराब का सेवन
  • धूम्रपान, तंबाकू का सेवन
  • शरीर का अत्यधिक वजन
  • भावनात्मक तनाव, इत्यादि।

ओलिगोस्पर्मिया के लिए डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for Oligospermia in Hindi

यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से, असुरक्षित संभोग करने के बाद भी अपने साथी को गर्भवती बनाने में असमर्थ हैं, तो उसे शुक्राणु की कमी की जांच करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त निम्न लक्षणों के प्रगट होने पर भी सम्बंधित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए:

  • जननांग में दर्द
  • अंडकोष क्षेत्र में सूजन
  • इरेक्शन या स्खलन की समस्याएं, लो सेक्स ड्राइव या अन्य यौन कार्य सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न होने पर।
  • अंडकोष, प्रोस्टेट या यौन समस्याओं का इतिहास होने पर।
  • ग्रोइन, टेस्टिकल, पेनिस या स्क्रोटम की सर्जरी होने पर, इत्यादि।

शुक्राणु की कमी का निदान – Diagnosis of Low Sperm Count in Hindi

जब कोई व्यक्ति प्रजनन क्षमता में कमी को लेकर डॉक्टर से परामर्श लेता है, तो डॉक्टर अंतर्निहित कारण का निर्धारण करने के लिए विभिन्न प्रकार के टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। निदान प्रक्रियाओं में निम्न परीक्षणों को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

शारीरिक परीक्षण (physical examination) – शारीरिक परीक्षण के तहत जननांगों की जांच करना, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं, बीमारियों, चोट या सर्जरी के बारे में सवाल पूछना आदि शामिल है। इसके साथ ही डॉक्टर मरीज की यौन आदतों और दिनचर्या के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकता है।

वीर्य विश्लेषण (Semen analysis) – लो स्पर्म काउंट का सटीक निदान करने के लिए वीर्य विश्लेषण (Semen analysis) एक आवश्यक परीक्षण है। स्पर्म काउंट आमतौर पर एक माइक्रोस्कोप के तहत वीर्य की जांच करके किया जाता है। कुछ स्थितियों में, शुक्राणुओं की संख्या को मापने के लिए एक कंप्यूटर का भी उपयोग किया जा सकता है। सीमेन एनालिसिस टेस्ट (Semen analysis test) के दौरान प्राप्त रिजल्ट के आधार पर शुक्राणु की कमी का निर्धारण किया जा सकता है।

यदि परीक्षण के दौरान प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से 200 मिलियन के बीच शुक्राणु उपस्थित होते है, तो यह परिणाम सामान्य शुक्राणु घनत्व को प्रदर्शित करता है। और यदि प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु उपस्थित हैं, तो इस स्थिति को ओलिगोस्पर्मिया के नाम से जाना जाता है।

शुक्राणु की कमी की जांच के अन्य परीक्षण – Low Sperm Count Other tests in Hindi

प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर डॉक्टर लो स्पर्म काउंट के अन्य संभावित कारणों का निदान करने के लिए अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश कर सकता है। इन परीक्षणों में शामिल हैं:

  • स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड (Scrotal ultrasound)
  • हार्मोन परीक्षण
  • पोस्ट-इजेकुलेशन यूरिनलिसिस (Post-ejaculation urinalysis) – प्रतिगामी स्खलन (retrograde ejaculation) की जांच करने के लिए।
  • आनुवंशिक परीक्षण (Genetic tests)
  • टेस्टिकल्स बायोप्सी (Testicular biopsy)
  • एंटी-स्पर्म एंटीबॉडी परीक्षण (Anti-sperm antibody tests)
  • स्पेशलाइज्ड स्पर्म फंक्शन टेस्ट (Specialized sperm function tests
  • ट्रान्सरेक्टल अल्ट्रासाउंड (Transrectal ultrasound), इत्यादि।

शुक्राणु की कमी का इलाज – Low Sperm Count Treatment in Hindi

ओलिगोस्पर्मिया के उपचार के दौरान शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। शुक्राणु की कमी का इलाज करने में निम्न उपचार प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है:

  • सर्जरी (Surgery) – वैरिकोसेल (Varicocele) की स्थिति में इलाज के दौरान अक्सर सर्जरी की आवश्यकता होती है।
  • दवाएं (Medication) – शुक्राणु की कमी के इलाज के दौरान डॉक्टर संक्रमण और सूजन जैसी समस्याओं का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स सहित अन्य दवाओं की सिफारिश कर सकता है। इस उपचार के दौरान शुक्राणुओं की संख्या में सुधार नहीं हो सकता है, लेकिन यह उपचार प्रक्रिया शुक्राणुओं की कमी पर रोक लगा सकती है।
  • जीवन शैली में परिवर्तन (Lifestyle changes) वजन कम करने और स्वस्थ वजन बनाए रखने से सम्बंधित उपाय अपनाकर शुक्राणुओं की संख्या में सुधार किया जा सकता है। इसके साथ ही एक स्वास्थ्य जीवनशैली अनेक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है। शुक्राणु की मात्रा में सुधार करने के लिए ड्रग्स, शराब और तंबाकू के सेवन से परहेज करना चाहिए।
  • हार्मोन उपचार (Hormone treatment) – हार्मोन स्तर में सुधार कर शुक्राणु की कमी को दूर किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की दवाएं, इंजेक्शन और जीवनशैली में बदलाव आदि सभी तरीके स्वस्थ हार्मोन स्तर बनाने में सहायता करते हैं।

कुछ पुरुषों में शुक्राणु की कमी (ओलिगोस्पर्मिया) होने के बावजूद भी, वह पुरुष अपने साथी के अंडे (egg) को निषेचित (fertilize) करने में सक्षम होते हैं। इस स्थिति में किसी भी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है।

शुक्राणु बढ़ाने की दवा – Medicine to increase sperm count in Hindi

एक डॉक्टर मॉडरेट ओलिगोस्पर्मिया (Moderate oligospermia), सेवियर ओलिगोस्पर्मिया (Severe oligospermia) की स्थिति मे इलाज के दौरान दवा की सिफारिश कर सकता है। अतः कुछ स्थितियों में  शुक्राणु की कम के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • क्लोमीफीन साइट्रेट ओरल (clomiphene citrate oral)
  • सेरोफीन ओरल टैबलेट (serophene oral tablet)
  • एंटीबायोटिक्स
  • ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotrophin)
  • लेट्रोज़ोल (letrozole) या एनस्ट्रोज़ोल (anastrozole)

नोट: किसी भी प्रकार की दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।

शुक्राणु की कमी के जोखिम कारक – Low Sperm Count Risk factors in Hindi

अनेक प्रकार के कारक शुक्राणुओं की कमी या ओलिगोस्पर्मिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल है:

  • धूम्रपान करना
  • शराब का अत्यधिक सेवन
  • अत्यधिक वजन
  • तनावग्रस्त होना
  • विषाक्त पदार्थों के संपर्क में रहना
  • अंडकोष को गर्म रखना
  • विकिरण उपचार
  • पुरुष नसबंदी (vasectomy) या पेल्विक सर्जरी (pelvic surgery) इत्यादि।

शुक्राणु की कमी से होने वाली जटिलताएं – Low Sperm Count Complications in Hindi

लो स्पर्म काउंट के कारण उत्पन्न होने वाली जटिलता में बांझपन को शामिल किया जा सकता है, जो सम्बंधित पुरुष के साथ-साथ यौन साथी को भी तनावपूर्ण स्थिति में डाल सकती है। इसके अरितिक्त ओलिगोस्पर्मिया का समय पर निदान या इलाज न किया जाये तो सम्बंधित व्यक्ति को निम्न जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:

  • शुक्राणु की कमी के अंतर्निहित कारण का उपचार करने के लिए सर्जरी या अन्य गंभीर उपचार का सामना।
  • संतान न होने से संबंधित तनाव।
  • इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization (IVF)) जैसे महंगी प्रजनन तकनीक से गुजरना पड़ सकता है।

शुक्राणु की कमी में परहेज और रोकथाम उपाय – Avoiding Low Sperm Count and Prevention in Hindi

प्रजनन क्षमता बनाए रखने शुक्राणु की कमी (ओलिगोस्पर्मिया) को रोकने और शुक्राणु की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

  • धूम्रपान न करें
  • शराब से परहेज
  • अवैध दवाओं का सेवन न करें
  • किसी भी प्रकार की दवाओं के सेवन से पहले, उसका शुक्राणु संख्या पर पड़ने वाला प्रभाव के बारे में डॉक्टर से सलाह लें
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • अंडकोष को गर्मी के प्रभाव से बचाएं
  • तनाव को कम करने के लिए उचित प्रयाश करें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • कीटनाशकों, भारी धातुओं और अन्य विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचें।

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