बच्चो की देखभाल

किशोरावस्था की शुरुआत और पैरेंट्स की ज़िम्मेदारियाँ The beginning of teenage and parental responsibilities in Hindi

कुल मिलाकर किशोरावस्था की शुरुआत असमंजस और आशंकाओं से भरी हुई अवस्था होती है। जैसे ही आपके बच्चे अपने किशोरावस्था में कदम रखते हैं, वैसे ही एक पेरेंट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। क्योंकि, बच्चे जैसे ही टीनएज (adolescence) में पहुँचते  हैं, उन्हें अच्छे-बुरे का पता नहीं चलता है। खासकर दिल के मामले में वह बहुत बेकाबू हो जाते हैं, और कभी-कभी वह गलत कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे में, एक पेरेंट्स की ज़िम्मेदारी यह होती है कि आप अपने बच्चों का सही मार्गदर्शन करें, ताकि वह सही रास्तों पर चल सकें।इसलिए ज़रूरी है कि पैरेंट्स बच्चों के मन में उठने वाले सवालों के जवाब देकर उन्हें इन अचानक होने वाले इन परिवर्तनों से अवगत करायें।

किशोरावस्था वह समय है, जब मानव अपना बचपन छोड़कर जवानी की दहलीज पर कदम रखता है। इस समय बालक और बालिका से युवक और युवती बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। यह 10 से 19 वर्ष की अवस्था है। इस दौरान बहुत सारे परिवर्तन होते है। ये परिवर्तन मस्तिष्क में स्थित पिटयुटरी ग्लेंड के स्त्राव के कारण होता है जो हारमोन्स की क्रियाशीलता के फलस्वरूप है। इन्हीं हार्मोन्स के कारण किशोरावस्था के शारीरिक भावनात्मक व सामाजिक परिवर्तन होते है।

लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन: Physical changes in girls in hindi

  • अचानक शरीर में विकास :- ऊंचाई और वजन में वृद्धि होती है। कुल्हे बड़े होते हे और कमर पतली होती जाती है। शरीर में स्त्री-सुलभ सुडौलता आ जाती है।
  • प्रजनन अंगों का विकास :- योनि/गर्भाशय में वृद्धि होती है।
  • योनि मार्ग से सफेद चिपचिपे द्रव का स्राव होता है। यह स्वाभाविक है।
  • डिम्बकोस क्रियाशील हो जाता है।
  • मासिक धर्म की शुरूआत ।

द्वितीय लैंगिक गुण: Second sexual attribute

  • बगल और जनजांगों के आस-पास बाल उगते है।
  • स्तन बडे और विकसत हो जाते है। उनके आकार से दुग्ध निर्माण प्रणाली का कोई संबंध नहीं होता। कभी-कभी एक स्तन दूसरे से अधिक बड़ा होता है।
  • आवाज पतली होने लगती है।
  • चेहरे पर मुहासे आने लगते है।

लड़कों में शारीरिक परिवर्तन: Physical changes in boys in hindi

  • शरीर की लंबाइ और वजन में वृद्धि होती है। कंधे चौड़े होते है और स्वायु बढ़ने लगते है।
  • प्रजनन अंगों का विकास।
  • लिंग/शिश्न और अण्डकोष का आकार बढ़ने लगता है। उनमें से एक वृषण सामान्य दूसरे से नीचा होता है जो कि एक सामान्य स्थित है।
  • अण्डकोष में शुक्राणुओं का निर्माण होने लगात है।

द्वितीय लैंगिक गुण: Second sexual attribute in hindi

  • हाथों, पैरों, बगल में, सीने, चेहरे तथा जननांगों के आसपास वाल आ जाते है।
  • दाढ़ी-मूँछ निकलने लगती है।
  • मुँहासे आते है।
  • आवाज भारी हो जाती है।

(और पढ़े: क्या आपके बच्चे का वजन अधिक है ?आप वजन कम करने में बच्चे की मदद कर सकते हैं)

किशोरावस्था की शुरुआत और उसे बेहतर बनाने के 5 टिप्स Starting adolescence and Make It Better in hindi

1.शारीरिक बदलाव । Physical Changes

किशोरावस्था की ओर बढ़ते हुए बच्चों में अचानक बहुत से शारीरिक बदलाव होते हैं। जिन परिवर्तनों से बच्चे अक्सर घबरा जाते हैं या उनके मन में बहुत सारे प्रश्न उठते हैं। ऐसे में पैरेंट्स की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि वो उन्हें यह एहसास दिलाएं कि ये सारे बदलाव सामान्य हैं। जब वो भी इस उम्र में थे, तो वे भी इन्हीं बदलावों से होकर गुज़रे हैं।

प्यूबिक हेयर, आवाज़ में बदलाव, चेहरे पर अचानक ढेर सारे पिंपल्स, क़द का बढ़ना, हार्मोन्स में होने वाले अचानक परिवर्तन और उनके कारणों को अक्सर बच्चे ठीक से समझ नहीं पाते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि बच्चों की किशोरावस्था (adolescence) में पैरेंट्स समय से पहले बात बात में इसके बारे में या अन्य तरीक़ों से इन चीज़ों के बारे में शिक्षित करते रहें। इससे बच्चे मानसिक रूप से तैयार रहेंगे।

2.मासिक धर्म या पीरियड्स का आना Menstruation in hindi

लड़कियों में किशोरावस्था में होने वाले कई बदलाव में से एक बदलाव मासिक धर्म भी है। ये ज़रूरी है कि बच्ची को मासिक धर्म या पीरियड्स शुरू होने से पहले इसके बारे में पता हो ताकि अपकी बेटीअचानक पीरियड्स होने पर वह ब्लड को देखकर घबरा न जाए। इसलिए उसे इस बात का अंदाज़ा पहले से हो कि पीरियड्स होना एक नेचुरल क्रिया है। जो एक उम्र के बाद हर लड़की को होती है और इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं होती है।किशोरावस्था के दौरान अभिभावकों को अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार करना चाहिये। उनसे कुछ बिना छिपायें सारी बातों को जो किशोरावस्था के परिवर्तन से संबंधित है चर्चा करना चाहिये। यह शरीर के विकास की एक स्वभाविक प्रक्रिया है, उन्हें बताना चाहियें।

3.किशोरावस्था में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण  adolescence Attraction towards the opposite sex in hindi

टीनएजर्स में हार्मोनल परिवर्तन के कारण अपोज़िट सेक्स के प्रति आकर्षण भी सहज उत्पन्न हो जाता है। आज हमारे देश में इस विषय पर बात करना अनुचित समझा जाता है। विद्यालयी माहौल हो या पारिवारिक माहौल हो, दोनों ही जगह सेक्स शब्द को बुरा ही समझा जाता है। जिस वजह से बच्चे किशोरावस्था में न कुछ पूछ पाते हैं और न कोई उन्हें समझा पाता है। जिससे उनके मन में कुंठा उत्पन्न हो जाती है, जिसके परिणाम कभी कभी गंभीर हो सकते हैं।

वे गलत संगत में न पड़े इसके लिए ज़रूरी है कि उन्हें इस बात से रूबरू कराए कि इस उम्र में किसी के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है। इसलिए बच्चों की किशोरावस्था (adolescence) में पैरेंट की ज़िम्मेदारी है कि वे नए नए अट्रैक्शन को पॉजिटिविटी में बदलने की समस्त जानकारी उन्हें उपलब्ध कराएँ। जैसे – लड़की लड़के एक दूसरे से बात करें तो इस बात में कोई बुराई नहीं है। वे दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन सकते हैं। एक दूसरे की मदद भी कर सकते है।

4. गलत दिशा चुनना Choose the wrong direction in hindi

इस उम्र में बच्चें न केवल सेक्स के प्रति आकर्षित होते हैं, बल्कि सिगरेट शराब और बाक़ी बुरी चीजो की तरफ़ भी आकर्षित होते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि बच्चों की किशोरावस्था में पैरेंट्स अपने बच्चों के रोल मॉडल बने और एक अच्छा व्यवहार प्रस्तुत करें। इसके अलावा पैरेंट्स को बच्चों के दोस्तों व उनकी संगत पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।

5. कम्युनिकेशन व विश्वास Communication & Trust

यह ज़रूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों से लगातार कम्युनिकेशन करते रहें तथा यह विश्वास भी दिलाएं कि आप हर क़दम पर उनके साथ हैं। उन्हें यह भी विश्वास दिलाएं कि अगर बच्चों से कोई ग़लती होती है तो उसे छुपाने के बजाय पैरेंट्स से शेयर करें। उन्हें इस बात का विश्वास दिलाएं कि वे हर परिस्थिति में उनके साथ और उनके पास है।

यह ज़रूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों से किशोरावस्था के बारे में बात करें, ताकि बच्चा इस अवस्था में होने वाले परिवर्तनों से परेशान होने या कुंठित होने के बजाय इन परिवर्तनों के साथ अपने आप को सही तरीके से एडजेस्ट कर सके।

Tina singh

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