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गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए – How Many Times Ultrasound During Pregnancy In Hindi

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए - How Many Times Ultrasound During Pregnancy In Hindi

Ultrasound During Pregnancy In Hindi अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था का एक जरूरी हिस्सा है। हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड टेस्ट कराना ही पड़ता है। लेकिन ज्यादातर गर्भवती महिलाओं के मन में ये सवाल होता है कि प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउंड कब-कब और कितनी बार कराना चाहिए और इसके क्या नुकसान हैं। इंटरनेट पर भी अक्सर महिलाएं इन सवालों के जवाब खोजती हैं। वैसे गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड को लेकर लोग भी अलग-अलग तरह की बातें कहते हैं। जिससे महिलाओं में कंफ्यूजन की स्थिति बनी रहती है। तो चलिए इस आर्टिकल के जरिए हम आपके सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हमारा ये आर्टिकल उन महिलाओं के लिए है जो जल्द मां बनने जा रही हैं। उन्हें कब-कब, किन-किन परिस्थितियों में और कितनी बार अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए ये सभी जानकारी उन्हें इस आर्टिकल में मिल जाएंगी।

विषय सूची

1. गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड क्या है – What is ultrasound in pregnancy in Hindi
2. गर्भावस्था में महिला को कितनी बार अल्ट्रासॉउन्ड करवाना चाहिए – What weeks do you get ultrasounds during pregnancy in Hindi

3. गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड में क्या पता चलता है – What does ultrasound show in pregnancy in Hindi
4. गर्भावस्था में कैसे किया जाता है अल्ट्रासाउंड – How is ultrasound done in pregnancy in Hindi
5. गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कितनी तरह का होता है – Types of ultrasound in pregnancy in Hindi

6. क्या गर्भावस्था में बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने से शिशु को नुकसान पहुंचता है -Multiple Pregnancy Ultrasounds Safe for Child in Hindi
7. किन परिस्थितियों में अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है – Kin sthitiyo me ultrasound jaruri hai in hindi
8. क्या 3डी – 4डी अल्ट्रासाउंड बच्चे के लिए सुरक्षित हैं – Are 3D and 4D scans safe for  baby in Hindi

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड क्या है – What is ultrasound in pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड क्या है - What is ultrasound in pregnancy in Hindi

अल्ट्रासाउंड एक टेस्ट प्रोसेस है, जो महिला की प्रेग्नेंसी के दौरान किया जाता है। इसे सोनोग्राफी टेस्ट भी कहते हैं। डॉक्टर्स इस टेस्ट को एक मशीन के जरिए करते हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन के द्वारा हाई फ्रिक्वेंसी वाली तरंगों का इस्तेमाल करके प्रेग्नेंट महिला के पेट और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पूरी तरह पिक्चराइज किया जाता है। जिससे बच्चे और नाल के सोनोग्राम बनते हैं। वैसे तो सोनोग्राम और अल्ट्रासाउंड टेक्निकल रूप से दो अलग अलग शब्द हैं, लेकिन इन दोनों नामों का इस्तेमाल एक ही काम के लिए किया जाता है। यानि सोनोग्राफी को ही अल्ट्रासाउंड कहा जाता है।

(और पढ़े – अल्ट्रासाउंड क्या है और सोनोग्राफी की जानकारी…)

गर्भावस्था में महिला को कितनी बार अल्ट्रासॉउन्ड करवाना चाहिए – What weeks do you get ultrasounds during pregnancy in Hindi

गर्भवती महिलाओं के मन में यह सबसे बड़ा सवाल होता है कि अल्ट्रासाउंड आखिर कब-कब या किस-किस महीने में कराना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत केवल दो बार होती है। गर्भवती महिलाओं की पहली सोनोग्राफी पहली तिमाही में कराई जाती है, वहीं दूसरी सोनोग्राफी 18 हफ्तों में की जाती है।

गर्भवती महिलाओं की पहली सोनोग्राफी में जहां बच्चे के पैदा होने की तारीख का पता लगाया जाता है, वहीं दूसरी सोनोग्राफी बच्चे के शरीर के सभी अंगों के बारे में पता लगाने के लिए होती है। इसमें पता लगाया जाता है कि बच्चे के सभी अंग ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। अगर कोई समस्या होती है, तो अल्ट्रासाउंड में इसे जल्दी पकड़ लिया जाता है, ताकि समय पर इलाज किया जा सके। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान दूसरे अल्ट्रासाउंड में शिशु के सेक्स का भी पता लगाया जाता है कि होने वाला शिशु लड़का होगा या लड़की।

नोट – गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगाना कानूनन अपराध है ऐसा करने और कराने वाले को अपराध सिद्ध होने पर सजा का प्रावधान है।

(और पढ़े – जानें प्रेगनेंसी में एनटी टेस्ट (न्यूकल ट्रांसलुसेंसी) कराना क्यों है जरूरी…)

गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड – First Trimester of  pregnancy in Hindi

  • प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे की जन्म की तिथि पता चलती है।
  • गर्भावस्था के 6वें सप्ताह में आप अल्ट्रासाउंड के जरिए पहली बार अपने बच्चे की दिल की धड़कन सुन सकती हैं।
  • गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड की मदद से आपके गर्भ में कितने बच्चे हैं, इस बात की पुष्टि होती है। साथ ही बच्चा गर्भाशय में सही स्थिति में हैं या नहीं इस बात का भी पता चलता है।

(और पढ़े – गर्भावस्था के आठवें सप्ताह के लक्षण…)

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड- Second Trimester of  pregnancy in Hindi

  • प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड कराने से बच्चे का जेंडर पता चल जाता है। हालांकि भारत में गर्भ में पल रहे बच्चे के जेंडर की जानकारी देना अपराध है।
  • गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में जब भी आप अल्ट्रासाउंड कराती हैं तो इसमें गर्भ के भीतर भ्रूण की वृद्धि और स्थिति का पता चलता है।
  • प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड कराने से गर्भवती महिला को बच्चे की जन्मजात असमान्यताओं और जन्म दोषों के बारे में पता चलता है।
  • प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड कराने से पता चल जाता है कि आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम है या नहीं।

(और पढ़े – डाउन सिंड्रोम होने के कारण, लक्षण और इलाज…)

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड – Third trimester of  pregnancy in Hindi

  • दूसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे की शारीरिक रचना में किसी भी विसंगति या परिवर्तन की समीक्षा की जाती है।
  • गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अगर आप अल्ट्रासाउंड करा रही हैं तो जांच करें कि मेडिकल डायग्नोस्टिक रिपोर्ट के अनुसार बच्चा अच्छी तरह से बढ़ रहा है नहीं।
  • प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के किसी भी महीने में अल्ट्रासाउंड कराने से बच्चे की सही स्थिति का पता चलता है।

(और पढ़े – जानें आखिर क्या होता है एनॉमली टेस्ट…)

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड में क्या पता चलता है – What does ultrasound show in pregnancy in Hindi

गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड में क्या पता चलता है - What does ultrasound show in pregnancy in Hindi

  • गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड टेस्ट के जरिए बच्चे के पैदा होने की तिथि तय की जाती है।
  • गर्भावस्था में मां के शरीर में एमनियोटिक फ्ल्यूड का लेवल पता लगाया जा सकता है। दरअसल, एमनियोटिक फ्लूड एक तरह की थैली में भरा तरल पदार्थ होता है, जिसके अंदर शिशु पलता है। मां के शरीर से ही ये एमनियोटिक द्रव बनता है और गर्भनाल की मदद से ये बच्चे की नाल तक पहुंचता है।
  • गर्भ में एक शिशु हैं या दो इसका पता भी अल्ट्रासाउंड के जरिए चलता है।
  • अल्ट्रासाउंड की मदद से गर्भ में शिशु की अवस्था का पता लगाया जा सकता है।
  • बच्चे की हड्डियों में कोई संदिग्ध विकृति हो, तो अल्ट्रासाउंड की मदद से इसका पता जल्दी लग जाता है।
  • गर्भावस्था में गर्भ के अंदरूनी अंगों के विकास की स्थिति पता चलती है। साथ ही सभी अंग ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं ये भी पता लगाया जा सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड में शिशु की लंबाई, हार्ट ग्रोथ, हाथ और पैरों का डवलपमेंट कैसा हो रहा है, इसका भी पता चलता है।
  • गर्भवती सोनोग्राफी से बच्चे के दिल की धड़कन का पता लगाया जाता है।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी के आठवें महीने की जानकारी और केयर टिप्स…)

गर्भावस्था में कैसे किया जाता है अल्ट्रासाउंड – How is ultrasound done in pregnancy in Hindi

सबसे पहले अल्ट्रासाउंड टेस्ट में गर्भवती महिला के पेट के ऊपर विशेष जेल लगाया जाता है। यह जेल गर्भ और ट्रांसड्यूसर के बीच संपर्क में सुधार करता है ताकि ध्वनि तरंगें आपके पेट के माध्यम से ठीक से यात्रा कर सकें। जैल लगाने के बाद डॉक्टर्स एक मशीन जिसे ट्रांसड्यूसर्स कहते हैं को आपके शरीर पर छुआते हैं। इस मशीन से वेव्स निकलती हैं, जो जैल के जरिए आपकी त्वचा के भीतर चली जाती हैं। इन तरंगों के जरिए ही शरीर के अंदरूनी हिस्सों की ईमेज कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने लगती है। अल्ट्रासाउंड में गर्भवती महिला को किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता , लेकिन जब अल्ट्रासाउंड करने से पहले पेट के ऊपर जैल लगाया जाता है, तो ठंडापन जरूर महसूस होता है।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी के नौवे महीने में रखें इन बातों का ध्यान…)

गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कितनी तरह का होता है – Types of ultrasound in pregnancy in Hindi

कहने को तो सभी अल्ट्रासाउंड टेस्ट एक जैसे ही होते हैं, सभी को एक ही तरह स्कोर किया जाता है, फिर भी आमतौर पर 7 तरह के अल्ट्रासाउंड होते हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान किया जाता है। लेकिन ये सभी अल्ट्रासाउंड गर्भवती महिला की परिस्थितियों के अनुसार किए जाते हैं। जानते हैं गर्भावस्था में होने वाले इन 7 तरह के अल्ट्रासाउंड के बारे में।

गर्भावस्था के दौरान ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड – Trans-vaginal Ultrasound In Hindi

ट्रांसवेजाइनल स्कैन भी गर्भावस्था में किया जाने वाला एक अल्ट्रासाउंड टेस्ट है। इसमें आपके आंतरिक अंगों की छवियों को बनाने के लिए हाई फ्रिक्वेंसी साउंड का उपयोग किया जाता है। ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड को एंडोवेजाइनल अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं, जिसकी मदद से डॉक्टर्स गर्भवती महिला के प्रजनन अंगों की जांच करते हैं। जिसमें गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय, गर्भाशय ग्रीवा और वेजाइना शामिल है। इस अल्ट्रासाउंड में महिला की योनि में दो से तीन इंच की अल्ट्रासाउंड रॉड डालकर टेस्ट किया जाता है। मोटापे से ग्रसित जिन महिलाओं का फैट बहुत ज्यादा होता है, उनका ऊपर से अल्ट्रासाउंड करने में बहुत दिक्कत आती है, ऐसी स्थिति में अंगों की जांच के लिए ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में किया जाता है।

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गर्भावस्था में मानक अल्ट्रासाउंड – Standard ultrasounds during pregnancy in Hindi

बच्चे के विकसित होने की प्रक्रिया के समय मानक अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। टू डी फोटो बनाने के लिए किसी भी गर्भवती महिला के पेट के ऊपर ट्रांसड्यूसर्स कर मानक अल्ट्रासाउंड किया जाता है। गर्भावस्था में यह अल्ट्रासाउंड 6-10 हफ्तों में बीच कराने की सलाह दी जाती है।

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प्रेगनेंसी के दौरान एडवांस्ड अल्ट्रासाउंड – Advanced ultrasound in pregnancy in Hindi

एडवांस्ड अल्ट्रासाउंड मानक अल्ट्रासाउंड की तरह ही होता है, लेकिन इस टेस्ट को गर्भावस्था में तब किया जाता है, जब गर्भ में बच्चे के विकास को लेकर किसी तरह की शंका हो। जब एक्स्ट्रा डीटेल पिक्चर देखने की जरूरत पड़े तब एडवांस्ड अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। गर्भवती महिलाओं को एडवांस्ड अल्ट्रासाउंड 18-22 हफ्तों के बीच कराया जाना चाहिए।

(और पढ़े – गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किक…)

गर्भावस्था के दौरान डॉप्लर अल्ट्रासाउंड – Doppler ultrasound in pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में ध्वनि तरंगों के जरिए ब्लड वैसल्स में हो रहे मूवमेंट का पता लगाने के लिए डॉप्लर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। यह गर्भावस्था में बच्चे, गर्भाशय और प्लेसेंटा में रक्त परिसंचरण का अध्ययन करने के लिए उपयोग किया जाता है। डॉक्टर्स ज्यादातर हाई रिस्क प्रेग्नेंसीज में गर्भवती महिला को डॉप्लर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं।

(और पढ़े – जानिए गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए पति को क्या करना चाहिए…)

प्रेगनेंसी के दौरान 3डी अल्ट्रासाउंड – 3D Ultrasounds In Pregnancy In Hindi

3डी अल्ट्रासाउंड गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की 3डी तस्वीरें लेने के लिए किया जाता है। गर्भ में शिशु की 3डी फोटो लेने के लिए एक स्पेशल सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।

(और पढ़े – किशोर गर्भावस्‍था (टीनेज प्रेगनेंसी) क्या है, कारण, लक्षण, खतरे और बचाव…)

गर्भावस्था के दौरान 4डी अल्ट्रासाउंड – 4D Ultrasounds During Pregnancy In Hindi

4डी अल्ट्रासाउंड को डायनामिक अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं। 4डी अल्ट्रासाउंड तब होता है जब महिला को बच्चा होने वाला हो। बच्चे के चेहरे को देखने के लिए एक खास तरह का स्कैनर बना होता है, इस स्कैनर का इस्तेमाल करके बच्चे को देखा जा सकता है। 4डी अल्ट्रासाउंड महिलाएं तब कराएं जब वे 26 हफ्ते की गर्भवती हों, क्योंकि तब गर्भ में बच्चे की त्वचा के नीचे बहुत कम वसा होता है, इसलिए उसके चेहरे की हड्डियां आसानी से दिखाई दे जाती हैं।

(और पढ़े – 30 के बाद गर्भधारण करने के फायदे और नुकसान…)

प्रेगनेंसी के दौरान फैटल इकोकॉर्डियोग्राफी अल्ट्रासाउंड – Echocardiography ultrasound during pregnancy in Hindi

जब गर्भ में पल रहे बच्चा के दिल का फिजिकल स्ट्रक्चर और उसके काम का कैलकुलेशन करना हो, तब इस अल्ट्रासाउंड की तरंगों का यूज होता है। साथ ही ये बच्चे के जन्म के बाद उसके हार्ट डिफेक्ट्स की कैलकुलेशन करने के लिए भी यूज होता है। यह अक्सर 20-24 हफ्ते की गर्भावस्था में किया जाता है।

(और पढ़े – सर्जिकल गर्भपात की प्रकिया, देखभाल और कमजोरी होने पर क्या खाएं…)

क्या गर्भावस्था में बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने से शिशु को नुकसान पहुंचता है – Multiple Pregnancy Ultrasounds Safe for Child in Hindi

कई महिलाएं गर्भावस्था में हर महीने या बार-बार अल्ट्रासाउंड कराती हैं। मॉडर्नाइजेशन के कारण भी ऐसा होने लगा है। लेकिन ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को इस बात का डर सताता है कि प्रेग्नेंसी में बार-बार अल्ट्रासाउंड कराना कहीं गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक तो नहीं है। एक रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था के दौरान मल्टीपल अल्ट्रासाउंड होने से विकासशील भ्रूण को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता है। लेकिन फिर भी डॉक्टर्स प्रेग्नेंसी में केवल दो बार ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं।

(और पढ़े – गर्भावस्‍था के दौरान मालिश…)

गर्भावस्था में किन परिस्थितियों में अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है – Kin sthitiyo me ultrasound jaruri hai in Hindi

गर्भावस्था में किन परिस्थितियों में अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है - Kin sthitiyo me ultrasound jaruri hai in Hindi

वैसे तो गर्भावस्था में दो बार अल्ट्रासाउंड कराया जाना चाहिए, लेकिन कुछ परिस्थितियों में भी अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी माना जाता है। अगर आपको लगता है कि आप प्रेग्नेंट हैं और होम प्रेग्नेंसी किट से टेस्ट करने के बाद भी आपको बेहतर रिजल्ट न मिले तो इस परिस्थिति में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। क्योंकि इससे प्रेग्नेंसी है या नहीं इसका पता चलता है। इसके अलावा अगर आप अबॉर्शन कराती हैं तो इसके बाद भी अल्ट्रासाउंड जरूर कराना चाहिए, क्योंकि अबॉर्शन के बाद अगर अगर पेट में कोई टिशू छूट गए हैं, तो इन्हें साफ कराया जा सकता है।

(और पढ़े – सर्जिकल गर्भपात की प्रकिया, देखभाल और कमजोरी होने पर क्या खाएं…)

क्या 3डी – 4डी अल्ट्रासाउंड बच्चे के लिए सुरक्षित हैं – Are 3D and 4D scans safe for  baby in Hindi

रैगुलर अल्ट्रासाउंड की ही तरह 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड में भी आपके गर्भ में पल रहे बच्चे की एक इमेज बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। कुछ डॉक्टर्स गर्भावस्था में 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड करना बेहतर मानते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि वे इसके जरिए बर्थ डिफेक्ट को आसानी से पकड़ पाते हैं, जो नॉर्मल अल्ट्रासाउंड में नजर नहीं आते। विशेषज्ञों की मानें तो 4डी अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंसी के 11-14 हफ्तों में या 22 हफ्तों में कराया जाए, तो इससे बच्चे के 85 प्रतिशत बर्थ डिफेक्ट का पता चल जाता है। वहीं गर्भावस्था में 3डी अल्ट्रासाउंड 24 या 34 हफ्तों में कराना अच्छा माना जाता है।

अगर आप अपने गर्भ में शिशु की अच्छी तस्वीर देखना चाहती हैं तो 27 से 32 हफ्तों के बीच 3डी अल्ट्रासाउंड कराना बेस्ट होता है। खासतौर से आप अपने बच्चे का फेस का क्लोजअप देखना चाहती हैं तो 27 से 28 हफ्ते के बीच 3डी अल्ट्रासाउंड कराएं। अब सवाल ये है कि गर्भावस्था में 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड सेफ है या नहीं तो बता दें कि 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड को कराने के कोई नुकसान नहीं है। कई रिसर्च में भी इस बात को प्रूव किया जा चुका है कि 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड कराना आपके बच्चे के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

(और पढ़े – बच्चेदानी (गर्भाशय) में सूजन के लक्षण, कारण और घरेलू उपाय…)

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